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Multicap Funds: मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड अलग अलग मार्केट कैप वाली कंपनियों के शेयरों में आपका पैसा निवेश करते हैं. (file image)
Best Multi-Cap Mutual Funds: मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड होते हैं, जो अलग अलग मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों के शेयरों में आपका पैसा निवेश करते हैं. यानी निवेशकों का पैसा इन फंड के तहत लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के शेयरों में लगाया जाता है. सेबी के नियम के मुताबिक इस कैटेगरी में फंड का 75 फीसदी हिस्सा इक्विटी में निवेश करना जरूरी होगा. हालांकि म्यूचुअल फंड मल्टीकैप फंड को रीबैलेंस कर सकते हैं. उनके पास समय समय दूसरी स्कीम में स्विच करने का विकल्प भी होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि जब बाजार वोलेटाइल दिख रहा है या निवेशक बाजार का बहुत ज्यादा रिस्क लेना नहीं चाहते हैं, ऐसे में मल्टीकैप फंड बेहतर विकल्प हो सकते हैं, जहां आपका पोर्टफोलियो खुद ही डाइवर्सिफाइड हो जाएगा.
इन स्कीम का कैसे मिलता है फायदा
इसका फायदा यह है कि अगर निवेशकों को यह कंफ्यूजन है कि वे अपना पैसा लार्ज-कैप, मिड-कैप, स्मॉल-कैप आखिर कहां लगाएं तो मल्टी-कैप कैटेगिरी न सिर्फ यह दुविधा दूर करता है, बल्कि इसमें आपका पोर्टफोलियो खुद ही डाइवर्सिफाइड हो जाता है. दूसरा फायदा यह है कि लार्ज-कैप फंड आपके पोर्टफोलियो को स्टेबिलिटी देते हैं, जबकि मिड-कैप और स्मॉल-कैप में आपको हाई रिटर्न मिल सकता है. वहीं अगर किसी एक सेग्मेंट मसलन मिडकैप या स्मालकैप का प्रदर्शन खराब रहा तो उसे लार्जकैप बैलेंस कर सकते हैं. इसी तरह से लार्जकैप में नुकसान को मिडकैप या स्मालकैप रिकवर कर सकते हैं. कुल मिलाकर ये फंड कठिन समय में नुकसान से बचाते हैं.
किस तरह के निवेशकों के लिए परफेक्ट विकल्प
ऐसे में ये फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो इक्विटी की किसी एक कैटेगरी में पैसे लगाने का रिस्क नहीं लेना चाहते, बल्कि अलग अलग कैटेगरी में पैसे लगाकर अपना पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड करना चाहते हैं. इस कैटेगरी में हो सकता है कि मिडकैप या स्मालकैप की तुलना में कुछ रिटर्न कम हो, लेकिन जोखिम उनसे कम होता है. हालांकि निवेशकों को अपना रिस्क प्रोफाइल, निवेश की अवधि और टारगेट देखकर कुशल एडवाइजर से विचार विमर्श के बाद इसमें पैसे लगाना चाहिए.
टैक्स के क्या हैं नियम
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स: अगर निवेशक 1 साल के अंदर मल्टी-कैप फंड में यूनिट्स को रिडीम करता है, तो इससे होने वाली आय पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) देना होता है. निवेशकों को आय पर 15% टैक्स देना होता है.
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स: अगर निवेशक 1 साल के बाद यूनिट्स को भुनाते हैं, तो उनसे होने वाली आय पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) लगता है. अगर आय एक वित्त वर्ष के दौरान 1 लाख रुपये से कम है तो टैक्स लागू नहीं होता है, लेकिन 1 लाख से ज्यादा आय पर 10% टैक्स देना होता है.
ये हैं 5 साल में बेस्ट SIP रिटर्न वाली स्कीम
क्वांट एक्टिव फंड: 5 साल में SIP रिटर्न 26% एनुअल
निप्पॉन इंडिया मल्टीकैप फंड: 5 साल में SIP रिटर्न 22% एनुअल
महिंद्रा मैन्युलाइफ मल्टीकैप फंड: 5 साल में SIP रिटर्न 21% एनुअल
बड़ौदा BNP परिबास मल्टीकैप फंड: साल में SIP रिटर्न 18.50% एनुअल
ICICI प्रू मल्टीकैप फंड: 5 साल में SIP रिटर्न 17% एनुअल
(सोर्स: वैल्यू रिसर्च)