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आरबीआई की तरफ से शुक्रवार को जारी इस सर्कुलर में कहा गया है कि उसका यह आदेश सभी मौजूदा और नए लोन एकाउंट पर लागू होगा. रिजर्व बैंक ने इसे लागू करने के लिए 31 दिसंबर 2023 की डेडलाइन भी तय की है. (फोटो एक्सप्रेस)
RBI Circular asks lenders to provide options to switch to fixed interest rates as well as increase in EMI or loan tenor: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों, NBFC और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों समेत कर्ज देने वाले तमाम वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे ग्राहकों के लोन पर इंटरेस्ट रेट में बदलाव करते समय उन्हें फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट वाले कर्ज में स्विच करने का ऑप्शन मुहैया कराएं. इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों से यह भी कहा है कि इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर किसी ग्राहक के लोन की अवधि बढ़ानी है या ईएमआई (EMI) की रकम, यह फैसला भी ग्राहकों की सहमति से ही किया जाना चाहिए. आरबीआई ने कहा है कि इस बारे में ग्राहकों को वक्त पर पूरी जानकारी देना भी संबंधित बैंकों या वित्तीय संस्थानों की ही जिम्मेदारी है. आरबीआई की तरफ से शुक्रवार को जारी इस सर्कुलर में कहा गया है कि उसका यह आदेश सभी मौजूदा और नए लोन एकाउंट पर लागू होगा. रिजर्व बैंक ने इसे लागू करने के लिए 31 दिसंबर 2023 की डेडलाइन भी तय की है.
RBI ने दिए पॉलिसी फ्रेमवर्क बनाने के आदेश
आरबीआई ने अपने सर्कुलर में बताया है कि बहुत सारे ग्राहकों ने शिकायत की है कि उनके ईएमआई वाले फ्लोटिंग रेट लोन की अवधि या ईएमआई का एमाउंट बढ़ाने का फैसला करते समय लेंडर ने उन्हें न तो जानकारी दी और न ही इस बारे में उनकी सहमति ली गई. रिजर्व बैंक ने ग्राहकों की इन शिकायतों को दूर करने के लिए अपने नियंत्रण में आने वाले वित्तीय संस्थानों (Regulated Entities-RE) से इसके लिए एक वाजिब पॉलिसी फ्रेमवर्क बनाने को कहा है.
लोन मंजूरी के समय बताना होगा दरों में बदलाव का असर
आरबीआई ने अपने सर्कुलर में कहा है, “लोन मंजूर करते समय वित्तीय संस्थान (RE) को अपने कर्जदारों को साफ तौर पर बताना होगा कि बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट में कोई भी बदलाव होने पर उनकी ईएमआई, लोन की अवधि या दोनों पर क्या असर हो सकता है. इतना ही नहीं, भविष्य में ब्याज दरों में बदलाव की वजह से ईएमआई, टेन्योर या दोनों में कोई भी बढ़ोतरी होने पर ग्राहकों तक उसकी सूचना सही माध्यम से फौरन पहुंचानी होगी.” इसके अलावा रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि इंटरेस्ट रेट को री-सेट करते समय वित्तीय संस्थान (RE) को अपने बोर्ड द्वारा स्वीकृत पॉलिसी के अनुसार ग्राहकों को फिक्स्ड रेट में स्विच करने का विकल्प भी मुहैया कराना होगा.
आरबीआई का कहना है कि वित्तीय संस्थान की पॉलिसी में यह बात भी साफ तौर पर दर्ज होनी चाहिए कि किसी भी ग्राहक को लोन की अवधि के दौरान कितनी बार ‘स्विच’ करने की इजाजत होगी. उन्हें ग्राहकों को यह विकल्प भी देना होगा कि वे ब्याज दरें बढ़ने पर अपनी सुविधा के मुताबिक EMI बढ़ाने, लोन की अवधि में इजाफा करने या इन दोनों के किसी कंबिनेशन को अपनाने का फैसला कर सकें. इसके अलावा उन्हें लोन की पूरी अवधि के दौरान किसी भी समय पूरा कर्ज एक साथ चुकाने या उसके किसी एक हिस्से का प्री-पेमेंट करने का ऑप्शन भी दिया जाना चाहिए.