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NCD में निवेश से पहले सिर्फ रेटिंग देखना काफी नहीं, जानिए और क्या-क्या चेक करना है जरूरी

NCD में निवेश से पहले निवेशकों को यह जांच लेना चाहिए कि वह सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड. सिक्योर्ड एनसीडी में जोखिम कम होता है.

NCD में निवेश से पहले निवेशकों को यह जांच लेना चाहिए कि वह सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड. सिक्योर्ड एनसीडी में जोखिम कम होता है.

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FE Online
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Non-convertible debentures factors to consider when investing in NCD

अगर आप पैसे की सुरक्षा के साथ अच्छा रिटर्न चाहते हैं, तो NCD में निवेश कर सकते हैं.

Non-convertible debenture : नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर (NCD) एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है जिसका उपयोग कंपनियां पब्लिक इश्यू के ज़रिए पैसा जुटाने के लिए करती हैं. अगर आप अपने पैसे की सुरक्षा के साथ अच्छा रिटर्न चाहते हैं, तो NCD में निवेश करना आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है. NCD कंपनियों के लिए आईपीओ की तरह पैसा जुटाने का एक ज़रिया है, लेकिन इन दोनों में अंतर भी है. कोई कंपनी जब NCD के ज़रिए पैसा जुटाती है तो इसे कर्ज की तरह लेती है. इसलिए कंपनी को लिए गए कर्ज पर ब्याज का भुगतान करना होता है. NCD की एक फिक्स्ड मैच्योरिटी डेट होती है और इसमें निवेशकों को एक निश्चित ब्याज दर के साथ रिटर्न मिलता है.

दो तरह के होते हैं एनसीडी

एनसीडी दो तरह के होते हैं. इसमें पहला है सिक्योर्ड एनसीडी. सिक्योर्ड एनसीडी में कंपनी की सिक्योरिटी होती है. इसका मतलब है कि अगर कंपनी निवेशकों को उनका पैसा पेमेंट नहीं कर पाती है, तो निवेशक कंपनी के एसेट को बेचकर अपना पैसा वसूल सकते हैं. एनसीडी का दूसरा प्रकार अनसिक्योर्ड एनसीडी है. इसमें कंपनी की सिक्योरिटी नहीं होती है. यानी अगर कंपनी निवेशकों को उनका पैसा लौटा नहीं पाती है तो ऐसे में निवेशकों के लिए अपना पैसा वापस लेना मुश्किल हो सकता है. सिक्योर्ड एनसीडी के मुकाबले अनसिक्योर्ड एनसीडी में जोखिम ज्यादा होता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि एनसीडी जैसे डेट इंस्ट्रूमेंट में ट्रेडिशनल डेट निवेशों की तुलना में बेहतर रिटर्न मिलता है इसलिए निवेशक इसे अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने पर विचार कर सकते हैं.

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निवेश से पहले क्रेडिट रेटिंग के अलावा और किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी

आमतौर पर किसी भी एनसीडी इश्यू की क्वालिटी का आकलन करने के लिए निवेशक कंपनी का क्रेडिट रेटिंग देखते हैं. क्रेडिट रेटिंग, रेटिंग एजेंसियों द्वारा जारी किया जाता है. रेटिंग एजेंसियां जिन कंपनियों को अच्छी रेटिंग देती हैं, उन्हें निवेश के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है. हालांकि कई ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जहां क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर सवाल उठाए गए हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या NCD में निवेश के लिए सिर्फ कंपनी का रेटिंग देखना काफी है? एक्सपर्ट्स का मानना है कि एनसीडी निवेश का एक अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन इसके लिए रिस्क प्रोफाइल और एनसीडी से संबंधित जानकारी, जैसे क्रेडिट रेटिंग को समझना अहम है. जानकारों की मानें तो सिर्फ क्रेडिट रेटिंग के भरोसे निवेशकों को किसी भी कंपनी में निवेश करने से बचना चाहिए और उन्हें इन बातों का ध्यान भी रखना चाहिए -

  • एनसीडी सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड : एनसीडी में निवेश से पहले निवेशकों को यह जांच लेना चाहिए कि वह सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड. सिक्योर्ड एनसीडी में जोखिम कम होता है. इसके अलावा निवेशकों को एनसीडी की अवधि पर भी जरूर ध्यान देना चाहिए. रिस्क के लिहाज से एनसीडी की अवधि कम हो तो निवेशकों के लिए यह अच्छा है.
  • ब्याज दर : किसी भी एनसीडी में निवेश से पहले यह जांच लेना चाहिए कि कंपनी कितना ब्याज दर ऑफर कर रही है. इसके ज़रिए आप टैक्स और इन्फ्लेशन के बाद के रिटर्न की गणना कर सकते हैं.
  • इश्यू का उद्देश्य: निवेशकों को इस बात को समझना चाहिए कि पैसा किस उद्देश्य से जुटाया जा रहा है. क्या धन का उपयोग मौजूदा ऋणों का भुगतान करने के लिए किया जाएगा या बिजनेस संबंधी उद्देश्य या पूंजी निवेश के लिए किया जाएगा. इसे समझते हुए ही निवेशकों को निवेश संबंधी फैसले लेने चाहिए.
  • जानकारों का मानना है कि रेटिंग एजेंसियां, कंपनियों को अपने ओपिनियन के हिसाब से रेटिंग देती हैं. किसी कंपनी की रेटिंग अच्छी है यह इस बात की गारंटी नहीं है कि वह कंपनी आगे अच्छा परफॉर्म करेगी.
  • किसी भी एनसीडी इश्यू को समझने के लिए बेहतर तरीका यह है कि उस कंपनी के बिजनेस क्वालिटी को समझा जाए और यह देखा जाए कि वह कंपनी कितनी डाइवर्सिफाइड है. अगर कंपनी का बिजनेस डाइवर्सिफाइड है, तो निवेशकों के लिए ऐसी कंपनियों में जोखिम कम होता है.
  • जानकारों का मानना है कि निवेशकों को मौजूदा रेटिंग के आधार पर फैसले नहीं लेने चाहिए और इसके अलावा पिछले एक-दो साल की रेटिंग को भी देखना चाहिए. इससे आप यह समझ पाएंगे कि कंपनी का पिछले कुछ सालों में ओवरऑल प्रदर्शन कैसा है.
  • जानकारों का कहना है कि निवेशकों को कंपनी का क्रेडिट रेटिंग तो देखना ही चाहिए, इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वे इसके लिए किस क्रेडिट रेटिंग एजेंसी पर भरोसा कर रहे हैं. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी भरोसेमंद है या नहीं, इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है.