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स्वीप-इन अकाउंट में एफडी पर जिस दर से ब्याज मिलता है, उस दर पर आपको ब्याज मिलेगा और लिक्विडिटी सेविंग्स अकाउंट के समान ही यानी इस खाते में आपको एफडी और सेविंग्स अकाउंट दोनों का फायदा मिलता है.
How To Earn Better Interest on Your Bank Account: अधिकतर लोग बैंकों के बचत खाते में अपने पैसे रखते हैं, लेकिन इन पर अधिकतर लीडिंग बैंक 2.7-4 फीसदी की दर से ही ब्याज देती हैं. ब्याज कितना मिलेगा, यह जमा राशि पर निर्भर करता है. कुछ बैंक 6 फीसदी की दर से भी ब्याज देती हैं ताकि आप खाते में अधिक पूंजी रखने के लिए प्रोत्साहित हों. बचत खाते में पैसे जमा करने का सबसे बड़ा फायदा लिक्विडिटी का होता है और इसमें रखे पैसे को जरूरत के समय निकाल सकते हैं. हालांकि अधिकतर बैंकों में अब यह भी संभव हो गया है कि सेविंग्स अकाउंट में रखे पैसे को बैंक में डिपॉजिट किया जाए और जरूरत के वक्त निकाल भी सकें. इसके लिए आपको आम बचत खाते की बजाय स्वीप-इन अकाउंट खुलवाना होगा. इसमें जमा राशि पर सेविंग्स अकाउंट की तुलना में अधिक दरों पर ब्याज मिलता है और जरूरत के वक्त पैसे भी निकाल सकते हैं.
स्वीप-इन अकाउंट में एफडी पर जिस दर से ब्याज मिलता है, उस दर पर आपको ब्याज मिलेगा और लिक्विडिटी सेविंग्स अकाउंट के समान ही यानी इस खाते में आपको एफडी और सेविंग्स अकाउंट दोनों का फायदा मिलता है. स्वीप-इन अकाउंट में जब सेविंग्स अकाउंट बैलेंस एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है तो अतिरिक्त पैसे की एफडी हो जाती है. बैंकबाजारडॉटकॉम के सीईओ आदिल शेट्टी के मुताबिक इससे यह सुनिश्चि किया जा सकता है कि सेविंग्स अकाउंट में पैसे पड़े न रहें बल्कि उस पर बेहतर ब्याज भी मिल सके.
इस तरह काम करता है स्वीप-इन अकाउंट
अगर आपके सेविंग्स अकाउंट में 1.2 लाख रुपये हैं तो 20 हजार रुपये आप सेविंग्स अकाउंट में रख सकते हैं और 1 लाख रुपये की एफडी करा सकते हैं. 20 हजार रुपये से अधिक पैसों की आपको जरूरत पड़ी तो एफडी खाते से पैसे निकाल सकते हैं और निकासी के बाद एफडी में जो राशि शेष रहेगी, उस पर एफडी के लिए निर्धारित दर पर ब्याज मिलेगा.
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इन बातों का ख्याल रखना जरूरी
सभी बैंक यह सुविधा अपने ग्राहकों के लिए उपलब्ध नहीं कराते हैं और जो कराते हैं, वे इससे जुड़ी कुछ शर्तें भी रखते हैं. शेट्टी के मुताबिक अधिकतर बैंकों में ऑटो-स्वीप सेविंग्स अकाउंट खुलवाने की सुविधा है लेकिन इसे खुलवाने से पहले न्यूनतम मासिक बैलेंस (एमएबी) और थ्रेसहोल्ड लिमिट की जानकारी ले लें. थ्रेसहोल्ड लिमिट का मतलब वह सीमा है, जिससे अधिक की राशि की एफडी हो जाएगी. हर बैंक के लिए एमएबी और थ्रेसहोल्ड की सीमा अलग-अलग है. कुछ बैंकों में 25 हजार रुपये का एमएबी है तो कुछ अन्य में 50 हजार रुपये.
एक और स्थिति बन सकती है कि किसी बैंक ने 40 हजार रुपये का एमएबी और थ्रेसहोल्ड एफडी 10 हजार रुपये तय किया है तो अगर सेविंग्स खाते में 1 लाख रुपये हैं तो 60 हजार रुपये की अपने आप 10-10 हजार रुपये की 6 एफडी हो जाएगी. शेट्टी के मुताबिक अब अगर आपको पैसे की जरूरत आ पड़ी तो सेविंग्स अकाउंट से पैसे निकलेंगे और अगर उसमें से न्यूनतम बैलेंस नहीं मेंटेन हो पा रहा है तो जो राशि कम हो रही है, वह एफडी से सेविंग्स खाते में ट्रांसफर हो जाएगी.
इस स्थिति में सेविंग्स अकाउंट में ही पैसे रखना बेहतर
स्वीप-इन अकाउंट में सेविंग्स अकाउंट और एफडी दोनों के फीचर्स मिलते हैं लेकिन इसके बावजूद यह सभी मामलों में बेहतर साबित हो, ऐसा नहीं है. शेट्टी के मुताबिक अगर एफडी से आप फ्रीक्वेंटली विदड्रॉल करते हैं तो ब्याज नहीं मिलेगा और खाते में कितनी राशि है, इसका कोई फर्क नहीं पड़ेगा. शेट्टी के मुताबिक ऐसा इसलिए है क्योंकि एफडी में कितने दिनों तक पैसा रखा है, इस आधार पर ब्याज कैलकुलेट किया जाता है. ऐसे में अगर कोई एफडी एक साल के लिए की गई थी लेकिन अगर 445 दिनों के भीतर ही पैसे निकाल ले रहे हैं तो ब्याज सिर्फ 45 दिनों के लिए ही मिलेगा. इसके अलावा अगर 30 दिनों से कम तक ही खाते में पैसे रखते हैं तो इस एफडी पर कम दरों पर ब्याज मिलेगा. इसका मतलब हुआ कि स्वीप-इन खाते का फायदा तभी है जब एफडी की अवधि 30 दिनों से अधिक की हो और अगर ऐसा नहीं होता है तो शेट्टी के मुताबिक सेविंग्स अकाउंट में ही पैसे रखने में समझदारी है.
(आर्टिकल: सुनील धवन)