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Mutual Fund: म्यूचुअल फंड्स से निवेशकों ने सितंबर में निकाले 65,372 करोड़, ब्याज दरें बढ़ने का असर

सितंबर के दौरान 16 फिक्स्ड-इनकम वाली कैटेगरी में से 12 में शुद्ध निकासी हुई. इस दौरान, लिक्विड, मनी मार्केट और छोटी अवधि वाले फंड जैसे क्षेत्रों में सबसे अधिक निकासी हुई है.

सितंबर के दौरान 16 फिक्स्ड-इनकम वाली कैटेगरी में से 12 में शुद्ध निकासी हुई. इस दौरान, लिक्विड, मनी मार्केट और छोटी अवधि वाले फंड जैसे क्षेत्रों में सबसे अधिक निकासी हुई है.

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FE Hindi Desk
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ब्याज दरों में वृद्धि के बीच निवेशकों ने म्यूचुअल फंड से सितंबर में 65,372 करोड़ रुपये की निकासी की है.

Mutual Fund: ब्याज दरों में वृद्धि के बीच निवेशकों ने म्यूचुअल फंड से सितंबर में 65,372 करोड़ रुपये की निकासी की है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में म्यूचुअल फंड में 49,164 करोड़ रुपये जुलाई में 4,930 करोड़ रुपये का निवेश आया था. इससे पहले, निवेशकों ने हाई इन्फ्लेशन और बढ़ती ब्याज दरों के कारण अप्रैल-जून में म्यूचुअल फंड से 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी. फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज में निवेश पर फोकस्ड डेट फंडों में सितंबर में 65,372 करोड़ रुपये की निकासी हुई है. ब्याज दर सायकल बढ़ने और कॉरपोरेट्स द्वारा एडवांस टैक्स का भुगतान करने के बीच यह निकासी देखने को मिला है.

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इन फंड्स में हुई निकासी

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सितंबर के दौरान 16 फिक्स्ड-इनकम वाली कैटेगरी में से 12 में शुद्ध निकासी हुई. लिक्विड, मनी मार्केट और छोटी अवधि वाले फंड जैसे क्षेत्रों में सबसे अधिक निकासी हुई है. वहीं, इस दौरान लंबी अवधि वाले फंड, गिल्ट फंड जैसे कैटेगरी में पिछले महीने के दौरान निवेश देखने को मिला है. ओवरनाइट फंड कैटेगरी में 33,128 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, लंबी अवधि में 111 करोड़ रुपये का निवेश और 10 साल की निरंतर अवधि वाले गिल्ट फंड और गिल्ट फंड में भी क्रमशः 6.64 करोड़ रुपये और 1.20 करोड़ रुपये के निचले स्तर पर निवेश देखने को मिला है.

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क्या है एक्सपर्ट्स की राय

मॉर्निंगस्टार इंडिया की सीनियर एनालिस्ट-मैनेजर रिसर्च कविता कृष्णन ने कहा, ‘‘मई, 2022 से बढ़ते ब्याज दर के माहौल के कारण निवेशकों ने म्यूचुअल फंड से शेयर में निवेश करने के पक्ष में कदम रखना पसंद किया है.’’ दूसरी तरफ इक्विटी म्यूचुअल फंड में सितंबर के दौरान 14,100 करोड़ रुपये का निवेश आया है. उन्होंने आगे कहा कि ओवरऑल मैक्रो एनवायरनमेंट लोकल और ग्लोबल स्लोडाउन का संकेत है. वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व रेट हाइक सायकल पर रहा है. वहीं, आरबीआई भी महंगाई को काबू में लाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है. उन्होंने कहा कि एक अन्य फैक्टर जो डेट फंड को प्रभावित कर सकता है, वह है एडवांस टैक्स पेमेंट के लिए संस्थानों द्वारा निकासी. डेट फंडों के प्रति ओवरऑल सेंटीमेंट कम अवधि के फंडों में निवेश करने की रही है. सितंबर के दौरान ओवरनाइट फंडों में सकारात्मक प्रवाह से भी इसका प्रमाण मिलता है.

(इनपुट-पीटीआई)

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