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Image: PTI
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नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को एक ग्राहक को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. इसकी वजह है कि बैंक उस ग्राहक को उसकी प्रॉपर्टी के टाइटल डीड्स यानी मालिकाना हक के कानूनी कागजात लौटाने में नाकामयाब रहा, जो उसने लोन के एवज में बैंक को दिए थे.
यह केस कोलकाता निवासी अमितेश मजूमदार का है. उन्होंने SBI में अपनी प्रॉपर्टी के टाइटल डीड्स देकर 13.5 लाख रुपये का लोन लिया था. लोन की पूरी राशि चुका देने के बाद भी उन्हें बैंक से उनकी प्रॉपर्टी के कागजात वापस नहीं मिले.
ग्राहक को कितना बड़ा नुकसान
बैंक ने माना कि मजूमदार ने लोन चुका दिया है लेकिन यह भी कहा कि उनकी प्रॉपर्टी के कानूनी दस्तावेजों का पता नहीं लग पा रहा है. NCDRC ने पाया कि बिना वास्तविक कागजात के ग्राहक न ही अपनी अचल संपत्ति की वास्तविक मार्केट वैल्यू पा सकता है और न ही भविष्य में किसी अन्य बैंक से उस प्रॉपर्टी के एवज में कोई लोन.
NCDRC ने पश्चिम बंगाल स्टेट कंज्यूमर कमीशन के उस आदेश का समर्थन किया, जिसमें SBI को मजूमदार को हर्जाने के तौर पर 5 लाख रुपये और मुकदमेबाजी की लागत के रूप में 30000 रुपये का भुगतान करने को कहा गया है.
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यह भी दिया है निर्देश
कंज्यूमर फोरम ने SBI को मजूमदार की प्रॉपर्टी के कागजात खो जाने की खबर तीन बड़े दैनिक अखबारों में छपवाने और FIR दर्ज कराने का भी निर्देश दिया है. NCDRC ने बैंक की रिवीजन पिटीशन को खारिज करते हुए कहा कि ग्राहक की प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के नुकसान की भरपाई के तौर पर राज्य व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट दोनों के द्वारा तय किया गया हर्जाना काफी नहीं है. हालांकि यह न्यायसंगत है.