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घर खरीदने के लिए होम लोन लेने का फैसला बेहद अहम होता है. चूंकि होम लोन बतौर EMI लंबे समय तक चुकाना होता है लिहाजा इसके चुनाव में काफी सोच-समझ कर फैसला करना होता है. आइए देखते हैं कि पहली बार होम लोन लेने वालों को किन बातों का ख्याल रखना चाहिए ताकि लंबे वक्त तक EMI चुकाने के दौरान वे सहूलियत महसूस कर सकें.
1.अच्छा क्रेडिट स्कोर, सस्ता लोन
बैंक समेत होम लोन देने वाली वित्तीय संस्थाओं के लिए ग्राहक का क्रेडिट स्कोर बेहद अहमियत रखता है. बढ़िया क्रेडिट स्कोर आपको ज्यादा और सस्ता लोन दिलाता है. 800 बेसिस प्वाइंट से ऊपर का क्रेडिट स्कोर बेहतरीन माना जाता है. वक्त पर अपने मौजूदा EMI और क्रेडिट कार्ड बिल चुका कर क्रेडिट स्कोर बेहतर किया जा सकता है. एक बार अपना क्रेडिट स्कोर का पता करने के बाद आप आइडेंटिटी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ, इनकम टैक्स रिटर्न से जुड़े डॉक्यूमेंट, बैंक स्टेटमेंट, एंप्लॉयर प्रूफ समेत दूसरे दस्तावेजों को तैयार रखें. अगर आपने कोई घर खरीदना तय कर लिया है तो सेलर आइडेंटिटी और एड्रेस प्रूफ, प्रॉपर्टी का टाइटिल, नक्शा, कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी जुटा लें ताकि लोन लेने में आसानी हो.
2. ज्वाइंट होम लोन लेने में है फायदा
अगर किसी के साथ साझे में होम लोन ले रहे हैं तो आपका फायदा है. ऐसे में बैंक सह-आवेदकों की आय को जोड़ कर लोन देने पर विचार करता है. साझा आवेदन से लोन हासिल करने की पात्रता भी बढ़ जाती है. ज्वाइंट होम लोन से सह-आवदेकों को टैक्स डिडक्शन का फायदा मिल जाता है. अगर साथ में महिला आवेदक हों तो कुछ बैंक होम लोन का इंटरेस्ट रेट आधा फीसदी तक कम कर देते हैं. ज्वाइंट होम लेने पर EMI चुकाने का बोझ भी बंट जाता है.
3. कम इंटरेस्ट रेट की तलाश करें
होम लोन लेने से पहले यह पता कर लें कि कौन सा बैंक किस दर पर लोन दे रहा है. अलग-अलग बैंक की दरें अलग-अलग होती हैं और इनमें 10 से 20 बेसिस प्वाइंट का अंतर होता है . लंबी अवधि के लोन में इतना अंतर भी आपका काफी पैसा बचा सकता है. अगर कोई आवेदक नया बना मकान खरीद रहा है और प्री-एप्रूव्ड बैंक से लोन लेता है तो यह जल्दी प्रोसेस होता है. क्योंकि बैंकों के पास इस प्रॉपर्टी के बारे में पहले ही काफी जानकारी होती है. इस तरह की प्रॉपर्टी में आपका बैंक दूसरे बैंकों की तुलना में कम इंटरेस्ट पर लोन दे सकता है.
4. सभी डॉक्यूमेंट्स को ध्यान से पढ़ें
हालांकि होम लोन से जुड़े बैंकों के दस्तावेजों का पढ़ना पेचीदा काम है क्योंकि यह काफी भारी-भरकम और टेक्निकल टर्म से भरा होता है. फिर भी यथासंभव इसे जहां तक संभव हो पढ़ कर समझने की कोशिश करनी चाहिए. इसके लिए आप फाइनेंशियल कंटेंट या लोन संबंधित जानकारी देने वाली साइट्स की मदद ले सकते हैं. दस्तावेजों में छोटे अक्षरों में लिखी बातों को ध्यान से पढ़ने की कोशिश करें. EMI चुकाने से जुड़ी शर्तों और नियमों को ठीक से पढ़कर समझना जरूरी है.
5. अधिकतम डाउन पेमेंट, न्यूनतम लोन अवधि
अमूमन बैंक लोन देते वक्त 20 फीसदी डाउनपेमेंट की मांग रखते हैं. कई बैंकों में यह जरूरी भी होता है. हालांकि आदर्श स्थिति यह है कि अगर होम लोन कस्टमर मकान की कीमत का 50 से 60 फीसदी तक डाउनपेमेंट कर दे तो EMI का बोझ काफी कम हो जाता है. आप जितना अधिक डाउन पेमेंट करेंगे, आप पर ब्याज का बोझ उतना ही कम हो जाएगा. कई बैंक लोन चुकाने की अवधि 30 साल तक रखते हैं. लेकिन ग्राहक को 20 साल से ज्यादा की अवधि का लोन नहीं लेना चाहिए. लोन चुकानी की अवधि जितनी अधिक होगी, आपका वित्तीय बोझ भी उतना ही बढ़ेगा. साथ ही ब्याज दरों में वोलेटिलिटी का जोखिम भी बना रहता है.