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Government Bond: अब रिटेल इनवेस्टर्स सरकारी बॉन्ड में RBI के जरिए सीधे लेनदेन कर सकते हैं.
Government Bond: अब रिटेल इनवेस्टर्स सरकारी बॉन्ड में RBI के जरिए सीधे लेनदेन कर सकते हैं. आम निवेशक रिजर्व बैंक आफ इंडिया के जरिए प्राइमरी और सेकंडरी दोनों मार्केट में ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार 5 फरवरी को मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू जारी करते हुए इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि सरकारी बॉन्ड में लेनदेन करने के लिए अब कोई भी RBI में अकाउंट खुलवा सकता है. इस फैसले के साथ ही इंडिया अब उन देशों की लिस्ट में शामिल हो चुका है जहां आम निवेशक सरकारी बॉन्ड में लेनदेन करते हैं. यह एक बड़ा स्ट्रक्चरल बदलाव है.
रिस्क कम, स्टेबल रिटर्न
देखा जाए तो अभी भी निवेशक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेन देन करते हैं. लेकिन अब वे आरबीआई के जरिए सीधे गवर्नमेंट बांड में लेन देन कर सकेंगे. यह एक नया कदम है. असल में सरकारी बॉन्ड में रिटेल इनवेस्टर्स की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सरकार और RBI ने कई अहम कदम उठाए हैं. यह भी उन्हीं में शामिल है. बता दें कि गवर्नमेंट बांड को निवेश के लिए सुरक्षित माना जाता है. इसे सरकार जारी करती है, इसलिए इनमें रिस्क नहीं या बहुत कम होता है. इन बॉन्ड पर कम लेकिन स्टेबल रिटर्न मिलता है.
क्या है G-sec?
गवर्नमेंट बांड ऐसा डेट इंस्ट्रूमेंट है, जिसकी खरीद-फरोख्त होती है. केंद्र और राज्य सराकरों इन्हें जारी करती हैं. केंद्र या राज्यों की सरकारों को कई बार फंड की जरूरत पड़ती है. कई बार लिक्विडिटी क्राइसिस की स्थिति बनती है. ऐसे में बाजार से पैसा जुटाने के लिए वे ऐसे बांड जारी करती हैं. यह छोटी और लंबी अवधि दोनों के लिए जारी किए जाते हैं.
छोटी अवधि की सिक्युरिटी ट्रेजरी बिल कहलाती है जो 1 साल से कम अवधि के लिए जारी की जाती हैं. इस तरह की सिक्युरिटी एक साल से अधिक की अवधि के लिए जारी की जाती है तो इसे गवर्नमेंट बांड कहते हैं. केंद्र सरकार ट्रेजरी बिल और डेट सिक्युरिटीज, दोनों जारी करती है. राज्य सरकारें सिर्फ डेट सिक्युरिटीज ही जारी कर सकती हैं. ये बांड सरकार की तरफ से जारी किये जाते हैं, इसलिए इनमें जोखिम नहीं होता है.
अभी कौन करता है खरीद-बिक्री?
गवर्नमेंट बांड की खरीद बिक्री म्यूचुअल फंड, PF, बीमा कंपनियां, कमर्शियल बैंक, प्राइमरी डीलर, को-ऑपरेटिव बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और पेंशन फंड करते हैं. इसमें एक साथ खरीदने और बेचने की बोली लगाई जाती है. इसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को सीमित कारोबार की इजाजत दी गयी है. कंपनियां भी G-Sec की खरीद-बिक्री करती हैं.
क्या एफडी से अच्छा है विकल्प
कई ऐसे गवर्नमेंट बांड हैं, जिनमें पिछले 5 साल का रिटर्न 7 से 10 फीसदी सालाना तक है. वहीं कुछ 10 साल के मेच्योरिटी वाले बांड भी हैं, जिनमें 10 फीसदी सालाना तक के हिसाब से रिटर्न मिला है. अगर सही स्कीम का चुनाव करें तो रिटर्न के लिहाज से यह एफडी से बेहतर हो सकता है. वहीं इसमें 10 साल की मेच्योरिटी वाली स्कीम भी है. अगर आप G-Sec में निवेश करते हैं और तीन साल से अधिक समय तक निवेश बनाये रखते हैं तो म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने पर आप इनकम टैक्स में लाभ उठा सकते हैं.