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पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी PPF और नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS, दोनों ही स्कीम नौकरीपेशा लोगों में रिटायरमेंट के लिए पॉपुलर है.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी PPF और नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS, दोनों ही स्कीम नौकरीपेशा लोगों में रिटायरमेंट के लिए पॉपुलर है.पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी PPF और नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS, दोनों ही स्कीम नौकरीपेशा लोगों में रिटायरमेंट के लिए पॉपुलर है. PPF की बात करें तो यह एक वॉलंटियरी इन्वेस्टमेंट स्कीम है, यानी इसमें निवेश करना ना करना निवेशक की अपना इच्छा है. वहीं, NPS भी निजी कंपनियों में नौकरी करने वालों के लिए अनिवार्य नहीं है. यह अपनी इच्छा से इसमें अकाउंट खुलवा सकते हैं. पिछले दिनों सरकार ने छोटी जमा योजनाओं पर ब्याज दरें घटा दी हैं, जिसमें पीपीएफ भी शामिल है. पीपीएफ पर सालाना ब्याज अब 7.9 फीसदी सालाना की जगह 7.1 फीसदी सालाना हो गया है. ऐसे में क्या अब फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए एनपीएस ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है.
NPS Vs PPF: अनुमानित रिटर्न
नेशनल पेंशन सिस्टम में अभी 8 फंड मैनेजर हैं जो निवेश के लिए 60 फीसदी तक इक्विटी का विकल्प चुन सकते हैं. इक्विटी एक्सपोजर होने का फायदा यह है कि इसमें अगर कोई इक्विटी और डेट का विकल्प 50:50 के रश्यो में चुनता है. योजना लंबी अवधि की है. इसलिए लांग टर्म में देखें तो डेट में निवेश से औसतन 6 से 7 फीसदी रिटर्न मिल सकता है. डेट कटेगिरी में रिटर्न देखें तो 15 से 20 साल में इससे ज्यादा ही रिटर्न मिला है. वहीं, इक्विटी निवेश से इतने दिनों में रिटर्न 10 फीसदी से 12 फीसदी हो सकता है. सेंसेक्स या निफ्टी किसी भी इंडेक्स की बात करें तो लांग टर्म में इक्विटी से इतना औसत रिटर्न डेट और इक्विटी दोनों का औसत रिटर्न निकालें तो यह करीब 10 फीसदी के आस पास होगा.
दूसरी ओर अभी पीपीएफ में सालाना 7.1 फीसदी ब्याज मिल रहा है. अगर यह आगे भी कायम रहता है तो 15 साल बाद इसी ब्याज के हिसाब से आपको पैसा मेच्योर होगा. मार्च तिमाही के लिए पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज 7.9 फीसदी था. अगर उससे भी तुलना करें तो वह 10 फीसदी के मुकाबले 2 फीसदी कम है.
निवेश का मोड बदलने का विकल्प
NPS में एक्टिव मोड का भी विकल्प मिलता है, जिससे आप अपने रिटर्न का आंकलन करें और अगर कम लग रहा है तो उेट से इक्व्टिी या इक्विटी से डेट में अपना पैसा शिफ्ट कर सकते हैं. आटो मोड में यह काम फंड मैनेजर अपने विवेक से करते हैं. पीपीएफ में तय ब्याज के हिसाब से ही ब्याज मिलेगा, कोई अन्य विकल्प नहीं है.
NPS Vs PPF: निवेश करने पर कहां कितना फायदा
PPF
अधिकतम सालाना जमा: 1,50,000 रुपये
ब्याज दरें: 7.1 फीसदी सालाना कंपांउंडिंग
15 साल बाद मेच्योरिटी पर रकम: 40,68,209 रुपये
अगर 25 साल तक जारी रखें तो मेच्योरिटी: 1,03,08,015 रुपये
कुल निवेश: 37,50,000
ब्याज का फायदा: 65,58,015 रुपये
NPS
पीपीएफ के 25 साल बाद तैयार फंड से तुलना करने के लिए हमने यहां निवेशक की औसत उम्र 35 साल मानी है. वहीं, इसमें 12500 हजार रुपये मंथली योगदान को बेस बनाया है. इसमें 60 साल की उम्र तक यानी 25 साल तक निवेश करना होगा.
NPS में मंथली निवेश: 12500 रुपये (1.50 रु सालाना)
25 साल में कुल योगदान: 37,50,000 रुपये
निवेश पर अनुमानित रिटर्न: 10%
मेच्योरिटी पर कुल रकम: 1,67,23,630 रुपये
अधिकतम टैक्स फ्री विद्ड्रॉल: 1 करोड़ रुपये (मेच्योरिटी अमाउंट का 60%)
पेंशन के लिए अमाउंट: करीब 67 लाख रुपये
अनुमानित एन्युटी रेट: 6%
60 की उम्र पर पेंशन: 33447 रुपये महीना
(source: www.bankbazaar.com, www.paisabazaar.com, www.indiapost.gov.in, NPS calculator, PPF calculator)
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