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Tax Rules: म्यूचुअल फंड कंपनियां 1 अप्रैल से पहले डेट स्कीम को प्रमोट करने में लगी हैं
Tax Rules Change on Debt Funds: म्यूचुअल फंड कंपनियां 1 अप्रैल से पहले तक उन निवेशकों के बीच डेट स्कीम को प्रमोट करने में लगी हैं, जो लॉन्ग टर्म में निवेश के जरिए टैक्स बेनेफिट लेना चाहते हैं या जो इंडेक्सेशन का लाभ लेना चाहते हैं. असल में केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल से डेट स्कीम पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) खत्म कर दिया है, यानी इस पर अब इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा. इसी के चलते फंड हाउसेस द्वारा बहुत सी डेट स्कीम सब्सक्रिप्शन के लिए फिर से खोल दी गई हैं. असल में संसद में पिछले हफ्ते अहम संसोधनों के साथ फाइनेंस बिल को मंजूरी मिल गई है, जिसमें यह प्रावधान किया गया है. फिलहाल जब डेट म्यूचुअल फंड में टैक्स के नियमों को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है, निवेशकों को इन स्कीम के साथ क्या करना चाहिए. और कौन से विकल्प उनके पास हैं.
फंड हाउस क्यों कर रहे हैं प्रमोट
डेट म्यूचुअल फंड पर 1 अप्रैल 2023 से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स का बेनेफिट नहीं मिलेगा. इस पर सिर्फ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (STCG) देना होगा. लेकिन 31 मार्च 2023 तक किए गए सभी निवेश पर LTCG और इंडेक्सेशन बेनेफिट मिलता रहेगा. इसी के चलते फंड हाउस का फोकस ऐसी योजनाओं में 1 अप्रैल के पहले ज्यादा से ज्यादा फ्लो बढ़ाने पर है.
टैक्स बचत के लिए और क्या हैं विकल्प
बाजार में टैक्स सेविंग के लिए और भी कई विकल्प हैं. इनमें ELSS, FD, PPF, SCSS, SSY, NPS, इंश्योरेंस स्कीम हैं. अगर आप बाजार का कुछ रिस्क लेने को तैयार हैं तो इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम में पैसा लगा सकते हैं, जहां तुलना में हाई रिटर्न की गुंजाइश है. बैंकों की टैक्स सेविंग्स एफडी के लिए लॉक इन 5 साल का होता है, वहीं इनमें तय ब्याज के हिसाब से रिटर्न मिलता है. इस पर रिटर्न डेट स्कीम की ही तरह है. 15 साल की मैच्योरिटी वाली स्कीम पीपीएफ में सालाना 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर 80सी के तहत टैक्स लाभ ले सकते हैं. SCSS, SSY और एनपीएस में भी टैक्स बेनेफिट मिलता है.
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डेट फंड मे अब क्या करना चाहिए
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि नए नियम के बाद डेट फंड, एफडी या हाइब्रिड फंड सभी एक जैसे हो जाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं है कि डेट स्कीम का आकर्षण खत्म होगा. डेट पर अभी भी कोई एग्जिट लोड नहीं है, यानी आप इसे कभी भुना सकते हैं. दूसरी टैक्स सेविंग स्कीम में ऐसा बेनेफिट नहीं मिलता है. दूसरी ओर अगर आप 31 मार्च तक डेट फंड्स में पैसा लगाते हैं तो उस पर पहले की तरह इंडेक्सेशन बेनिफिट मिलता रहेगा. इससे अगर आप इंडेक्सेशन के साथ इन योजनाओं के जरिए टैक्स बेनेफिट चाहते हैं तो खासतौर से मिड ड्यूरेशन वाले डेट फंडों में पैसा लगा सकते हैं. ऐसी योजनाओं में रिटर्न बेहतर हुआ है और 8 फीसदी तक सालाना रिटर्न मिला है, जो एफडी से ज्यादा है.
क्या है इंडेक्सेशन बेनेफिट
इंडेक्सेशन बेनिफिट्स होल्डिंग पीरियड के दौरान महंगाई के हिसाब से तय होता है और आपके टैक्स को कम कर देता है. महंगाई काफी ज्यादा होने पर तो इंडेक्शन बेनिफिट से टैक्स बहुत कम हो जाता है. हालांकि 1 अप्रैल से यह सिस्टम बदल रहा है और शॉर्ट टर्म गेन की तरह लॉन्ग टर्म गेंस को भी निवेशकों की इनकम में शामिल किया जाएगा और इस पर नॉर्मल स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा. यानी 1 अप्रैल से ऐसे म्यूचुअल फंड निवेश पर होने वाली आय पर निवेशकों को अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से ही टैक्स भरना पड़ेगा. ऐसे में टैक्स बेनेफिट चाहने वाले निवेशकों को इससे नुकसान होगा.
अभी डेट फंड में लंबी अवधि में इंडेक्सेशेन बेनेफिट लेने पर 20 फीसदी LTCG और बिना इंडेक्सेशन के 10 फीसदी टैक्स लगता है. लेकिन बदलाव के बाद ये टैक्स बनेफिट हट जाएंगे और निवेशक के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा. बता दें कि 36 महीने से पहले डेट म्यूचुअल फंड यूनिट्स बेचने पर होने वाली आय पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस लगता है. लेकिन 36 महीने से ज्यादा होल्डिंग पीरियड के बाद यूनिट बेचने पर होने वाली आय पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस लगता है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 फीसदी टैक्स लगता है.