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PPF और NPS दोनों दीर्घावधि के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने वाले इंस्ट्रूमेंट्स हैं.
पीपीएफ ( Public Provident Fund -PPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम ( National Pension System -NPS ) दोनों लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों के निवेश इंस्ट्रूमेंट हैं. पीपीएफ मेच्योर होने पर पूरी राशि या आंशिक रकम निकाली जा सकती है वहीं एनपीएस मेच्योर होने पर फंड का 60 फीसदी निकाला जा सकता है बाकी राशि एन्यूटी या पेंशन के तौर पर आपको मिलती रहती है.
इनकम टैक्स एक्ट 1961 की 80 सी के तहत दोनों में निवेश पर टैक्स छूट मिलती है. सवाल यह है कि टैक्स छूट के लिहाज से दोनों में कौन सा बेहतरीन निवेश इंस्ट्रूमेंट हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों इंस्ट्रूमेंट का स्ट्रक्चर अलग है. इसलिए इनकी तुलना सिर्फ टैक्स छूट के आधार पर नहीं करनी चाहिए. इसके बजाय दोनों की खासियत जानकर इनमें निवेश का फैसला करना चाहिए.
पीपीएफ (PPF)
पीपीएफ 15 साल की सेविंग स्कीम है. इस पर ब्याज दर सरकार की ओर से हर तिमाही में तय होती है. फिलहाल ब्याज दर 7.1 फीसदी है. पीपीएफ के तहत 500 रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये प्रति वर्ष जमा किया जा सकता है. अगर आप हर साल डेढ़ लाख पीपीएफ में जमा करते हैं तो 15 साल के बाद 7.1 फीसदी की ब्याज दर से यह 40.68 लाख रुपये हो जाएगी. यह मैच्योरिटी राशि टैक्स फ्री है. इसके बाद पीपीएफ को पांच साल के ब्लॉक में आगे भी जारी रखा जा सकता है. महंगाई और पीपीएफ के प्री-टैक्स रिटर्न को देखें तो अभी भी यह बेहतरीन निवेश इंस्टूमेंट है, जो आपके दीर्घकालीन वित्तीय लक्ष्यों के मुफीद बैठता है.
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नेशनल पेंशन सिस्टम ( NPS)
एनपीएस रिटायरमेंट के बाद की वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रख कर किया जाने वाला निवेश है. अकाउंट खोलने के बाद इसमें 60 साल तक पैसा जमा करना होता है. मैच्योरिटी पर फंड का 60 फीसदी मिलता है. यह राशि टैक्स-फ्री होती है. बाकी राशि किसी बीमा कंपनी को सौंप दी जाती है जहां से निवेशकों को जीवन भर पेंशन मिलती है. लेकिन यह पेंशन टैक्स दायरे में आती है.पीपीएफ की तरह इसमें रिटर्न फिक्स नहीं होता है लेकिन यह फंड ओर से इक्विटी और डेट में निवेश से हासिल होने वाले रिटर्न पर निर्भर करता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि NPS और PPF में निवेश सिर्फ टैक्स बचत को ध्यान में रख कर नहीं करना चाहिए. पीपीएफ को लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों के लिए चुन सकते हैं क्योंकि इसमें टैक्स की बचत होती है. वहीं एनपीएस को वेल्थ क्रिएशन इंस्ट्रूमेंट की तरह अपनाना चाहिए क्योंंकि इसमें इक्विटी और डेट में निवेश से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद होती है.