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पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी PPF पॉपुलर स्माल सेविंग्स स्कीम है जिसमें सेक्शन 80सी के तहत इनकम टैक्स का फायदा भी मिलता है. यह लंबी अवधि को ध्सान में रचाकर किए जाने वाले निवेश के लिए सबसे बेहतर विकल्पों में हैं, जहां इंटरेस्ट और मेच्योरिटी दोनों टैक्स फ्री हैं. क्या आपको पता है कि कोई भी इनडिविजुअल अपने बच्चे के नाम से भी पीपीएफ अकाउंट खोल सकता है. बच्चे के 18 साल होने तक अभिभावक को इस खाते की देख रेख करनी पड़ती है. 18 साल की उम्र के बाद वह खुद इस खाते को मैनेज कर सकता है. बच्चे के नाम से खोले गए अकाउंट पर लोन और आंशिक निकासी की भी सुविधा है.
इन बातों का रखना होगा ध्यान
वैसे तो पीपीएफ अकाउंट की मेच्योरिटी 15 साल की होती है. लेकिन इसमें सुविधा है कि इसे आगे भी 5—5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि इस खाते में मिनिमम और मैक्सिमम जमा करने की लिमिट 500 रुपये और 1.50 लाख है. लेकिन अगर अभिभावक के नाम से भी पीपीएफ अकाउंट खुला है तो दोनों अकाउंट मिलाकर ही अधिकतम रकम की लिमिट मानी जाएगी. ऐसा नहीं है कि दोनों अकाउंट में 1.5 लाख सालाना जमा हो सकता है.
अगर आप बच्चे के नाम भी पीपीएफ अकाउंट में पैसा जमा करते हैं तो दस पर भी इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत टेक्स दूट का फायदा मिलेगा. जब बच्चा 18 साल को हो जाता है तो एक एप्लिकेशन देकर उसका स्टेटस बदलवाना होता है. फिर उसके बाद वह खाते को आपरेट कर सकता है.
रिटर्न कैलकुलेटर
मेच्योरिटी पर कितनी रकम
अधिकतम मंथली जमा: 12,500 रुपये
अधिकतम सालाना जमा: 1,50,000 रुपये
ब्याज दरें: 7.1 फीसदी सालाना कंपांउंडिंग
15 साल बाद मेच्योरिटी पर रकम: 40,68,209 रुपये
कुल निवेश: 22,50,000
ब्याज का फायदा: 18,18,209 रुपये
1 करोड़ फंड के लिए
अधिकतम मंथली जमा: 12,500 रुपये
अधिकतम सालाना जमा: 1,50,000 रुपये
ब्याज दरें: 7.1 फीसदी सालाना कंपांउंडिंग
25 साल बाद मेच्योरिटी पर रकम: 1.03 करोड़ रुपये
कुल निवेश: 37,50,000
ब्याज का फायदा: 65,58,015 रुपये
यानी अगर 15 साल बाद स्कीम को 5—5 साल के लिए 2 बार बढ़ा दिया जाए तो 25 साल बाद आपके बच्चे के नाम 1 करोड़ का फंड तैयार हो जाएगा.
क्यों है बेहतर विकल्प
ज्यादातर बैंक के बचत खातों पर अब 3 से 3.5 फीसदी ही सालाना ब्याज. हालांकि कुछ बैंक बचत खाते पर 6 फीसदी के आस पास भी ब्याज देते हैं.
5 साल की बैंक एफडी पर 5.5 से 6.25 फीसदी के आस पास ब्याज.
अनिश्चितता के हालात में भी तय किए गए ब्याज के अनुसार ही रिटर्न मिलेगा. जबकि कैपिटल मार्केट में निवेश के डूबने का खतरा रहता है.
म्यूचुअल फंड में पिछले 1 साल के दौरान इक्विटी सेग्मेंट के हर कटेगिरी में 20 फीसदी से ज्यादा गिरावट.
इक्विटी मार्केट में 1 साल में 23 फीसदी की गिरावट.
डाकघर में जमा हर एक पैसे पर सुरक्षा की गारंटी. जबकि बैंकों में सिर्फ 5 लाख तक की ही रकम पर बीमा मिलता है. यानी बैंक डूब जाएं तो आपकी सिर्फ 5 लाख की रकम ही सुरक्षित रहेगी.