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भविष्य के लिए बचत करने के लिए लोग विभिन्न निवेश विकल्पों की मदद लेते हैं. भारत में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) पॉपुलर बचत विकल्पों में गिने जाते हैं. इन दोनों ही बचत विकल्पों के साथ टैक्स बेनिफिट भी रहता है. आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स सेविंग FD और NSC में निवेश कर नागरिक 1.50 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं और टैक्स का बोझ थोड़ा कम कर सकते हैं.
टैक्स सेवर FD और NSC दोनों में 5 साल का लॉक इन पीरियड है, जिसे मैच्योरिटी पीरियड भी कहा जाता है. यानी आप 5 साल पूरे होने से पहले इन दोनों की बचत को भुना नहीं सकते. लेकिन कुछ असाधारण हालात में इन दोनों सेविंग इंस्ट्रूमेंट के प्रीमैच्योर विदड्रॉअल/क्लोजर की अनुमति है. आइए जानते हैं क्या हैं वे असाधारण परिस्थितियां...
टैक्स सेवर FD
टैक्स सेवर FD 5 साल की होती है. कुछ बैंकों में 5 साल की FD को ही टैक्स सेविंग FD कहा जाता है, वहीं कुछ बैंकों में अलग से टैक्स सेवर FD के नाम से प्रॉडक्ट है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के मुताबिक, वैसे तो टैक्स सेवर FD को मैच्योरिटी से पहले नहीं तुड़वाया जा सकता लेकिन डिपॉजिटर की मृत्यु हो जाने पर नॉमिनी/कानूनी वारिस, जमा राशि को मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले या बाद में, किसी भी समय विदड्रॉ कर सकता है. ऐसे मामले में FD जितनी अवधि तक बैंक में रही, बैंक उस अवधि पर लागू ब्याज दर के अनुसार ब्याज अदा करेगा और कोई जुर्माना नहीं लिया जाएगा.
SBI के मुताबिक, ज्वॉइंट खाते में फर्स्ट अकाउंटहोल्डर की मृत्यु हो जाने पर सेकंड अकाउंटहोल्डर टैक्स सेवर FD को मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले तुड़वा सकता है.
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NSC
NSC डाकघर का प्रॉडक्ट है. इस वक्त NSC पर 6.8% सालाना की ब्याज दर लागू है. इसे 5 साल का मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले केवल इन असाधारण परिस्थितियों में ही क्लोज किया जा सकता है-
- सिंगल अकाउंट के मामले में एकल खाता धारक की मृत्यु पर
- ज्वॉइंट अकाउंट में किसी एक या सभी खाताधारकों की मृत्यु पर
- एक प्रतिज्ञा पर गजटेड आॅफिसर द्वारा जब्त करने पर.
- कोर्ट द्वारा आदेश देने पर.