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Investment Approach: बहुत से निवेशक किसी स्कीम का पुराना रिटर्न देखकर ही निवेश करने का निर्णय ले लेते हैं. (pixabay)
Investment Strategy: निवेशक अगर नए हैं तो निवेश के पहले वह किसी स्कीम का प्रदर्शन देखते हैं. आमतौर पर यह एक ट्रेंड भी है कि बहुत से लोग ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करने की सोचते हैं, जिनका पुराना रिटर्न बेहतर रहा हो. यह भी अक्सर देखा गया है कि निवेशक किसी के द्वारा सुझाए गए फंड को चुनते हैं, लेकिन कुछ समय बाद जब स्कीम उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती और वे सोचते हैं कि क्या उन्हें इससे बाहर निकल जाना चाहिए. लेकिन क्या यह सही स्ट्रैटेजी है या गलत. यह जानना जरूरी है कि हमें किसी म्यूचुअल फंड का चयन कैसे करना चाहिए. पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ अजीत मेनन ने इस बारे में कुछ जानकारी दी है.
सही इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट का चयन कैसे करें?
अजीत मेनन के अनुसार इस कॉमनसेंस अप्रोच को हममें से अधिकांश लोग अपनाते हैं. बहुत से निवेशक ऐसे हें जो कुछ वेबसाइट, समाचार पत्रों और टीवी को देखते हैं और उसमें दी गई जानकारी के आधार पर यह पाते हैं कि इन इन्वेस्टमेंट विकल्पों ने हाल में अच्छा प्रदर्शन किया है, हर कोई इसके बारे में बात कर रहा है और हम उसी ट्रेंड को फॉलो करने (अनुसरण) का निर्णय लेते हैं.
मुझे लगता है कि इसका इस फैक्ट से काफी लेना-देना है कि हम इंसान हैं. हम कुछ पूर्वाग्रहों का सामना करते हैं जो हम सभी में होते हैं, उनमें से सबसे बड़ा हाल का पूर्वाग्रह है. आप हाल फिलहाल में हुई किसी भी चीज को देखते हैं और विश्वास करते हैं कि यह जारी रहेगा. ऐसा करने से हमारे निवेश को क्या खतरा है, इस वास्तव में जानने और समझने वाली बात है.\
रिटर्न की निरंतरता को ब्रेक तो नहीं कर रहे
यह खतरा कुछ ऐसा है जिसे आपके किसी लक्ष्य के लिए 'रिटर्न की निरंतरता को तोड़ना' (ब्रेकिंग द सीक्वेंस ऑफ रिटर्न) कहा जाता है. इसका मतलब यह है कि अगर आपने अपनी बेटी को भविष्य की पढ़ाई के लिए विदेश भेजने का लक्ष्य तय किया है. मान लीजिए कि लक्ष्य 10 साल दूर है और 10 साल बाद आपको 20 लाख रुपये की आवश्यकता होगी. आपका सलाहकार आपको 10 साल तक कुछ म्यूचुअल फंड में हर महीने करीब 10,000 रुपये निवेश करने की सलाह देता है, जो 10 फीसदी सालाना रिटर्न मानकर इस फंड को बनाने में मदद कर सकता है.
एक इंसान के तौर पर, हमें जिन निवेश स्कीम के बारे में लगता है कि वे बेहतर रिटर्न दे सकते हैं, उनका पीछा करते हुए 5 साल में ही टारगेट तक पहुंचना चाहेंगे. ऐसे में आमतौर पर आप हाई रिस्क वाले निवेश विकल्पों में निवेश करते हैं और बाद में महसूस करते हैं कि पोर्टफोलियो इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है या नकारात्मक रिटर्न दे रहा है. इस समय, आप उन पॉपुलर/ट्रेंडिंग निवेश विकल्पों को जोड़कर अपने पोर्टफोलियो में फिर से फेरबदल करते हैं, जिनमें कई निवेशक पैसा लगा रहे हैं. इस तरह आप अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रिटर्न के क्रम को बिगाड़ने की गलती करते हैं.
जब आपने 100 रुपये का निवेश किया है और यदि वह निवेश घटकर 50 रुपये हो जाता है, तो इसका मतलब है कि आपको 50 फीसदी का नुकसान हुआ है. लेकिन उस 50 रुपये को वापस 100 रुपये पर ले जाने के लिए, रिटर्न की आवश्यक दर क्या है? आपको अपने 50 रुपये को वापस 100 रुपये पर ले जाने के लिए उस पर 100 फीसदी रिटर्न की आवश्यकता है. नीचे जाते समय यह 50 फीसदी का नुकसान है, ऊपर जाते समय उसी चीज को आपको 100 रुपये पर वापस लाने के लिए 100 फीसदी रिटर्न की आवश्यकता होती है.
ऐसा तब होता है जब आप इसे 10-ईयर लक्ष्य तक बढ़ाते हैं और आपके पास कुछ निवेश हैं जो आपको लगता है कि अभी बहुत अच्छे हैं और यह आपको दूसरे साल या तीसरे साल में निगेटिव रिटर्न देता है. दरअसल, इक्विटी फंड निगेटिव रिटर्न दे सकते हैं. अगर आप ऐसे फंड चुनते हैं जिन्होंने हाल ही में डबल डिजिट में रिटर्न दिया है और उनमें निवेश करते हैं, तो वही फंड आपके निवेश के बाद आपको कम रिटर्न या निगेटिव रिटर्न दे सकते हैं.
यही कंपाउंडिंग का मैजिक है. यही वजह है कि आपको रिटर्न का क्रम नहीं बिगाड़ना चाहिए. एक अच्छा पोर्टफोलियो खरीदना और उसे बनाए रखना, लक्ष्य की अवधि पूरा होने तक उसके साथ छेड़छाड़ करने की तुलना में कहीं बेहतर रणनीति है.
लक्ष्य के बीच में निवेश को न छेड़ें
अब क्या आप रिटर्न रिस्क के सीक्वेंस यानी क्रम को समझते हैं? यह उस समय सीमा के दौरान आपके पोर्टफोलियो पर कंपाउंडिंग के प्रभाव को प्रभावित नहीं करने के बारे में है जब आप अपने लक्ष्य पूरे करने के लिए योजना बना रहे होते हैं. कभी-कभी यह निवेश के साथ छेड़छाड़ करने की एक मानवीय प्रवृत्ति है, जैसे कि हम टारगेट की अवधि के बीच में ही अपनी कार/बाइक को बदलना चाहते हैं. लेकिन सबसे अच्छा तरीका यह है कि एक बार जब आप बेहतर फंड चुन लेते हैं जो आपके लक्ष्य पूरा होने के क्रम में रिटर्न रेंज देने के लिए पर्याप्त हैं, तो उनके साथ छेड़छाड़ न करें.
यहीं पर एक अच्छे भरोसेमंद वित्तीय सलाहकार का महत्व समझ में आता है जो आपको अपने लक्ष्य और योजना पर टिके रहने में मदद कर सकता है. यह वह सेंसेक्स या निफ्टी नहीं है जिसे आपको देखना चाहिए, बल्कि आपको अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.