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No-Cost EMI: शॉपिंग को आसान बनाती है नो कॉस्ट ईएमआई, लेकिन खरीदारी से पहले समझ लें तमाम शर्तें और चार्जेज़

अगर आप नो-कॉस्ट ईएमआई के जरिए फ्रिज, टीवी या वॉशिंग मशीन जैसी चीजें खरीदने का मन बना रहे हैं, तो पहले इससे जुड़ी अहम बातों को अच्छी तरह समझ लें.

अगर आप नो-कॉस्ट ईएमआई के जरिए फ्रिज, टीवी या वॉशिंग मशीन जैसी चीजें खरीदने का मन बना रहे हैं, तो पहले इससे जुड़ी अहम बातों को अच्छी तरह समझ लें.

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FE Hindi Desk
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No cost EMI

नो-कॉस्ट ईएमआई (No-cost EMI) ग्राहकों के बीच काफी पापुलर है.

नो-कॉस्ट ईएमआई (No-cost EMI) ग्राहकों के बीच काफी पापुलर है. महंगे सामानों की ऑनलाइन खरीदारी करते वक्त बहुत से लोग इस विकल्प को चुनना पसंद करते हैं, क्योंकि उन्हें पूरी कीमत एक साथ नहीं चुकानी पड़ती. जाहिर है उन्हें बड़ी रकम को किस्तों में बांटकर EMI के रूप में चुकाना ज्यादा आसान लगता है. त्योहारी सीजन में अगर आप भी ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान नो-कॉस्ट ईएमआई की मदद से रेफ्रिजरेटर, टीवी या वॉशिंग मशीन जैसी चीजें खरीदने का मन बना रहे हैं, तो पहले इससे जुड़ी अहम बातों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए.

नो-कॉस्ट ईएमआई क्यों?

नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो किसी महंगे सामान को खरीदने के लिए एक साथ पूरी कीमत नहीं चुकाना चाहते. अगर आप नो-कॉस्ट EMI विकल्प के जरिए कोई सामान ऑनलाइन खरीदते हैं, और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से उसकी किस्त चुकाते हैं, इस दौरान मर्चेंट्स आपके द्वारा किए गए कार्ड पेमेंट पर डिस्काउंट या कैशबैक का ऑफर दिया जाता है. बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी (Adhil Shetty) कहते हैं कि नो-कॉस्ट EMI आपको क्रेडिट कार्ड के जरिए इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य सामानों की खरीदारी करने में मदद करता है. कई बार ऐसा भी होता है कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्म ज़ीरो ब्याज का लुभावना ऑफर देकर ग्राहकों को ईएमआई स्कीम के जरिए खरीदारी करने के लिए अट्रैक्ट करते हैं.

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क्या यह स्कीम आपके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित करती है ? 

बिल्कुल. नो कॉस्ट ईएमआई के जरिए खरीदारी करने के बाद अगर समय से किस्त न भरी जाए तो आपके क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर पड़ सकता है. ऐसे में EMI स्कीम का चुनाव करने से पहले ये जांच लें कि आप किस्तों की भरपाई आसानी से कर सकते हैं या नहीं.

नो-कॉस्ट ईएमआई और रेगुलर EMI में किसे चुनें

आम तौर पर नो-कॉस्ट ईएमआई स्कीम में ग्राहकों से सीधे-सीध ब्याज भले ही न लिया जाता हो, लेकिन उसकी लागत किसी न किसी रूप में उनसे ही वसूल की जाती है. ऐसा सामान की कीमत, प्रॉसेसिंग चार्ज या डिस्काउंट में एडजस्टमेंट करके किया जा सकता है. जबकि वही सामान अगर आप रेगुलर EMI पर खरीदते हैं, तो ब्याज का डिटेल आपको अलग से बता दिया जाता है. दोनों विकल्पों में कौन बेहतर है, ये फैसला करने के लिए आपको खरीदे गए सामान की कुल लागत पर ध्यान देना चाहिए, जिसमें रिटेल प्राइस, डिस्काउंट प्रॉसेसिंग चार्ज समेत सारी बातें शामिल हों.  

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अतिरिक्त चार्ज

नो-कॉस्ट ईएमआई स्कीम चुनते समय अतिरिक्त चार्ज के बारे में भी जरूर जान लेना चाहिए. इनमें प्री-पेमेंट पेनल्टी यानी पहले भुगतान करने पर ली जाने वाली रकम से लेकर लेट पेमेंट चार्ज समेत तमाम अतिरिक्त चार्ज शामिल हैं. EMI चुनने से पहले इन सबके बारे में जानकारी जुटा लेनी चाहिए.

अहम बातें

  • नो-कॉस्ट ईएमआई के जरिए शॉपिंग करने से पहले तमाम जरूरी बातों को अच्छी तरह समझ लिया जाए और पूरी सावधानी बरती जाए तो महंगे सामानों की खरीदारी के लिए ऐसे ऑफर फायदेमंद हो सकते हैं.
  • अगर क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनी नो-कॉस्ट ईएमआई के माध्यम से खरीदारी करने पर अतिरिक्त डिस्काउंट या कैशबैक का ऑफर दे रही हो, तो यह विकल्प बेहतर साबित हो सकता है.

(Article : Sanjeev Sinha)

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