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Mutual Fund for Senior Citizens : म्यूचुअल फंड में निवेश सीनियर सिटिजन्स के लिए कितना सही, कैसे बनाएं रिस्क और रिटर्न में बेहतर तालमेल?

म्यूचुअल फंड में निवेश सीनियर सिटिजन्स के लिए कितना सही और बेहतर विकल्प है. साथ ही आप कैसे रिस्क और रिटर्न में बेहतर तालमेल बैठा सकते हैं.

म्यूचुअल फंड में निवेश सीनियर सिटिजन्स के लिए कितना सही और बेहतर विकल्प है. साथ ही आप कैसे रिस्क और रिटर्न में बेहतर तालमेल बैठा सकते हैं.

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FE Hindi Desk
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म्यूचुअल फंड को सीनियर सिटिजन्स के लिए एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जाता है, जिन्हें निवेश में फ्लेक्सिबिलिटी की जरूरत होती है.

Mutual Fund for Senior Citizens : सफलता के लिए यह जरूरी है कि कि आपका पैसा आपके लिए काम करें, चाहे आप की उम्र कुछ भी हो. सीनियर सिटिजन्स के लिए सबसे बड़ी बाधा उनकी बढ़ती उम्र होती है. इसलिए यह जरूरी है कि वे समझदारी से निवेश करें. मौजूदा समय में सीनियर सिटिजन्स के लिए निवेश के कई विकल्प उपलब्ध हैं. आज हम आपको ये बताने वाले हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश सीनियर सिटिजन्स के लिए कितना सही और बेहतर विकल्प है. साथ ही आप कैसे रिस्क और रिटर्न में बेहतर तालमेल बैठा सकते हैं.

सीनियर सिटीजन के लिए हैं कई म्यूचुअल फंड

मौजूदा समय में म्यूचुअल फंड में निवेश और एनएफओ के सदस्यता की संख्या समान रूप से बढ़ रही है. म्यूचुअल फंड के बारे में एक आम गलत धारणा यह है कि वे सीनियर सिटिजन्स के लिए जोखिम भरा होता है. लेकिन मौजूदा वक्त में ऐसे कई म्यूचुअल फंड हैं, जिन्हें खास तौर पर सीनियर सिटिजन्स की जरूरतों और कम जोखिम को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है. 

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RD और FD में मिलता है कम रिटर्न

देश में फिक्स्ड डिपॉजिट और रिकरिंग डिपॉजिट(RD) जैसे ट्रेडिशनल फाइनेंशियल स्कीम मौजूद हैं, लेकिन मौजूदा वक्त में इन स्कीम में सबसे कम रिटर्न मिल रहा है. इस स्कीम में किया गया निवेश मुद्रास्फीति से प्रभावित होता है, जिसकी वजह से आपको उम्मीद के मुताबिक अच्छा रिटर्न नहीं मिल पाता है. 

म्यूचुअल फंड देता है फ्लेक्सिबिलिटी

म्यूचुअल फंड का मकसद निवेशकों के निवेश में विविधता लाना और पैसे को स्टॉक, बॉन्ड, ईटीएफ और बॉन्ड जैसी प्लान में निवेश कराना है. इनका प्रदर्शन बाजार से प्रभावित होता है. म्यूचुअल फंड निवेशकों की मेहनत की कमाई को पेशेवरों द्वारा निवेश बेनिफिट्स के लिए किया जाने वाला इन्वेस्टमेंट हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) या एकमुश्त भुगतान के जरिए किया जा सकता है. म्यूचुअल फंड को सीनियर सिटिजन्स के लिए एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा सकता है, जिन्हें निवेश में फ्लेक्सिबिलिटी की जरूरत होती है. इसके साथ ही एमएफ सीनियर सिटिजन्स के निवेश को मुद्रास्फीति के असर से भी बचाता है.

