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निवेश को बेचने के बजाय सिक्योरिटीज के बदले लोन लेना एक बेहतर विकल्प माना जाता है.
Loan Against Securities: कई बार इमरजेंसी के समय में हमें तुरंत पैसों की जरूरत होती है. ऐसे समय में अपने निवेश को बेचने के बजाय सिक्योरिटीज के बदले लोन लेना (loan against securities) एक बेहतर विकल्प है. हालांकि लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज की प्रक्रिया थोड़ी धीमी जरूर है लेकिन फिर भी इसके ज़रिए आप सस्ती ब्याज दरों पर लोन ले सकते हैं. धन जुटाने के लिए किसी भी प्रकार की सिक्योरिटीज को गिरवी रखा जा सकता है, जैसे शेयर, इक्विटी या डेट म्यूचुअल फंड, बीमा पॉलिसियां और बांड. जब किसी व्यक्तिगत या बिजनेस संबंधी जरूरतों के लिए तत्काल नकदी की आवश्यकता होती है, तो ऐसे समय में यह काफी उपयोगी होता है. शॉर्ट और लॉन्ग टर्म लोन के लिए लोन अगेंस्ट शेयर (LAS) एक काफी लोकप्रिय तरीका है.
कैसे मिलता है लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज
इसके ज़रिए कर्ज लेने से पहले आपको इस बात की जांच कर लेनी चाहिए कि लेंडर्स आपके पास मौजूद सिक्योरिटीज को स्वीकार करते हैं या नहीं. ज्यादातर लेंडर्स के पास आमतौर पर उनकी वेबसाइट पर सिक्योरिटीज की एक लिस्ट होती है. वे इस लिस्ट पर मौजूद सिक्योरिटीज को ही स्वीकार करने के लिए तैयार होते हैं. इसके साथ ही, इक्विटी के मामले में एक लेंडर प्रतिभूतियों के मूल्य का 50 या 60 प्रतिशत कर्ज के रूप में दे सकता है, हालांकि यह डेट फंड या बांड के मामले में ज्यादा हो सकता है. ऋण अवधि के दौरान प्रतिभूतियों का मूल्य गिरने की स्थिति में कुछ ऋणदाता अतिरिक्त सिक्योरिटीज की मांग भी करते हैं.
LAS से संबंधित जरूरी बातें
- इसका एक बड़ा फायदा यह है कि जब आप अपनी सिक्योरिटीज को लेंडर के पास गिरवी रखते हैं, तो भी समय के साथ इसमें ग्रो होता रहता है और इसी दौरान आप अपने निवेश को बेचे बिना ही लोन लेकर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं.
- इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि अपने निवेश को लिक्विड करने के बजाय यह एक बेहतर तरीका है. इसमें आपके निवेश पर लोन अवधि के दौरान भी इंटरेस्ट, बोनस और डिविडेंड आदि मिलता रहता है.
- शेयरों के बदले दिए जाने वाले कर्ज में स्टॉक एक्सचेंज प्रतिभूतियां शामिल हैं.
- अगर उधारकर्ता भुगतान करने में विफल रहता है, तो लेंडर सिक्योरिटीज का निपटान कर सकता है और ऋण की वसूली कर सकता है.
- शेयरों के बदले दिए जाने वाले ऋणों में स्टॉक एक्सचेंज प्रतिभूतियां जैसे सरकारी प्रतिभूतियां, कॉर्पोरेट प्रतिभूतियां और डिबेंचर शामिल हैं.
- ये LAS छोटी अवधि के ऋण हैं. इसमें आमतौर पर रिपेमेंट की अवधि 36 महीने तक होती है.
- कुछ बैंकों में आपको फ्लेक्सिबल रिपेमेंट का ऑप्शन भी मिलता है. आप इस ऑप्शन के तहत लोन का ब्याज हर महीने और मूलधन लोन अवधि के अंत में चुकाने का विकल्प चुन सकते हैं.
- लोन अगेंस्ट सिक्योरिटी भी अलग-अलग शुल्कों के साथ आता है - उदाहरण के लिए, प्रोसेसिंग चार्ज के अलावा, लोन प्रोवाइडर के आधार पर एक उधारकर्ता को लोन एग्रीमेंट पर स्टांप ड्यूटी, प्लेज क्रिएशन फीस आदि शुल्क लगाया जा सकता है.
- भारत में आप एक्सिस बैंक, ICICI बैंक, HDFC बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया आदि बैंकों में लोन अगेंस्ट शेयर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं.