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Mutual Funds Portfolio: 10 लाख रुपये करना चाहते हैं निवेश, म्यूचुअल फंड में कैसे बनाएं मजबूत पोर्टफोलियो

Mutual Funds Investment: एग्रेसिव इन्वेस्टर्स नहीं है, लेकिन इक्विटी में मिलने वाले हाई रिटर्न का लाभ लेना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड बेस्ट विकल्प है.

Mutual Funds Investment: एग्रेसिव इन्वेस्टर्स नहीं है, लेकिन इक्विटी में मिलने वाले हाई रिटर्न का लाभ लेना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड बेस्ट विकल्प है.

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Sushil Tripathi
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Mutual Funds

Strong Portfolio: एक्सपर्ट डेट सेग्मेंट में शॉर्ट ड्यूरेशन स्कीम चुनने की सलाह दे रहे हैं.

How to Build Strong MF Portfolio: एक निजी कंपनी में काम करने वाले 30 साल के राहुल ने अबतक निवेश और बचत के बारे में खास ध्यान नहीं दिया. छोटे मोट फाइनेंशियल गोल को पूरा करने में ही उनकी बचत खर्च होती रही. लेकिन 30 साल की उम्र में अब उन्हें भविष्य में फाइनेंशियल फ्रीडम की चिंता सताने लगी है. कुछ लोगों ने उन्हें स्माल सेविंग्स स्कीम के बारे में सलाह दी, लेकिन महंगाई दर को देखते हुए उन्हें ये बचत योजनाएं आकर्षक नहीं लगी. वह अपनी बचत से एक मजबूत म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं और इस समय उनके पास 10 लाख रुपये निवेश करने के लिए है. असल में म्यूचुअल फंड में निवेश सही तरह से किया जाए तो लंबी अवधि में हाई रिटर्न हासिल किया जा सकता है.

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क्यों म्यूचुअल फंड

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बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि अगर आप एग्रेसिव इन्वेस्टर्स नहीं है, लेकिन इक्विटी में मिलने वाले हाई रिटर्न का लाभ लेना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड बेस्ट विकल्प है. इक्विटी लिंक्ड स्कीम में हाई रिटर्न के साथ भविष्य के लिए दौलत जुटाने में मदद मिलती है. हालांकि म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो का एक हिस्सा डेट में भी रखना समझदारी है. उनका कहना है कि अगर आप मौजूदा समय में 10 लाख रुपये निवेश करना चाहते हैं तो इसे अलग अलग तरह के 5 सेग्मेंट में डाल सकते हैं. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि बाजार अभी हाई वैल्युएशन पर ट्रेड कर रहा है, इसलिए सेग्मेंट चुनते समय सावधानी जरूरी है.

कैसे बनाएं मजबूत पोर्टफोलियो

निगम का कहना है कि 10 लाख रुपये को बराबर बराबर 5 हिस्सों में बांट सकते हैं. यानी हर हिस्से में 2 लाख रुपये. इसके बाद इन 5 हिस्सों को 5 तरह के सेग्मेंट में निवेश करें. जो सेग्मेंट अभी बेहतर विकल्प हैं, उनमें 2 लाख रुपये लार्ज एंड मिडकैप सेग्मेंट में, 2 लाख रुपये फ्लेक्सी कैप फंड में, 2 लाख रुपये मिडकैप सेग्मेंट में, 2 लाख रुपये बैलेंस एडवांटेज फंड में और सबसे जरूरी 2 लाख रुपये इमरजेंसी फंड के लिए डेट स्कीम में निवेश करें.

उनका कहना है कि लार्ज एंड मिडकैप में ब्लूचिप शेयरों में तेजी के साथ मिडकैप की तेजी का फायदा मिलेगा. वहीं एक सेग्मेंट अलग से मिडकैप का रखें, क्योंकि इस सेग्मेंट में आगे तेजी आने की उम्मीद है. बैलेंस एडवांटेज फंड में इक्विटी और डेट दोनों का विकल्प मिलेगा. जबकि फ्लेक्सी कैप फंड का फायदा यह है कि बाजार के मूड और महौल के हिसाब से अलग अलग मार्केट कैप वाली कंपनियों में निवेश की फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है. इसमें ुंड मैनेजर लार्जकैप, मिडकैप या स्मालकैप का विकल्प चुन सकते हैं.

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एक साथ न लगाएं पैसा, चुनें STP मोड

एके निगम का कहना है कि मौजूदा समय में एक साथ ही किसी स्कीम में पैसा न लगाएं. इसकी बजाए सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान यानी STP मोड में निवेश करें. अभी के दौर में वीकली STP चुन सकते हैं. 1 साल में 54 हफ्ते मान लें तो 54 बार में 2 लाख एक सेग्मेंट की अलग अलग स्कीम में निवेश करें.

यहां इसे उदाहरण से समझ सकते हैं कि आपने किसी फंड में पैसा डाल दिया है. यहां आपको ठीक ठाक रिटर्न मिल रहा है लेकिन किसी दूसरे फंड में रिटर्न इससे भी अच्छा है. आप दूसरे फंड में बेहतर रिटर्न के लिए पैसा ट्रांसफर करना चाहते हैं. इस स्थिति में आप एक स्कीम से दूसरी स्कीम में सिस्टमैटिक तरीके से यानी कुछ किस्तों में ट्रांसफर कर सकते हैं. STP का विकल्प भी SIP की ही तरह निवेशक खुद चुनता है.

असल में एकमुश्त पैसा इक्विटी में डालना रिस्की हो सकता है. इसलिए जब आप STP के जरिए थोड़ा-थोड़ा कर इन्वेस्ट करते हैं तो आपकी रिस्क काफी कम हो सकती है. बता दें कि SIP एक इन्वेस्टमेंट प्लान है और STP ट्रांसफर प्लान है. SIP में पैसा बैंक अकाउंट से डेबिट होकर म्यूच्युअल फंड स्कीम में जमा होता है. जबकि STP के जरिए एक म्यूच्युअल फंड से दूसरे म्यूच्युअल फंड में पैसा जमा होता है.

डेट फंड में शॉर्ट ड्यूरेशन स्कीम

एक्सपट्र डेट सेग्मेंट में शॉर्ट ड्यूरेशन स्कीम चुनने की सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि अभी रेट हाइक का दौर पॉज हुआ है और आगे हो सकता है कि अब केंद्रीय बैंक दरों में कटौती भी शुरू करें. ब्याज दरों में कटौती होती है तो बॉन्ड मार्केट में तेजी आती है. ऐसे में आगे बॉन्ड मार्केट से बेहतर रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है. इसलिए अगर आपके पास शॉर्ट मैच्योरिटी वाले बॉन्ड हैं तो उन्हें भुनाकर ज्यादा ब्याज के लिए फिर से निवेश किया जा सकता है. जबकि लॉन्ग ड्यूरेशन स्कीम में पैसा फंस गया तो आगे बढ़े ब्याज का फायदा नहीं मिलेगा. अगर आप मैच्योरिटी के पहले पैसा निकालते हैं तो नुकसान होगा.

एक ही फंड हाउस न चुनें

एक्सपर्ट का कहना है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय किसी भी सेग्मेंट में एक ही फंड हाउस का चुनाव न करें. बल्कि अलग अलग फंड हाउस द्वारा जारी स्कीम में पैसे लगाएं, इससे जोखिम कम होता है.

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