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Retirement Planning: अगर रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम नहीं है तो कई तरह की दिक्कतें सामने आती हैं.
Pension Planning With Govt Scheme: जब आप नौकरी में रहते हैं और इनकम अच्छी है तो आपकी एक अलग पहचान होती है. लेकिन नौकरी रहते रिटायरमेंट का इंतजाम नहीं किया तो बाद में आपकी आइडेंटिटी बदल जाती है. अगर रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम नहीं है तो कई तरह की दिक्कतें सामने आती हैं. इसीलिए समय रहते रिटायरमेंट के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करना बेहद जरूरी है. इंतजाम भी कुछ ऐसा होना चाहिए कि रिटायरमेंट के बाद आपके खाते में एकमुश्त बड़ी रकम आ जाए और अच्छी खासी पेंशन का भी इंतजाम भी हो. लेकिन इस तरह की कौन सी स्कीम है जो यह लक्ष्य पूरे कर देगी.
NPS से पूरे होंगे सपने
अगर आप इसका जवाब खोज रहे हैं तो यह बेहद सिंपल है. सरकार की पेंश्यान स्कीम नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) आपका सपना पूरा कर सकता है. यह एक ऐसी सरकारी स्कीम है, जिसमें नियमित निवेश पेंशन के साथ ही साथ एक बढ़िया कॉर्पस फंड का इंतजाम भी कर सकता है. NPS के तहत 18 साल से 70 साल के बीच का कोई भी भारतीय नागरिक खाता खोल सकता है. चाहे वह केंद्र सरकार या राज्य सरकार या प्राइवेट कंपनी में काम करता हो. यह स्कीम नॉन रेजिडेंट इंडियन के लिए भी है.
28 की उम्र तक कुछ नहीं किया तो पेंशन कैलकुलेशन
अगर योजना में आप 28 की उम्र से जुड़ते हैं और हर महीने 10 हजार रुपये निवेश के लिए तैयार हैं तो 60 की उम्र के बाद 1.6 करोड़ एकमुश्त रकम के साथ 75 हजार मंथली पेंशन का इंतजाम कर सकते हैं.
NPS शुरू करने की उम्र: 28 साल
हर महीने निवेश: 10,000 रुपये
निवेश की अवधि: 32 साल
कुल निवेश: 38,40,000 रुपए
निवेश पर अनुमानित रिटर्न: 10 फीसदी
कुल कॉर्पस: 2.80 करोड़ रुपए
एन्युटी खरीद: कुल कॉर्पस की 40 फीसदी रकम
अनुमानित एन्युटी रेट: 8 फीसदी सालाना
60 की उम्र के बाद पेंशन: 75 हजार महीना
खाते में आने वाली रकम: 1.6 करोड़ होगी.
निवेश के लिए ये होते हैं विकल्प
NPS के जरिए निवेशक अपनी रकम को 4 तरह की एसेट क्लास में निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं. इनमें इक्विटी (इंडेक्स स्टॉक), कॉरपोरेट बॉन्ड, सरकारी बॉन्ड और वैकल्पिक संपत्ति मसलन रियल एस्टेट निवेश फंड (REIT). इसलिए, रिटर्न चुने हुए एसेट क्लास के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. रिस्क लेने की क्षमता और रिटायर होने में बचे सालों की संख्या के आधार पर आप विकल्प चुन सकते हैं. इसका बड़ा लाभ यह है कि आपका निवेश इक्विटी और डेट में डाइवर्सिफाइड हो जाता है.