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Monthly Income Plan: रिटायरमेंट के बाद नियमित आय का करना है इंतजाम? MIP में निवेश से कम जोखिम में मिलेगा बेहतर रिटर्न

मंथली इनकम प्लान (MIP) उन लोगों के लिए बेहतर ऑप्शन है, जो अपने निवेश का इस्तेमाल नियमित आमदनी के लिए करना चाहते हैं.

मंथली इनकम प्लान (MIP) उन लोगों के लिए बेहतर ऑप्शन है, जो अपने निवेश का इस्तेमाल नियमित आमदनी के लिए करना चाहते हैं.

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FE Hindi Desk
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Mutual fund

रिस्क न लेने वाला निवेशक मंथली इनकम के लिए MIP (Monthly Income Plans) म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश कर सकते हैं.

Monthly Income Plans of Mutual Funds: अगर आप रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम के लिए निवेश के ऑप्शन तलाश रहे हैं तो म्यूचुअल फंड का मंथली इनकम प्लान (MIP) में निवेश कर सकते हैं. यह एक ओपेन-एंडेड फंड है जिसका बड़ा हिस्सा डेट में निवेश किया जाता है. अच्छी बात ये है कि कम जोखिम के बावजूद इसमें बैंकों या पोस्ट ऑफिस के फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिलता है. यह उन लोगों के लिए भी अच्छा निवेश है, जो कम रिस्क में अपनी नियमित आमदनी बढ़ाना चाहते हैं या जिनके रिटायरमेंट में अब कुछ ही दिन बचे हैं.

ऐसे निवेशक भी MIP में निवेश पर विचार कर सकते हैं, जो अपनी सेविंग्स का कुछ हिस्सा इक्विटी मार्केट में लगाना चाहते हैं, लेकिन ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते. माईवेल्थ ग्रोथ डॉट कॉम के को-फाउंडर हर्षद चेतनवाला के मुताबिक मंथली इनकम प्लान उन लोगों के लिए बेहतर हो सकता है जो अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए रेगुलर कैश फ्लो बनाए रखना चाहते हैं. उनका कहना है कि इस कैश फ्लो को बनाए रखने के लिए पहले से प्लानिंग करनी चाहिए.

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MIP म्यूचुअल फंड कैसे करता है काम

MIP को कंजर्वेटिव हाईब्रिड फंड (Conservative Hybrid Funds) भी कहा जाता है. इसका लगभग 75-90 फीसदी हिस्सा डेट इंस्ट्रूमेंट में बाकी 10 से 25 फीसदी इक्विटी में निवेश किया जाता है. इस मिलेजुले पोर्टफोलियो की वजह से इसमें किए गए निवेश पर सुरक्षा और रिटर्न के बीच संतुलन बना रहता है. इसके चलते शेयर बाजार में कमजोरी आने पर भी रिटर्न पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है. एमआईपी में निवेश के लिए कोई सीमा नहीं है और न ही कोई लॉक-इन पीरियड.

डिविडेंड रिटर्न की गारंटी नहीं है

इस फंड का जो हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाता है, उस पर डेट इंस्ट्रूमेंट के मुकाबले ज्यादा रिटर्न जनरेट होता है. MIP पर मिलने वाले मंथली डिविडेंड पेऑउट फंड के परफार्मेंस पर निर्भर करते हैं. लेकिन इक्विटी में निवेश किए गए हिस्से पर रिटर्न या डिविडेंड की कोई गारंटी नहीं होती, क्योंकि उस पर शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है.

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डिविडेंड रिटर्न पर टैक्स

एमआईपी से मिलने वाले रिटर्न पर कितना टैक्स देना होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि फंड का कितना हिस्सा इक्विटी में निवेश किया गया है और कितना डेट में. बैंक एफडी या पोस्ट ऑफिस पर मिलने वाले ब्याज की तरह ही MIP के डिविडेंड रिटर्न पर भी टैक्स पेयर के स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है. लेकिन अगर फंड में 3 साल से ज्यादा अवधि तक निवेश किया जाए, तो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के बाद 20 फीसदी टैक्स लगता है. जिससे टैक्स के ऊंचे स्लैब में आने वाले निवेशकों को फायदा होता है.

(Article : Saikat Neogi)

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