लॉन्ग टर्म में मिलेगा ज्यादा रिटर्न

आमतौर पर सीनियर सिटिजन्स जोखिम भरे प्लान में निवेश नहीं करते हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि वो पहले ही रिटायर हो चुके हैं और मार्केट से जुड़े नुकसान नहीं उठाना चाहते हैं. वे हमेशा ऐसे प्लान में निवेश करना चाहते हैं, जो उन्हें गारंटीड रिटर्न का वादा करता है. इसके चलते ही वो पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट, बैंक डिक्स्ड डिपॉजिट या फिर नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश को प्राथमिकता देते हैं. हालांकि एमएफ भी सीनियर सिटिजन्स के लिए फायदेमंद होते हैं और उनके लिए एक बेहतर विकल्प बन सकते हैं. यह सच है कि मार्केट शॉर्ट टर्म की अवधि में आपको नुकसान दिखाई दे, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह आपको एक अच्छा रिटर्न देता है. 

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म्यूचुअल फंड निवेशक को कभी भी अपना निवेश वापस लेने का अधिकार देता है, जबकि यह विकल्प एनपीएस या किसी स्कीम में नहीं होता है. यानी सीनियर सिटिजन्स अपनी जरूरत के हिसाब से कभी भी अपना निवेश वापस पा सकते हैं. इसके अतिरिक्त म्यूचुअल फंड सीनियर सिटिजन्स को जरूरत के हिसाब से सभी परिसंपत्ति asset में अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने की भी छूट देता है. 

डेट म्यूचुअल फंड में करें निवेश

पहले पांच सालों के लिए सीनियर सिटिजन्स को डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए. आप अगले पांच सालों के रेगुलर खर्चों के लिए अपनी जरूरत के पैसे को बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. एक लार्ज कैप इक्विटी फंड का इस्तेमाल उन फंडों के लिए किया जा सकता है, जिनकी दस साल बाद जरूरत होगी. रिटायरमेंट के बाद निवेश से पहले आपको किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, ताकि वो आपको आप की जरूरत के हिसाब से कम जोखिम वाला में निवेश स्कीम के बारे में बता सके.

मौजूदा वक्त में बैंक सीनियर सिटिजन्स को फिक्स्ड डिपॉजिट पर 3% से 7% तक का ब्याज दे रहे हैं. सरकार ने हाल ही में पोस्ट ऑफिस में सीनियर सिटिजन्स की सेविंग स्कीम की ब्याज दरों  को बढ़ाकर 7.6% कर दिया है. वहीं नेशनल पेंशन स्कीम में निवेशकों को 9% से 12% तक तक का ब्याज मिल रहा है. 

FD के मुकाबले में डेट फंड में मिलेगा बेहतर रिटर्न

हर म्युचुअल फंड में एक अलग तरह का जोखिम होता है और वह उसी हिसाब से निवेशक को रिटर्न देता है. म्यूच्यूअल फंड में रिटर्न मार्केट से जुड़ा होता है, इसलिए यह कभी भी निर्धारित रिटर्न नहीं देता. हालांकि यह आपको ज्यादा रिटर्न हासिल करने का विकल्प देता है. अगर आप रिटायर हो चुके हैं और शॉर्ट टर्म में निवेश करना चाहते हैं, तो आप अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों के शॉर्ट-टर्म बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. बैंक FD के मुकाबले में ये डेट फंड आपको बेहतर रिटर्न दे सकते हैं.

मौजूदा म्युचुअल फंड टैक्स रुल्स के अनुसार जब आप उन्हें भुनाते हैं तो आपको अपने निवेश पर पूंजीगत बेनिफिट्स टैक्स का भुगतान करना होगा. डेट फंड और डेट-ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड्स के लिए 3 साल से कम समय के लिए निवेश शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) के अधीन हैं और आपको अपने आयकर ब्रैकेट के अनुसार टैक्स का भुगतान करने की जरूरत है. भुनाए गए निवेश को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में माना जाता है, अगर बेनिफिट्स कम से कम 3 साल की स्कीम में निवेश पर मिला है तो इंडेक्सेशन के बाद LTCG पर 20% टैक्स लगता है.

(By Abhinav Angirish, Founder, Investonline.in)

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