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म्‍यूचुअल फंड, FD, एन्युटी और सरकारी स्‍कीम की मिलाएं ताकत, रिटायरमेंट के बाद रेगुलर चेक का हो जाएगा इंतजाम

Financial Protection : खास तौर पर निजी क्षेत्र में नौकरी करने वालों के लिए गारंटीड पेंशन की कमी के चलते, रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम की जरूरत अब बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, ताकि बुढ़ापे में भी वित्तीय सुरक्षा मिल सके.

Financial Protection : खास तौर पर निजी क्षेत्र में नौकरी करने वालों के लिए गारंटीड पेंशन की कमी के चलते, रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम की जरूरत अब बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, ताकि बुढ़ापे में भी वित्तीय सुरक्षा मिल सके.

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Sushil Tripathi
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lumpsum vs swp, best way to withdraw mutual fund money

Retirement Planning : एफडी, म्यूचुअल फंड, एन्युटी और सरकारी योजनाओं में डाइवर्सिफिकेशन के जरिए, आप रिटायरमेंट के बाद एक इनफ्लेशन-प्रूफ पे चेक बना सकते हैं. (Image : Pixabay)

Post Retirement Pay Cheque : खास तौर पर निजी क्षेत्र में नौकरी करने वालों के लिए गारंटीड पेंशन की कमी के चलते, रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम की जरूरत अब बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, ताकि बुढ़ापे में भी वित्तीय सुरक्षा मिल सके. एक अच्छी तरह से तैयार की गई फाइनेंशियल प्लानिंग यह सुनिश्चित करती है कि रिटायरमेंट के दौरान वित्तीय रूप से तनाव की बजाय, आराम और वित्तीय सुरक्षा बनी रहे. एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक भारत में पुरुषों और महिलाओं के 75 साल और 80 साल से अधिक उम्र तक जीने का अनुमान है. 

इसका मतलब यह है कि वर्किंग ईयर जिसमें आपको रेगुलर पे चेक मिलता रहता है, उसके बाद के लिए आपको अपना रिटायरमेंट प्‍लान ऐसे बनाना चाहिए कि आगे 15-20 साल तक मेडिकल इमरजेंसी और घरेलू खर्च जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए रेगुलर ओल्‍ड एज इनकम और सुरक्षा मिलती रहे. 

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बड़ौदा बीएनपी पारिबा म्यूचुअल फंड के सीआईओ - फिक्स्ड इनकम, प्रशांत पिंपले का कहना है कि रिटायरमेंट के बाद की अवधि को ध्यान में रखते हुए, इसे समय नजदीक आने पर नहीं छोड़ा जा सकता है और इसके बजाय एक फोकस्ड अप्रोच की जरूरत होती है.  एक अच्छी तरह से तैयार किया गया रिटायरमेंट इनकम प्‍लान किसी के लिए फाइनेंशियल फ्रीडम और सुरक्षा सुनिश्चित करती है. फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट (Fixed Deposit), म्यूचुअल फंड, एन्युटी और सरकारी योजनाओं में डाइवर्सिफिकेशन के जरिए, आप रिटायरमेंट के बाद एक स्थायी और इनफ्लेशन-प्रूफ पे चेक बना सकते हैं.

अपनी रेगुलर इनकम की जरूरतों को तय करें

अपने अनुमानित खर्चों को समझना और उनकी योजना बनाना रिटायरमेंट के बाद की ठोस इनकम स्‍ट्रैटेजी का आधार है. इन खर्चों को इस प्रकार क्‍लासिफाइड किया जा सकता है.

जरूरी मंथली खर्च  : ग्रॉसरी, यूटिलिटीज, ट्रांसपोर्टेशन, हेल्‍थकेयर और इंश्‍योरेंस प्रीमियम. 

तिमाही और सालाना खर्च : हेल्‍थ चेकअप, प्रॉपर्टी टैक्स और इंश्योरेंस का रिन्‍यू.

