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होम लोन की ईएमआई समय पर चुकानी चाहिए.
घर खरीदने के लिए लिया गया होम लोन चुकाना एक बड़ी जिम्मेदारी है. कर्ज की हर ईएमआई यानी किस्त को समय पर चुकाना बेहद जरूरी है. फिर भी अगर लोन की कोई किस्त किसी भी कारण से वक्त पर जमा न हो पाए, तो कर्ज लेने वाले को क्या करना चाहिए? ईएमआई देना किसी वजह से भूल गए हों या फिर किसी आर्थिक संकट के कारण ऐसा न कर पा रहे हों, दोनों ही हालात में आगे के कदम सावधानी और समझदारी के साथ उठाने चाहिए. आइए समझते हैं कि होम लोन लेने वाले को किन हालात में क्या करना चाहिए.
लोन की किस्त न चुकाने पर क्या प्रभाव पड़ता है?
होम लोन की एक या दो किस्तें न चुका पाने का मतलब माइनर डिफॉल्ट (minor default) कैटेगरी में शामिल होना है. लेकिन ईएमआई अगर लगातार 3 महीने तक न चुकाई जाए, तो इसे मेजर डिफॉल्ट (major default) माना जाता है. ऐसे किसी भी डिफॉल्ट का क्रेडिट स्कोर पर सीधा असर पड़ता है. माइनर डिफॉल्ट होने पर सिबिल स्कोर (CIBIL Score) 40 से 80 प्वाइंट तक घट जाता है. समय पर नहीं चुकाई गई किस्त बाद मेंं भरने पर ईएमआई अमाउंट के 2 फीसदी के बराबर जुर्माना भी देना पड़ सकता है. इससे जुड़ी शर्तें होम लोन देने वाले बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी पर निर्भर करती हैं, जो पहले से ही तय होती हैं. किस्त अदायगी में अगर सिर्फ एक बार ही डिफॉल्ट हुआ हो और उसके बाद हर महीने नियमित रूप से चुकाने का सिलसिला फिर से शुरू हो जाए, तो आपका क्रेडिट स्कोर फिर बहाल हो सकता है. लेकिन अगर ऐसा न किया जाए, तो सिबिल स्कोर में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है. सिबिल स्कोर घटने पर लोन की ब्याज दर भी बढ़ सकती है.
जिन ग्राहकों के क्रेडिट स्कोर बढ़िया नहीं होते, उन्हें कर्ज देने में बैंक या वित्तीय संस्थान कतराने लगते हैं. मेजर डिफॉल्ट कैटेगरी में आ जाने के बाद तो यह और भी मुश्किल हो जाता है. लंबे समय तक लोन की किस्त न चुकाए जाने पर बैंक नोटिस भी जारी करते हैं, जिसका संतोषजनक जवाब न मिले तो कर्ज लेने वाले शख्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. लोन की रकम वसूलने के लिए बैंक गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी को नीलाम भी कर सकते हैं.
किस्त न जमा कर पाने पर सबसे पहले क्या करें
होम लोन की किस्त न जमा कर पाने पर सबसे पहले आप अपने बैंक को बताएं और साथ में ये भी बताएं कि किन कारणों से आपने किस्त नहीं जमा की. गर आप सचमुच किस्त जमा करना भूल गए हैं तो भविष्य में ऐसा करने से बचना चाहिए. अगली बार इस तरह की भूल न हो इससे बचने के लिए आप ऑटोपे विकल्प भी चुन सकते हैं. इसके लिए आप बैंक खाते से अपने आप किस्त कट जाए संबंधित प्रक्रिया के जरिए लिंक करा सकते हैं.
अगर आप किसी महीने अपनी ईएमआई वक्त पर नहीं दे पाए, तो बैंक को उसकी वजह साफ-साफ बता दें. अगर आप किसी वजह से किस्त देना भूल गए हैं तो जल्द से जल्द जमा कर दें. भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए अपने बैंक खाते से हर महीने ऑटो डेबिट के जरिए किस्त के भुगतान का इंतज़ाम करें. लेकिन अगर आपको नौकरी चले जाने या किसी वजह से आमदनी घटने की वजह से आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, तो इससे निपटने के लिए आप जल्द से जल्द अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का प्रयास करें. इसके लिए आप इमरजेंसी फंड का सहारा ले सकते हैं, नई नौकरी ज्वाइन कर सकते हैं या फिर किसी स्कीम में किए गए निवेश को सरेंडर करके लोन चुकाने का इंतजाम कर सकते हैं.
आप कर्ज मुहैया कराने वाले वित्तीय संस्थान से बात करके होम लोन का टेन्योर बढ़ाने का अनुरोध भी कर सकते हैं. इससे आपको थोड़ी बहुत राहत मिल सकती है. अगर आर्थिक संकट ज्यादा है, तो आप अपने मौजूदा घर को किराए पर देकर कम रेंट वाले छोटे घर में शिफ्ट होने पर विचार कर सकते हैं. ऐसा करके बिना आप अपना घर खोए बिना किस्त जमा करने का इंतजाम कर सकते हैं.
बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं कि अगर आप समय पर किस्त जमा नहीं करते है तो इससे आपका क्रेडिट स्कोर घट सकता है. आप किस्त चुकाने में जितनी देरी करते हैं उस हिसाब से तयशुदा नियम और शर्तो के आधार पर बैंक आप से जुर्माना लेते हैं. यदि आप किसी कारण किस्त जमा करना भूल गए हैं तो उसे जल्द से जल्द जमा करें. वित्तीय संकट की स्थिति में फंस जाने पर किस्त की राशि जमा नहीं कर पा रहे हैं, तो इसे अपने बैंक को कारण बताएं और उनकी तरफ कही गई बातों का पालन करें और समाधान तलाशने की कोशिश जारी रखें.
लोन अकाउंट में सुधार के लिए ये भी करें
सबसे अहम है कि आप बेवजह होने वाले खर्चों को कम करें. इस तरह बचत कर किस्त चुकाने पर ध्यान दें. अपनी और अपने परिवार की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसा बजट बनाएं, जो आपकी मौजूदा आर्थिक स्थिति के अनुकूल हो. धीरे-धीरे उसमें सुधार करने की कोशिश भी करते रहें. 3 किस्तें न चुका पाने पर नया लोन हासिल करने में परेशानी हो सकती है, फिर भी फंड की व्यवस्था करने के सारे रास्ते बंद नहीं हो जाते. वित्तीय संकट के दौरान व्यवस्थित ढंग से वित्तीय रणनीति बनाकर चलें तो समस्या का समाधान बेहतर ढंग से कर सकते हैं.
(Article : Sanjeev Sinha)