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RBI New Rules: आरबीआई ने बदले पर्सनल लोन, गोल्ड कोलैटरल और बैंकिंग कैपिटल के नियम, 1 अक्टूबर से दिखेगा असर

नए नियमों के तहत बैंक फ्लोटिंग रेट लोन का ब्याज जल्दी कम कर सकते हैं. लोन लेने वाले को ब्याज बदलते समय फिक्स्ड रेट चुनने का विकल्प भी मिलेगा, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है.

नए नियमों के तहत बैंक फ्लोटिंग रेट लोन का ब्याज जल्दी कम कर सकते हैं. लोन लेने वाले को ब्याज बदलते समय फिक्स्ड रेट चुनने का विकल्प भी मिलेगा, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है.

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FE Hindi Desk
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पर्सनल लोन, गोल्ड लोन और कैपिटल बढ़ाने में बड़े बदलाव, बैंक ग्राहकों के लिए जानना जरूरी. (Express Photo)

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग नियमों में बड़े बदलावों की घोषणा की है. इसका मकसद नीतिगत दरों का असर जल्दी ग्राहकों तक पहुंचाना, सोना और चांदी के लोन नियमों को आसान बनाना और बड़े क्रेडिट एक्सपोजर से जुड़े नियमों में ढील देना है. 29 सितंबर को RBI ने 7 सर्कुलर जारी किए, जिनमें से 3 नियम 1 अक्टूबर 2025 से तुरंत लागू होंगे. बाकी चार नियमों पर जनता से सुझाव मांगे जा रहे हैं.

1. ब्याज दर और फ्लोटिंग रेट लोन में सुधार

नए नियमों के तहत अब बैंक फ्लोटिंग रेट लोन पर ब्याज जल्दी कम कर सकते हैं, भले ही तीन साल का लॉक-इन पीरियड पूरा न हुआ हो. इसका मतलब है कि नीति दर में कटौती का फायदा जल्दी ग्राहकों तक पहुंचेगा और उनकी EMI या ब्याज कम होगी. साथ ही, अब लोन लेने वाले को यह विकल्प भी मिलेगा कि वह ब्याज बदलते समय फिक्स्ड रेट चुन लें, लेकिन यह करना अब जरूरी नहीं है. सभी फ्लोटिंग रेट पर्सनल, रिटेल और MSME लोन को अब किसी बाहरी बेंचमार्क से जोड़ा जाएगा और बैंक केवल क्रेडिट रिस्क प्रीमियम छोड़कर स्प्रेड के अन्य हिस्सों में बदलाव हर तीन साल में एक बार ही कर सकते हैं.

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2. गोल्ड और सिल्वर लोन के नियमों में बदलाव

RBI ने सोना और चांदी के लोन के नियम बदल दिए हैं. अब बैंक और टियर-3 व टियर-4 शहरी सहकारी बैंक उन लोगों को वर्किंग कैपिटल लोन दे सकते हैं जो अपने उत्पादन या उद्योग में सोना या चांदी का इस्तेमाल करते हैं. यानी सिर्फ ज्वैलरी बनाने वाले ही नहीं, बल्कि कोई भी जो सोना या चांदी कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करता है, वह बैंक से लोन ले सकेगा. लेकिन RBI ने साफ किया है कि यह सुविधा व्यक्तिगत निवेश या सट्टा करने वाले लोगों के लिए नहीं है. पुराने नियमों के अनुसार, गोल्ड या सिल्वर और उनके वित्तीय साधनों जैसे ETF या म्यूचुअल फंड यूनिट्स के खिलाफ लोन नहीं मिल सकता था. अब यह सुविधा केवल उद्योग या उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले सोने-चांदी तक ही सीमित रहेगी.

3. बेसल III और बड़े क्रेडिट एक्सपोजर में बदलाव

RBI ने बेसल III कैपिटल नियमों में बदलाव किया है. इसके तहत विदेशी बाजार से टियर-1 कैपिटल जुटाने में बैंक को अधिक सुविधा मिलेगी, क्योंकि पेपचुअल डेट इंस्ट्रूमेंट्स का लिमिट बढ़ा दिया गया है.

