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20 साल में कितना घट गया PPF पर फायदा, क्या 46 साल बाद फिर 7% से कम हो जाएगा ब्याज

पब्लिक प्रोविडेंट फंड खासतौर से लांग टर्म निवेश की प्लानिंग करने वालों के लिए बेहद पॉपुलर विकल्प है.

पब्लिक प्रोविडेंट फंड खासतौर से लांग टर्म निवेश की प्लानिंग करने वालों के लिए बेहद पॉपुलर विकल्प है.

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Sushil Tripathi
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Upon the implementation of 7th CPC Report and CCS (RP) Rules, 2016, the President has allowed protection of pay in the light of the provisions laid down under the rules.

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पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) खासतौर से लांग टर्म निवेश की प्लानिंग करने वालों के लिए बेहद पॉपुलर विकल्प है. 15 साल की मेच्योरिटी वाली इस सरकारी स्कीम में निवेश करने पर रिटर्न की गारंटी मिलती है. बच्चों की पढ़ाई, शादी ब्याह से लेकर रिटायरमेंट के लिए बहुत से लोग इस स्माल सेविंग्स स्कीम में पैसा लगाते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों के रिटर्न पर नजर डालें तो यह अब पहले जैसा आकर्षक नहीं रह गया है. 10 साल के दौरान पीपीएफ के सालाना ब्याज दरों में 5 फीसदी से कमी आ चुकी है. वहीं मौजूदा इसकी ब्याज दरें और घट सकती हैं.

अभी कितना मिलता है ब्याज

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जून तिमाही के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड पर ब्याज दर 7.1 फीसदी सालाना है. हालांकि इस तिमाही के लिए सरकार ने पीपीएफ की ब्याज दरों में 0.80 फीसदी कटौती की थी. अप्रैल तिमाही के लिए इस पर 7.9 फीसदी सालाना ब्याज मिल रहा था. पीपीएफ के अलावा दूसरी स्माल सेविंग्स स्कीम पर ब्याज दरें घटाई गई थीं.

20 साल में 5% घट गया ब्याज

जनवरी 2010 में ब्याज दर:                              12% फीसदी

15 जनवरी 2000 से 28 फरवरी 2001:           11% (-1%)

1 मार्च 2001 से 28 फरवरी 2002:                 9.50% (-1.5)

1 मार्च 2002 से 28 फरवरी 2003:                 9.00% (-0.5)

1 मार्च 2003 से 30 नवंबर 2011:                   8.00% (-1%)

1 दिसंबर 2011 से 31 दिसंबर 2012:               8.60% (0.6%)

1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2013:                     8.80% (0.2%)

1 अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2014:                     8.70% (-0.1%)

1 अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015:                     8.70% (0%)

1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016:                     8.70% (0%)

1 अप्रैल 2016 से 30 जून 2016:                     8.10% (-0.6%)

1 जुलाई 2016 से 30 सितंबर 2016:               8.10% (0%)

1 अक्टूबर 2016 से 31 दिसंबर 2016:            8.00% (-0.1%)

1 जनवरी 2017 से 31 मार्च 2017:                   8.00% (0%)

1 अप्रैल 2017 से 30 जून 2017:                      7.90% (-0.1%)

1 जुलाई 2017 से 30 सितंबर 2017:                7.80% (-0.1%)

1 अक्टूबर 2017 से 26 दिसंबर 2017:             7.80% (0%)

1 जनवरी 2018 से 31 मार्च 2018:                  7.60% (-0.2%)

1 अप्रैल 2018 से 30 जून 2018:                     7.60% (0%)

1 जुलाई 2018 से 30 सितंबर 2018:                7.60% (0%)

1 अक्टूबर 2018 से 31 दिसंबर 2018:             8.00% (0.4%)

1 जनवरी 2019 से 31 मार्च 2019:                   8.00% (0%)

1 अप्रैल 2019 से 30 जून 2019:                      8.00% (0%)

1 जुलाई 2019 से 30 सितंबर 2019:                7.90% (-0.1%)

1 अक्टूबर 2019 से 31 दिसंबर 2019:              7.90% (0%)

1 जनवरी 2020 से 31 मार्च 2020:                   7.90% (0%)

1 अप्रैल 2020 से 30 जून 2020:                      7.10% (0.8%)

PPF: 7% से कम होगा ब्याज!

अगर PPF की ब्याज दरों में सितंबर तिमाही के लिए कटौती होती है तो यह 46 साल बाद 7 फीसदी के नीचे जा सकता है. इससे पहले 1974 में PPF पर मिलने वाली ब्याज दर 7 फीसदी से कम हुई थी.

असल में पिछले दिनों आरबीआई ने कोरोना संकट को देखते हुए लिक्विडिटी के उपाय करने के लिए 2 बार में ब्याज दरों में 0.75 फीसदी और 0.40 फीसदी की कटौती की थी. जिसके बाद से रेपो रेट 4 फीसदी हो गया है. वहीं, रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर आ गया है. दूसरी ओर बांड यील्‍ड में लगातार गिरावट आ रही है. अभी यह 5.85 फीसदी है. पीपीएफ की दर 10 साल के सरकारी बॉन्‍ड की यील्‍ड से लिंक है. अप्रैल-जून तिमाही के लिए पीपीएफ की ब्‍याज दर को 7.1 फीसदी रखा गया था. इससे साफ संकेत मिलते हैं कि पीपीएफ समेत छोटी बचत योजनाओं की ब्‍याज दर घट सकती है. अगले हफ्ते ब्‍याज दर में बदलाव होना है.

हर तिमाही पर समीक्षा

बता दें कि हर तिमाही पर सरकार छोटी बचत योजनाओं के ब्याज दरों की समीक्षा करती है. आरबीआई की मौद्रिक नीति में तय दरों और बांड यील्ड के आधार पर इन योजनाओं के ब्याज दरों में कटौती या बढ़ोत्तरी की जा सकती है. बता दें कि पिछले दिनों आरबीआई ने 2 बार में ब्याज दरों में 1.15 फीसदी की कटौती की है. वहीं बांड यील्ड भी अभी 6 फीसदी से नीचे है. छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को तिमाही आधार पर संशोधित किया जाता है.

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