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फिक्स इंटरेस्ट रेट की ओर स्विच कर ब्याज दरों में होने वाली अनिश्चितता से बचा जा सकता है.
Fixed Vs Floating Interest Rate: हर आदमी का खुद के घर का एक सपना होता है. जिसे पूरा करने के लिए वह हर संभव प्रयास करता है. जी तोड़ मेहनत के साथ ही वह बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से लोन लेता है, ताकि अपने घर का सपना पूरा कर सके. घर खरीद के लिये दिये जाने वाले लोन को होम लोन कहते हैं. इसमें बैंकों द्वारा घर की गारंटी पर लोन दिया जाता है. आमतौर पर इस लोन के लिए दो तरह की इंटरेस्ट मोड को फॉलो किया जाता है. इसमें पहला फिक्स इंटरेस्ट रेट मोड है, जबकि दूसरा फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट मोड है.
फिक्स इंटरेस्ट रेट में होम लोन लेते समय तय की गई ब्याज दर के हिसाब से लोन पर ब्याज दिया जाता है, जबकि फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में सरकार, RBI और मार्केट के हिसाब से ब्याज की दर बढ़ती या कम होती रहती है. आम तौर पर लोग होम लोन में फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट को चुनना पसंद करते हैं, क्योंकि समय-समय पर सरकार, आरबीआई द्वारा दी जाने वाली रियायत की वजह से इंटरेस्ट रेट काफी कम हो जाता है. पिछले 4 सालों में होम लोन पर इंटरेस्ट रेट बहुत ही कम था.
हाल ही में आरबीआई द्वारा रेपो रेट में इजाफा किये जाने के बाद बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनी भी धीरे-धीरे अपनी ब्याज दरों में बढोतरी कर रही हैं. जो होम लोन लेने वालों के लिए परेशानी की बड़ी वजह बन सकती है. ऐसे में बहुत से लोग फिक्स इंटरेस्ट होम लोन की ओर स्विच करने के बारे में सोच रहे हैं. क्योंकि फिक्स इंटरेस्ट रेट मोड में ब्याज दरों में होने वाली अनिश्चितता से बचा जा सकता है. फिक्स लोन रेट में आप बिना इएमआई या समय बढ़े टेंशन फ्री होकर अपना लोन चुका सकते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि होम लोन के लिए आप को फ्लोटिंग इंटरेस्ट या फिक्स इंटरेस्ट रेट में से चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
आप की आय
लोन के लिए इंटरेस्ट रेट तय करने में आय सबसे ज्यादा अहम होती है, क्योंकि लोन के बदले में किस्तों का भुगतान करना होता है, जो लोन लेने वाले के बजट में होनी चाहिए. जैसे एक नौकरी पेशा वाले व्यक्ति को एक तय सैलरी मिलती है, इसलिए वो ज्यादा रिस्क लेने के बजाय एक फिक्स इंटरेस्ट वाला लोन लेता है, ताकि वो लोन के एवज में दी जाने वाली किस्त का अपने बजट के हिसाब से भुगतान कर सके. क्योंकि उसके पास खर्चे के लिए एक तय बजट है. वहीं दूसरे ओर बिजनेस करने वाले शख्स की आय नौकरी पेशा वाले व्यक्ति से ज्यादा होती है. तो वह फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट को चुनता है, क्योंकि वह रिस्क लेने से नहीं डरता है. अगर उसे रेपो रेट के बढ़ने की वजह से ब्याज की दरों में हुए इजाफे के बाद किस्त के तौर पर ज्यादा राशि का भुगतान करना होगा तो उसे दिक्कत नहीं होगी. साथ ही फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में लोन लेने वाले व्यक्ति को रेपो रेट में कमी होने पर ज्यादा मुनाफा मिलता है.
समय या अवधि
इंटरेस्ट रेट मोड तय करते समय लोन की अवधि को ध्यान में रखा जाता है. क्योंकि सभी बैंक या फाइनेंस कंपनियां सिर्फ तीन, पांच या 10 साल की अवधि के लिए फिक्स इंटरेस्ट रेट मोड में लोन देती हैं. यानि अगर आपने 20 साल के लिए लोन लिया है तो आप को सिर्फ 5 या फिर 10 साल के लिए ही फिक्स इंटरेस्ट रेट में लोन मिलेगा और बाकि समय में लोन खुद ही फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट वाले मोड में चला जाएगा.
ज्यादा रिस्क, ज्यादा मुनाफा
मार्केट का सीधा सा सिद्धांत है कि जहां रिस्क होगा वहां मुनाफ भी होगा. ऐसे में अगर आप रिस्क लेने से नहीं डरते तो आप को फ्लोटिंग इंटरेस्ट मोड को चुनना चाहिए और अगर आप रिस्क नहीं लेना चाहते तो आप फिक्स इंटरेस्ट मोड का चुनाव कर सकते हैं.
बैंक बाजार.कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक ने बढ़ती मुद्रास्फीति को रोकने के प्रयास में रेपो दर में 140 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है और अगर मुद्रास्फीति ऐसे ही बनी रही तो इसमें और भी इजाफा किया जा सकता है. ऐसे में अगर आप अभी लोन लेने की सोच रहे हैं तो आपके लिए फिक्स इंटरेस्ट मोड में लोन लेना बेहतर रहेगा, क्योंकि यह आपको भविष्य में होने वाले ब्याज दरों में बढ़ोतरी से बचाएगा. मौजूदा समय में कार लोन और पर्सनल लोन फिक्स इंटरेस्ट मोड में लेना आप को फायदा पहुंचायेगा.
पैसा बाजार के होम लोन डिपार्टमेंट के चीफ रतन चौधरी के अनुसार, कुछ सरकारी बैंकों को छोड़कर ज्यादातर बैंक और एनबीएफसी फिक्स इंटरेस्ट रेट पर पर्सनल लोन देते हैं, जबकि होम लोन के मामले में लोग हमेशा फ्लोटिंग इंटरेस्ट मोड पर लोन लेना पसंद करते हैं. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह फ्लोटिंग मोड के मुकाबले फिक्स्ड मोड में इंटरेस्ट का ज्यादा होना है.