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निर्धारित सीमा से अधिक पीएफ खाते में जमा रकम पर बैंक एफडी के मुताबिक टैक्स कैलकुलेट किया जाता है.
अगले वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते समय वित्त मंत्री ने एक सीमा से अधिक प्रोविडेंट फंड (PF) कांट्रिब्यूशन पर टैक्सेशन का एलान किया है. इस एलान के बाद से निवेशक पीएफ के बेहतर विकल्प के बारे में सोच रहे हैं. केंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक अगर सालाना पीएफ कांट्रिब्यूशन की राशि 2.5 लाख रुपये से अधिक होती है तो इस सीमा से ऊपर राशि पर जो ब्याज मिलेगा, वह टैक्स फ्री नहीं होगा. इस पर बैंक एफडी के मुताबिक ही टैक्स देयता बनेगी. पीएफ पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स के चलते कुछ एंप्लाई अन्य विकल्प की तलाश कर रहे हैं लेकिन जो हर महीने 20,835 रुपये तक का कांट्रिब्यूशन कर रहे हैं, उन पर नए नियम का असर नहीं होगा. हालांकि इससे अधिक का कांट्रिब्यूशन करने पर अन्य विकल्पों के बारे में सोच सकते हैं.
फाइनेंसिल सर्विसेज फर्म मिडार फिनसर्व के एमडी राजेश बंसल के मुताबिक एंप्लाई प्रोविडेंट फंड (EPF) में सालाना 2.5 लाख रुपये से अधिक की कांट्रिब्यूशन राशि पर जो ब्याज मिलेगा, उसे टैक्सेबल इनकम माना जाएगा और उस पर नॉर्मल रेट्स के मुताबिक टैक्स कैलकुलेट किया जाएगा. बंसल के मुताबिक यह सिर्फ एंप्लाई के कांट्रिब्यूशन पर लागू होगा, एंप्लॉयर के कांट्रिब्यूशन पर नहीं.
कई एंप्लाई अपने पीएफ खाते में बेसिक पे के लिए निर्धारित वैधानिक सीमा 12 फीसदी से अधिक कांट्रिब्यूट करते हैं. पीएफ नियमों के मुताबिक एंप्लाई बेसिक पे के 12 फीसदी से अधिक राशि कांट्रिब्यूट कर सकते हैं लेकिन एंप्लॉयर के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह इस सीमा से अधिक कांट्रिब्यूट करे.
PF पर टैक्स के बाद भी 5.5-5.85% का रिटर्न
डेट एसेट क्लास में अन्य विकल्प के तौर पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड), एनएससी, केवीपी, बैंक डिपॉजिट्स या डेट फंड्स हो सकते हैं. पीपीएफ में अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश हो सकता है और इस पर 7.1 फीसदी की ब्याज मिलता है लेकिन अधिकतर कर्मी इस सीमा को पूरा कर लेते हैं. बैंक डिपॉजिट्स पर इस समय 6.5 फीसदी के करीब ब्याज मिल रहा है और यह ब्याज टैक्सेबल है. ऐसे में जिन कर्मियों पर पीएफ टैक्सेबल रूल लागू होगा, वे चाहें तो पीएफ में निवेश जारी रख सकते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि टैक्स के बाद भी उन्हें 5.5 से 5.85 फीसदी तक का रिटर्न मिलेगा जो सबसे अधिक इनकम टैक्स स्लैब में आते हैं.
VPF में लिक्विडिटी की समस्या, FD बेहतर
कुछ एंप्लाई इसलिए वीपीएफ में निवेश का विकल्प चुनते हैं क्योंकि यह निवेशकों को हाइएस्ट टैक्स-फ्री रिटर्न का विकल्प देता है. इसके अलावा इसमें निवेश पर सोवरेन गारंटी मिलती है. वित्त वर्ष 2019-20 और वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पीएफ की ब्याज दर 8.5 फीसदी रखी गई है. वीपीएफ में अपने एंप्लॉयर को सूचना देकर कांट्रिब्यूशन बंद किया जा सकता है लेकिन उसमें राशि रिटायरमेंट तक लॉक्ड हो जाती है. बैंक एफडी जैसे अन्य डेट इंवेस्टमेंट्स में आपको लिक्विडिटी मिलती है.
NPS भी बेहतर विकल्प
एंप्लाई चाहें तो मार्केट-लिंक्ड इंवेस्टमेंट्स पर विचार कर सकते हैं. एंप्लाई एनपीएस में निवेश के बारे में विचार कर सकते हैं जिसमें इक्विटी फंड ऑप्शन को प्रॉयोरिटी दिया जाए. एनपीएस में रिटायरमेंट पर 60 फीसदी राशि विदड्रॉल की जा सकती है जो टैक्सफ्री होगी. शेष राशि से अनिवार्य रूप से एक एन्यूटी प्लान लेना होगा जिससे जिंदगी भर पेंशन मिलेगा.
मार्केट लिंक्ड विकल्पों में कर सकते हैं निवेश
बैंक एफडी, पीपीएफ जैसे डेट इंवेस्टमेंट्स के अलावा सालाना 2.5 लाख रुपये से अधिक कांट्रिब्यूट करने वाले एंप्लाई मार्केट-लिंक्ड ऑप्शंस पर विचार कर सकते हैं, मु्ख्य रूप से कम वोलेटाइल वाले लिक्विड व डेट फंड्स. जर्मिवेट इंवेस्टर सर्विसेज एलएलपी के फाउंडर और सीईओ संतोष जोसफ का कहना है कि म्यूचुअल फंड्स में निवेशकों के सामने कई विकल्प हैं और वे अपनी मुताबिक बेहतर विकल्प का चयन कर सकते हैं.
निवेशक अपनी वित्तीय जरूरत और रिस्क लेने की क्षमता के मुताबिक बेहतरीन विकल्प का चयन कर सकते हैं. निवेशक इक्विटी, हाइब्रिड और मल्टी-कैप फंड्स वाले म्यूचुअल फंड्स के अलावा ऐसे भी फंड्स में निवेश कर सकते हैं जो इंटरनेशनल मार्केट्स व कमोडिटीज में निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा ऐसे डायनमिक इक्विटी फंड्स और बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स है जिससे निवेशकों को कम रिस्क में बेहतर रिटर्न मिल सकता है.
(Article: Sunil Dhawan)