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Mental Health : कॉर्पोरेट कर्मचारियों के बीच मेंटल वेलनेस (मानसिक स्वास्थ्य) 60 के लेवल पर है, जो कुल पॉपुलेशन स्कोर 69 से काफी कम है. (File Photo)
Survey on Heart Disease : देश में भले ही 89 फीसदी लोग हार्ट डिजीज के लक्षणों के बारे में जागरूक होने का दावा करते हैं, लेकिन एक लेटेस्ट स्टडी में पता चला है कि सिर्फ 25 फीसदी भारतीय ही हार्ट डिजीज के लक्षणों की सटीक पहचान कर सकते हैं. सिर्फ 40 फीसदी लोग ही सीने में दर्द या बेचैनी को हृदय संबंधी समस्याओं से जोड़ते हैं, वहीं सिर्फ 36 फीसदी लोग सांस की तकलीफ को एक संभावित लक्षण के रूप में पहचानते हैं. देश की लीडिंग प्राइवेट जनरल इंश्योरेंस कंपनी, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के सर्वे में यह बात सामने आई है. कंपनी ने सर्वे के आधार पर इंडिया वेलनेस इंडेक्स 2024 का 7वां संस्करण जारी किया है.
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड का वेलनेस इंडेक्स ऐसे फ्रेमवर्क पर आधारित है, जिसमें 6 पिलर हैं. ये पिलर फिजिकल, मेंटल, फैमिली, फाइनेंशियल, वर्कप्लेस और सोशल वेलनेस हैं. आईसीआईसीआई लोम्बार्ड द्वारा किए गए सर्वे में अलग अलग क्षेत्रों में रहने वाले अलग अलग ग्रुप को शामिल किया गया, जिसमें 18 से 50 साल की आयु के 69 फीसदी पुरूष और 31 फीसदी महिलाएं शामिल थीं.
स्टडी से सामने आने वाले प्रमुख रिजल्ट
हार्ट हेल्थ अवेयरनेस और रिस्क फैक्टर : करीब 84% भारतीय हार्ट की अलग अलग कंडीशन के बारे में जानते हैं, लेकिन सटीक लक्षणों को पहचानने में पीछे रह जाते हैं. सिर्फ 40 फीसदी सीने में दर्द या बेचैनी को हृदय संबंधी समस्याओं से जोड़ते हैं, और सिर्फ 36% लोग सांस की तकलीफ को एक संभावित लक्षण के रूप में पहचानते हैं. इसके अलावा, 33 फीसदी गलत रूप से मानते हैं कि अनियमित नींद की आदतें हार्ट डिजीज के लिए एक रिस्क फैक्टर है.
कॉर्पोरेट इंडिया का वेलनेस चैलेंज : कॉर्पोरेट कर्मचारियों के बीच मेंटल वेलनेस (मानसिक स्वास्थ्य) 60 के लेवल पर है, जो कुल पॉपुलेशन स्कोर 69 से काफी कम है. कॉर्पोरेट कर्मचारियों के लिए फाइनेंशियल वेलनेस 54 के लेवल पर है, जबकि सामान्य आबादी के लिए यह 63 पर है. यह वर्कप्लेस वेलनेस पहल की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता को उजागर करता है.
हेल्थ टेक अपनाने से वेलनेस स्कोर : स्टडी से हेल्थ टेक्नोलॉजीज के उपयोग और ओवरआल वेलनेस के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध का पता चलता है. फिटनेस ट्रैकिंग उपकरणों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों का वेलनेस स्कोर 72 है, जबकि उपयोग न करने वालों का स्कोर 54 है.
सोशल मीडिया से ले रहे जानकारियां : 70 फीसदी भारतीय बेहतर स्वास्थ्य के बारे में चर्चा करने या जानने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, जिसमें इंस्टाग्राम (87%) और यूट्यूब (81%) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
मेंटल हेल्थ को लेकर बढ़ी चिंताएं : 80 फीसदी भारतीय नियमित रूप से तनाव के कम से कम एक लक्षण का अनुभव करते हैं, महिलाओं में ऐसे मामले ज्यादा हैं. तनाव या अवसाद के लक्षणों से मुक्त लोगों का मेंटल हेल्थ बेहतर होता है, वहीं उनका फैमिली वेलनेस स्कोर काफी अधिक होता है.
जेनरेशन वेलनेस : जेन एक्स ने ओवरआल वेलनेस में सुधार दिखाया है, जो 68 से बढ़कर 70 हो गया है. युवाओं को फिजिकल, फैमिली और फाइनेंशियल वेलनेस में गिरावट के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
फिजिकल हेल्थ का वेलनेस में सबसे अधिक योगदान
फिजिकल हेल्थ का ओवरआल वेलनेस में 58 फीसदी योगदान है, यानी यह सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है. सही तरीके से की जा रही एक्सरसाइज और डाइट के माध्यम से हार्ट को हेल्दी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मेंटल वेलनेस, ओवरआल वेलनेस में 18 फीसदी योगदान देता है, और यह स्ट्रेस मैनेजमेंट के माध्यम से किसी के हार्ट के स्वास्थ्य पर असर डालता है. अन्य पिलर्स - फाइनेंशियल, सोशल, फैमिली और वर्कप्लेस वेलनेस भी जीवनशैली को प्रभावित कर, इमोशनल सपोर्ट देकर और तनाव के कारणों को कम कर, हार्ट को स्वस्थ रखने में योगदान देते हैं.
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड में हेड - मार्केटिंग, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस एंड सीएसआर, शीना कपूर ने कहा कि हमारा 2024 वेलनेस इंडेक्स भारत में हेल्थ की वर्तमान स्थिति पर एक तस्वीर सामने लाता है. फिजिकल हेल्थ, फैमिली डायनमिक और वित्तीय स्तर पर स्थिरता को लेकर युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के कारण उनके वेलनेस इंडेक्स में 3 अंक की गिरावट आई है. विशेष रूप से हमारे युवाओं में तनाव का स्तर बढ़ रहा है, जिससे हार्ट हेल्थ को लेकर जागरूकता में कमी आ रही है. उनका कहना है कि हेल्थ टेक्निक को अपनाने से बेहतर समाधान मिलते हैं.
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