स्‍पेंडिंग : शौक (हॉबीज), ट्रैवल, इंटरटेनमेंट और डाइनिंग आउट (बाहर जाकर खाना पीना)।

पीरियॉडिक और लम्प सम जरूरतों पर खर्च : घर का रेनोवेशन, पुरानी कार की जगह नई कार खरीदना, फैमिली फंक्शन या मेडिकल इमरजेंसी.

प्रशांत पिंपले का कहना है कि पारंपरिक समझ तो यह कहती है कि आपको रिटायरमेंट में कम पैसे की आवश्यकता होगी, क्योंकि यह माना जाता है कि रिटायरमेंट के बाद आपकी जरूरतें कम होंगी. लेकिन आज के दौर में रिटायर हुए लोगों की जरूरतें अधिक हैं. वे अपने सपनों को जीने के लिए रिटायरमेंट के बाद के समय का उपयोग करना चाहते हैं, जो उनके पास अपनी नौकरी के दिनों या वर्किंग ईयर्स में कभी नहीं था. रिस्‍क और रिटर्न को बैलेंस करने वाले स्मार्ट निवेश के साथ अपनी मनपसंद जीवनशैली को बनाए रखना आसान हो सकता है. 

भारत में ट्रेडिशनल रिटायरमेंट इनकम सोर्स

जो निवेशक गारंटीड रिटर्न को प्राथमिकता देना चाहते हैं, उनके लिए एन्युटी के मिक्स को प्राथमिकता दी जा सकती है, साथ ही फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट या सीनियर सिटीजेंस सेविंग्‍स स्‍कीम को भी प्राथमिकता दी जा सकती है. हालांकि, ध्यान रखें कि यह विकल्प तुलनात्मक रूप से कम रिटर्न देता है. 

रेगुलर पेआउट के लिए म्यूचुअल फंड योजनाओं का उपयोग 

सिस्‍टमैटिक विद्ड्रॉल प्‍लान (SWP Investment) आपको अपनी खुद की जरूरतों के अनुसार पे चेक बनाने में मदद कर सकता है, जबकि आपकी बचत का शेष हिस्‍सा आपके लिए कमाई जारी रखने में मदद करता है. 

SWP का उपयोग डेट म्यूचुअल फंड (Mutual Fund), आर्बिट्रेज फंड, मल्टी एसेट और हाइब्रिड इक्विटी स्कीम में भी किया जा सकता है. 

आपके रिटायरमेंट प्‍लान में बचत और निवेश का फेज, समय और एसेट एलोकेशन पर निर्भर करता है. आप जितनी जल्दी प्‍लानिंग की शुरुआत करेंगे, आपके लक्ष्य तक पहुंचने की संभावना उतनी ही अधिक होगी. लंबी निवेश अवधि होने से आपको ऐसे विकल्पों में निवेश की अनुमति भी दे सकती है, जो इक्विटी फंड जैसे बेहतर रिटर्न दिला सकते हैं. 

रिटायरमेंट विद्ड्रॉल को ऑप्टिमाइज करें

अब जब आपने पर्याप्त बचत (Retirement Fund) कर ली है, तो अपनी इस मेहनत के फल का आनंद लेने का समय आ गया है. यह जानना कि अपने पैसे को कैसे निकालना है, उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि इसे कैसे निवेश करना है. नीचे दिए गए फेज का पालन करने से आपको इसे प्रभावी ढंग से स्‍ट्रक्‍चर्ड करने में मदद मिलेगी.

टैक्‍स-एफिशिएंट विद्ड्रॉल अप्रोच

कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और एनपीएस से अलग-अलग निकासी से टैक्स बेनेफिट बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

टैक्‍स एफिशिएंट इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड से निकासी को कुशलतापूर्वक स्‍ट्रक्‍चर्ड करें ताकि लोअर कैपिटल गेंस टैक्स का लाभ उठाया जा सके.

Fixed Deposit SWP Investment Mutual Fund Retirement Fund