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नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर यानी एनसीडी फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होते हैं, जिन्हें कंपनियां जारी करती हैं. (File)
Muthoot Finance NCD: बाजार में उतार चढ़ाव है, जिससे इक्विटी में नुकसान हो रहा है. स्माल सेविंग्स स्कीम में रिटर्न बहुत कम रह गया है. ऐसे में अगर आप निवेश के लिए कोई बेहतर विकल्प की तलाश में हैं तो आज से अच्छा मौका है. Muthoot Finance का सिक्योर्ड रीडेमेबल नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCD) निवेश के लिए आज यानी 25 मई से खुल गया है. यह निवेश के लिए 17 जून तक खुला रहेगा. इस नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर का साइज 300 करोड़ रुपये का होगा. इसका बेस साइज 75 करोड़ रुपये है और इसमें ओवरसब्सक्रिप्शन के जरिए 225 करोड़ जुटाने का विकल्प है. इसमें अलग अलग विकल्पों में अधिकतम 8 फीसदी सालाना रिटर्न मिलेगा.
NCD रेटिंग
Muthoot Finance की सिक्योर्ड NCD को ICRA से AA+ (स्टेबल) रेटिंग मिली है. यानी क्रेडिट रिस्क कम है लेकिन पूरी तरह से सेफ भी नहीं है. इस रेटिंग का मतलब है कि वित्तीय दायित्वों को समय पर पूरा करने के मामले में इस NCD में हाई लेवल की सेफ्टी है. हालांकि बेहतर रेटिंग के बाद भी यह मतलब नहीं है कि यह पूरी तरह से निवेश का सुरक्षित विकल्प है.
कितना मिल रहा है ब्याज
Muthoot Finance की सिक्योर्ड NCD में निवेश के अलग अलग 7 विकल्प हैं. जिनमें मंथली, एनुअल या मेच्योरिटी पूरी होने पर इंटरेस्ट पेमेंट की सुविधा है. यानी इसमें आप सालाना, मासिक या फिर एक साथ ब्याज पाने का ऑप्शन चुन सकते हैं. अलग अलग विकल्पों में 7.5 फीसदी से 8 फीसदी सालाना ब्याज मिल रहा है. यानी बैंकों की एफडी से 1.5 से 2 फीसदी ज्यादा ब्याज.
कितना करना होगा निवेश
एक NCD का इश्यू प्राइस 1000 रुपये है. निवेशकों को कम से कम 10 NCD के लिए पैसे लगाने होंगे. यानी कम से कम 10,000 रुपये. इसके बाद 1 के मल्टीपल में पैसे लगा सकते हैं.
इस इश्यू के माध्यम से जुटाई गए फंड का इस्तेमाल मुख्य रूप से कंपनी की लेंडिंग एक्टिविटीज के लिए किया जाएगा. इश्यू के लीड मैनेजर एके कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड है. आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड इश्यू के लिए डिबेंचर ट्रस्टी है. Link Intime India Private Limited इश्यू के लिए रजिस्ट्रार है.
क्या होता है NCD
नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर यानी एनसीडी फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होते हैं. इन्हें कंपनी जारी करती है. इनके जरिये वह निवेशकों से पैसा जुटाती है. इसके लिए पब्लिक इश्यू लाया जाता है. इनमें निवेश करने वालों को एक तय दर से ब्याज मिलता है. एनसीडी की अवधि फिक्स होती है. इनकी मैच्योरिटी पर निवेशकों को ब्याज के साथ अपनी मूल रकम मिलती है. ये बैंक एफडी की तरह डेट इंस्ट्रूमेंट होते हैं.
सिक्योर्ड एनसीडी का मतलब इसमें कंपनी की सिक्योरिटी होती है. कंपनी अगर किसी वजह से निवेशकों को पैसे पेमेंट नहीं कर पाती तो निवेशक उसके एसेट को बेचकर अपना पैसा निकाल सकते हैं. अनसिक्योर्ड एनसीडी में कंपनी की सिक्योरिटी नहीं होती हैं. इसमें जोखिम ज्यादा होता है.
(Disclaimer: यहां निवेश की सलाह नहीं दी गई है. यह सिर्फ कंपनी की एनसीढी के बारे में जानकारी है. किसी भी एनसीडी में निवेश के पहले एडवाइजर से सलाह ले सकते हैं.)