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इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने प्री-बजट मेमोरेंडम में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. (File Photo)
ICAI Demands Substantial Increase in PPF and 80C Investment Limits: इनकम टैक्स भरने वालों को अगले बजट में बड़ी राहत मिल सकती है, बशर्ते केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वो सुझाव मान लें, जो उन्हें देश भर के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की प्रतिनिधि संस्था की तरफ से दिए गए लें. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने वित्त मंत्रालय को दिए प्री-बजट मेमोरेंडम में कई ऐसे ही महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. इन सुझावों में धारा 80C के तहत डिडक्शन लिमिट में इजाफा करना और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) में सालाना निवेश की अधिकतम सीमा को बढ़ाना शामिल हैं.
ICAI के प्री-बजट मेमोरेंडम में अहम सुझाव
ICAI ने अपने प्री-बजट मेमोरेंडम में सुझाव दिया है कि इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट के लिए किए जाने वाले निवेश की सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर देना चाहिए. फिलहाल इस सेक्शन के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर ही टैक्स छूट मिलती है. इसी तरह ICAI ने पीपीएफ एकाउंट में सालाना निवेश की लिमिट को भी बढ़ाकर 3 लाख किए जाने की मांग की है. मौजूदा नियमों के तहत पीपीएफ एकाउंट में एक साल के दौरान अधिकतम 1.5 लाख रुपये ही जमा किए जा सकते हैं. ICAI का कहना है कि उसके इन सुझावों से आम करदाताओं को बचत करने के बेहतर मौके मिल सकेंगे.
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पिछली बार 2014-15 के बजट में बढ़ी थी 80C की लिमिट
सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन की लिमिट पहले 1 लाख रुपये ही थी, जिसे 2014-15 के बजट में बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये किया गया था. इसमें और बढ़ोतरी करने की मांग पिछले कई सालों से उठती रही है. 80C के तहत किए गए निवेश पर टैक्स में छूट का लाभ सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलता है, जो पुरानी टैक्स रिजीम (old tax regime) के तहत आयकर रिटर्न भरते हैं.
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बरसों से नहीं बढ़ी PPF की लिमिट
ICAI की दलील है कि सरकार ने पीपीएफ खाते में निवेश की अधिकतम सीमा में भी बरसों से इजाफा नहीं किया है. जबकि साल दर साल बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए ऐसा करना बेहद जरूरी है. संस्था का मानना है कि पीपीएफ में निवेश की सीमा बढ़ाने से लोग अपने भविष्य की जरूरतों के लिए बेहतर ढंग से बचत कर पाएंगे. उसने इस बात की तरफ भी सरकार का ध्यान खींचा है कि जो लोग नौकरी नहीं करते, उनके पास ईपीएफ का विकल्प मौजूद नहीं होता. लिहाजा उनके सामने पीपीएफ ही भविष्य के लिए बचत करने का सबसे बेहतर विकल्प है.