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छह महीने का मोरेटोरियम पीरियड है.
Loan Moratorium: लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान कर्ज खातों में ब्याज पर लगाए गए ब्याज की रकम को बैंकों ने लौटाना शुरू कर दिया है. ब्याज पर ब्याजमाफी योजना के तहत बैंक ग्राहकों को उनके खाते में पैसे डालने से जुड़ी जानकारी मैसेज में भेज रहे हैं. केंद्रीय बैंक आरबीआई ने पिछले हफ्ते सभी बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) समेत सभी कर्ज देने वाले संस्थानों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर छह महीने की लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान लिए गए ब्याज पर ब्याज माफी योजना पर अमल हो. ऐसे में आप यह जरूर जानना चाहेंगे कि मोरेटोरियम अवधि के दौरान का कितना पैसा आपके खाते में आएगा.
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कितना अमाउंट होगा खाते में जमा
इस स्कीम के तहत चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच का अंतर 1 मार्च, 2020 और 31 अगस्त, 2020 के बीच की अवधि के लिए ग्राहक के लोन अकाउंट में जमा किया जाएगा. 29 फरवरी, 2020 को ब्याज दर के अनुसार कैलकुलेशन किया जाएगा.
कितनी होगी बचत
25 लाख के होम लोन पर
लोन की राशि: 25 लाख रुपये
ब्याज दर: 8 फीसदी सालाना
मोरेटोरियम अवधि: 6 महीने
कंपाउंड इंटरेस्ट: 101682 रुपये
सिंपल इंटरेस्ट: 100000 रुपये
ब्याज की बचत: 1682 रुपये
2 करोड़ के होम लोन पर
लोन की राशि: 2 करोड़ रुपये
ब्याज दर: 8 फीसदी सालाना
मोरेटोरियम अवधि: 6 महीने
कंपाउंड इंटरेस्ट: 813452 रुपये
सिंपल इंटरेस्ट: 800000 रुपये
ब्याज की बचत: 13452 रुपये
नोट: इसी तरह से हाउसिंग लोन के अलावा अन्य मद में लिए जाने वाले लोन और उसकीर ब्याज दर के हिसाब से बॉरोअर्स की ब्याज के रूप में बचत कैलकुलेट होगी. यहां सिर्फ ब्याज की बचत के बारे में जानकारी है. नेट बचत में टैक्स अमाउंट को घटाना होगा.
छह महीने का मोरेटोरियम पीरियड
बैंक यह रकम आरबीआई की कोविड 19 रेगुलेटरी पैकेज के तहत भेज रही है. आरबीआई ने बैंकों को पहले 27 मार्च को 1 मार्च से 31 मई के बीच इंस्टालमेंट और ब्याज (ईएमआई) वसूलने पर रोक लिया दिया था जिसे बाद में फिर तीन महीनों के लिए बढ़ा दिया गया. इस तरह आरबीआई के कोविड-19 रेगुलेटरी पैकेज के तहत 6 महीने का मोरेटोरियम पीरियड है.
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उद्योगों की मांग, उनके भी लोन का हो रीस्ट्रक्चर
ब्याज पर ब्याज से माफी पर 18 नवंबर को सुनवाई होनी है. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट अलग-अलग उद्योगों की मांग पर सुनवाई करेगा. इन उद्योगों की मांग है कि उनके लोन को भी रीस्ट्रक्चर किया जाना चाहिए. इसके अलावा लोन मोरेटोरियम पर सुनवाई के दौरान आज आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से उस अंतरिम आदेश को हटाने का आग्रह किया, जिसमें कहा गया है कि इस साल 31 अगस्त तक जिन खातों को एनपीए घोषित नहीं किया है, उन्हें अगले आदेश तक एनपीए घोषित नहीं किया जाएगा.