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RBI Circular: लोन का फुल पेमेंट करने के 30 दिन बाद भी बैंक प्रॉपर्टी के पेपर नहीं लौटाते हैं तो ग्राहक मुआवजे के हकदार होंगे. (pixabay)
आज के दौर में आमतौर पर होमलोन लेकर घर बनवाना या फ्लैट खरीदना आम बात है. बैंक हों या नॉन फाइनेंशियल बैंक उनके पास लोन के बदले अपनी प्रॉपर्टी के पेपर गिरवी के रूप में जमा कराने होते हैं. कई बार चल या अचल संपत्ति को लोग गिरवी रखते हैं. वहीं यह भी देख गया है कि लोन चुकाने के बाद आपने बैंक के पास अपनी प्रॉपर्टी के जो कागजात जमा कराए थे, उसे वापस देने में बैंक या नॉन फाइनेंशियल बैंक लगातार देरी करते हैं. ऐसी शिकायतें लगातार आने के बाद बैंक रेगुलेटर रिजर्व बैंक ने आज 13 सिंतबर को एक नोटिफिकेशन के जरिए निर्देश देते हुए साफ किया है कि लोन देने वाली संस्थानों को बैंक का लोन चुकाए जाने के 30 दिन के अंदर चल या अचल संपत्ति के पेपर वापस लौटा दिए जाएं. अगर बैंक ऐसा करने में विफल रहे तो उन्हें इसके बाद हर 1 दिन की देरी पर 5000 रुपये जुर्माना ग्राहक को देना होगा. ​आरबीआई की वेबसाइट पर यह नोटिफिकेशन जारी किया गया है.
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केंद्रीय बैंक ने कहा है कि संपत्ति के दस्तावेज गिरवी रखने के बदले दिए गए लोन को चुकाने के बाद दस्तावेज वापस करने की समय सीमा और जगह के बारे में लोन सैंक्शन लेटर में ही उल्लेख होना चाहिए. भारतीय रिजर्व बैंक के इस निर्देश पर 1 दिसंबर 2023 से अमल शुरू हो जाएगा. कर्ज लेने वाले लोगों के अधिकारों की सुरक्षा और कर्ज देने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने यह निर्देश दिया है. रिजर्व बैंक का कहना है कि फेयर प्रैक्टिस कोड के तहत यह दिशा निर्देश जारी किया गया है. लोन लेने वाले ग्राहक को यह सुविधा दी गई है कि वह या तो नजदीकी शाखा से जाकर अपने दस्तावेज वापस ले लें या बैंक के अनुसार अपने आसपास के किसी सेंटर से इन दस्तावेजों को हासिल करें.
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क्या हैं आरबीआई के निर्देश
- रेगुलेटेड एंटीटीज यानी बैंक या एनबीएफसी सभी ओरिजिनल चल/अचल संपत्ति के दस्तावेजों को जारी करेगा और लोन खाते के फुल रीपेमेंट/सेटलमेंट के बाद 30 दिनों की अवधि के भीतर किसी भी रजिस्ट्री में रजिस्टर्ड चार्ज को हटा देगा.
- बॉरोअर को उसकी प्राथमिकता के अनुसार ओरिजिनल चल/अचल संपत्ति दस्तावेजों को या तो उस बैंकिंग आउटलेट/ब्रॉन्च से कलेक्ट करने का विकल्प दिया जाएगा, जहां लोन अकाउंट संचालित किया गया था या रेगुलेटेड एंटीटीज के किसी अन्य कार्यालय से जहां दस्तावेज उपलब्ध हैं.
- जारी किए जाने वाले लोन सैक्शन लेटर में ओरिजिनल चल/अचल संपत्ति दस्तावेजों की वापसी की समयसीमा और स्थान का उल्लेख किया जाएगा.
- सोल बॉरोअर या ज्वॉइंट बॉरोअर की डेथ की आकस्मिक घटना के मामले में रेगुलेटेड एंटीटीज के पास कानूनी उत्तराधिकारियों को ओरिजिनल चल /अचल संपत्ति दस्तावेजों की वापसी के लिए एक अच्छी तरह से निर्धारित प्रक्रिया होगी. ऐसी प्रक्रिया ग्राहक जानकारी के लिए अन्य समान नीतियों और प्रक्रियाओं के साथ रेगुलेटेड एंटीटीज की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जाएगी.
देरी करने पर देना होगा हर्जाना
अगर बैंक बॉरोअर द्वारा पूरा लोन चुकाए जाने के 30 दिन बाद तक ओरिजिनल डॉक्यूमेंट को वापस करने में देरी करते हैं या लोन के फुल रीपेमेंट या सेटलमेंट के बाद 30 दिनों से अधिक समय तक संबंधित रजिस्ट्री के साथ चार्ज सटिस्फैक्शन फॉर्म दाखिल करने में विफल रहते हैं तो उन्हें ग्राहकों को इस तरह की देरी के कारणों के बारे में बताना होगा. ऐसे मामले में जहां देरी बैंक या एनबीएफसी के कारण होती है, तो उन्हें बॉरोअर्स को हर दिन के लिए 5,000 रुपये की दर से मुआवजा देना होगा.
आंशिक या पूर्ण रूप से ओरिजिनल चल या अचल संपत्ति दस्तावेजों के नुकसान या क्षति के मामले में, बैंक या एनबीएफसी उधारकर्ता को दस्तावेजों की डुप्लिकेट या प्रमाणित कॉपी प्राप्त करने में सहायता करेंगे साथ ही इसमें आने वाला खर्च भी वहन करेंगे. हालांकि, ऐसे मामलों में, रेगुलेटेड एंटीटीज को इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 30 दिनों का अतिरिक्त समय उपलब्ध होगा और डिलेड पीरियड के मुआवजे का कैलकुलेशन उसके बाद किया जाएगा (यानी, 60 दिनों की कुल अवधि के बाद). इन निर्देशों के तहत दिया जाने वाला मुआवजा किसी भी लागू कानून के अनुसार किसी भी अन्य मुआवजे को प्राप्त करने के बारोअर के अधिकारों पर कोई असर नहीं डालेगा.
किस तारीख से होगा लागू
ये निर्देश उन सभी मामलों पर लागू होंगे जहां ओरिजिनल चल या अचल संपत्ति दस्तावेजों को 1 दिसंबर, 2023 को या उसके बाद रीलीज होना है. ये निर्देश बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21, 35ए और 56, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेए और 45एल और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए के तहत जारी किए गए हैं.