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रिटायरमेंट के बाद अपने एनपीएस फंड से एन्युइटी खरीदने के लिए अब पॉलिसीहोल्डर को अलग से प्रपोजल फॉर्म नहीं भरना पड़ेगा.
नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme - NPS) के नियम में एक अहम बदलाव किया गया है, जिसके कारण रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम का इंतजाम करना और भी आसान हो जाएगा. दरअसल इंश्योरेंस सेक्टर की नियामक संस्था IRDAI ने रिटायरमेंट के बाद एनपीएस के फंड से एन्युइटी (Annuity) खरीदने की प्रक्रिया को और सरल बना दिया है. IRDAI ने मंगलवार को एलान किया कि अब स्कीम के किसी भी सदस्य को रिटायरमेंट के बाद अपने एनपीएस फंड से एन्युइटी खरीदने के लिए अलग से प्रपोजल फॉर्म नहीं भरना पड़ेगा. IRDAI का कहना है कि इससे न सिर्फ पॉलिसी-धारकों को सहूलियत होगी, बल्कि इंश्योरेंस कंपनियों के लिए भी काम करना पहले के मुकाबले सरल हो जाएगा. IRDAI ने कहा है कि उसका यह फैसला तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है.
इंश्योरेंस सेक्टर के रेगुलेटर की तरफ से मंगलवार को जारी एक सर्कुलर में कहा गया है, "सीनियर सिटिजन्स की जिंदगी को ज्यादा आसान बनाने के लिए IRDAI ने एनपीएस के फंड से एन्युइटी खरीदने के लिए अलग से प्रपोज़ल फॉर्म सबमिट करने की जरूरत को खत्म कर दिया है." नियम में इस अहम बदलाव से पहले अब तक एनपीएस में निवेश करने वालों को रिटायरमेंट के समय एन्युइटी खरीदने के लिए पीएफआरडीए (Pension Fund Regulatory and Development Authority - PFRDA) के पास एग्जिट फ़ॉर्म सबमिट करने के साथ ही साथ बीमा कंपनियों को एक प्रपोजल फॉर्म भी सबमिट करना पड़ता था.
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IRDAI ने अपने ताजा सर्कुलर में कहा है कि PFRDA के पास जमा किए जाने वाले एग्जिट फ़ॉर्म में एनपीएस के सदस्य से जुड़ी वो सारी जानकारी पूरे विस्तार से दी जाती है, जिसकी जरूरत बीमा कंपनियों के प्रपोजल फॉर्म के लिए पड़ सकती है. लिहाजा यह महसूस किया गया कि एग्जिट फ़ॉर्म भरने के बाद अलग से प्रपोजल फॉर्म भी भरवाने का मतलब उसी जानकारी को दो-दो बार सबमिट करना है, जिसकी कोई जरूरत नहीं है. IRDAI के मुताबिक इस बात को ध्यान में रखते हुए बीमा कंपनियों से भी सलाह-मशविरा किया गया. जिसके बाद यह फैसला हुआ कि एग्जिट फॉर्म को ही बीमा कंपनियां एन्युइटी खरीदने का प्रपोजल फॉर्म भी मान लें. इस फैसले से न सिर्फ सीनियर सिटिजन रिटायरमेंट के फौरन बाद एन्युइटी खरीद सकेंगे, बल्कि बीमा कंपनियों के लिए भी वक्त और मेहनत की बर्बादी नहीं होगी.
एनपीएस सब्सक्राइबर्स को एन्युइटी उपलब्ध कराने का काम वे बीमा कंपनियां करती हैं, जिन्हें PFRDA ने इसके लिए मंजूरी दी है. साथ ही IRDAI इसे एन्युइटी सर्विस प्रोवाइडर (ASP) का काम करने वाली बीमा कंपनियों के नियामक के तौर पर इस पूरी प्रॉसेस की निगरानी करता है. PFRDA के नियमों के तहत एनपीएस में जमा रकम का कम से कम 40 फीसदी हिस्सा एन्युइटी खरीदने में लगाना जरूरी है, जिसके एवज में हर महीने पेंशन दी जाती है. बाकी 60 फीसदी हिस्सा रिटायरमेंट के बाद बाद एक मुश्त निकाला जा सकता है.