RBI ने 4 नए नियमों के ड्राफ्ट पर लोगों से मांगे फीडबैक

4. गोल्ड मेटल लोन (GML) नियमों पर

RBI ने गोल्ड मेटल लोन (GML) स्कीम में बदलाव के ड्राफ्ट जारी किए हैं. इस योजना की शुरुआत 1998 में ज्वैलरी एक्सपोर्टर्स को कच्चे सोने के आधार पर वर्किंग कैपिटल लोन देने के लिए की गई थी. समय के साथ इसे घरेलू ज्वैलरी मैन्युफैक्चरर्स और गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत जमा सोने पर भी लागू कर दिया गया.

अब RBI इसे और आसान बनाने, नियमों को सभी योग्य उधारकर्ताओं के लिए समान बनाने और बैंकों को अपनी नीति तय करने की अधिक स्वतंत्रता देने के लिए नए मसौदे लेकर आया है. इसके तहत बैंक अब गैर-एक्सपोर्टिंग ज्वैलर्स को लोन का भुगतान 270 दिन के भीतर तय कर सकते हैं, जो पहले 180 दिन था. इसके अलावा, अब घरेलू गैर-निर्माताओं को भी GML मिलेगा ताकि वे अपने ज्वैलरी उत्पादन के लिए आउटसोर्सिंग कर सकें.

5. इंट्रा-ग्रुप ट्रांजेक्शन और एक्सपोजर के नियम

RBI ने 2025 में इंट्रा-ग्रुप ट्रांजेक्शन (Intragroup Transactions) और बड़े क्रेडिट एक्सपोजर के नियमों में संशोधन किए हैं. इन बदलावों का मकसद विदेशी बैंक की भारत में चल रही शाखाओं के जोखिम और एक्सपोज़र को स्पष्ट करना है. अब विदेशी बैंक की भारतीय शाखाओं का उनके हेड ऑफिस या हेड ऑफिस की अन्य शाखाओं/सहायक कंपनियों के प्रति एक्सपोजर सिर्फ लार्ज एक्सपोजर फ्रेमवर्क (Large Exposures Framework) में गिना जाएगा, इंट्रा-ग्रुप ट्रांजेक्शन (Intra-Group Transactions) में नहीं. यदि ये एक्सपोज़र किसी केंद्रीय काउंटरपार्टी के जरिए निपटाए जाएं, तो उन्हें पूरी राशि के आधार पर गिना जाएगा.

6. क्रेडिट जानकारी रिपोर्टिंग के नए नियम

RBI ने 2025 से क्रेडिट रिपोर्टिंग के नए नियम बनाए हैं. अब बैंकों और अन्य लोन देने वाली संस्थाओं को अपनी जानकारी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों (CICs) को हर पंद्रह दिन या उससे भी कम समय के अंतराल पर देनी होगी. इसका मकसद यह है कि आपकी क्रेडिट रिपोर्ट हमेशा ताज़ा और सही हो, ताकि लोन देते समय बैंक आपके बारे में अपडेटेड जानकारी का इस्तेमाल कर सकें.

7. डेटा सबमिशन और एरर सुधार की प्रक्रिया तेज होगी

RBI ने ड्राफ्ट नियमों में कहा है कि अब बैंक और लोन देने वाली संस्थाओं को क्रेडिट डेटा जल्दी जमा करना होगा और अगर उसमें कोई गलती हो तो उसे तुरंत सुधारना होगा. इसके अलावा, हर ग्राहक का CKYC नंबर अलग से दर्ज करने का प्रस्ताव है, ताकि क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियां (CICs) आसानी से सभी डेटा को एक जगह इकट्ठा कर सकें.

RBI के नए नियम बैंकों और ग्राहकों दोनों के लिए अहम हैं. अब सोना-चांदी गिरवी रखकर लोन लेना आसान होगा, फ्लोटिंग रेट लोन पर ब्याज का फायदा जल्दी मिलेगा और बड़े कर्ज के नियम लचीले होंगे. साथ ही, ड्राफ्ट नियमों पर लोगों की राय भी ली जा रही है ताकि पॉलिसी और व्यावहारिक बन सके. 1 अक्टूबर 2025 से लागू होने वाले ये बदलाव खासकर उन लोगों और कंपनियों के लिए फायदेमंद रहेंगे, जो सोना-चांदी का इस्तेमाल उद्योग या उत्पादन में करते हैं.

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