/financial-express-hindi/media/post_banners/8WaYKsRNV3rYkeGLzMQI.jpg)
महंगाई को कंट्रोल करने के लिए आगे भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. (File)
Where to Invest in Rate Hike Cycle: यूएस फेड के बाद हाल ही में एक इमरजेंसी मीटिंग के बाद RBI ने ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है. रेपो रेट 40 बीपीएस बढ़ गया है. महंगाई को कंट्रोल करने के लिए आगे भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. वह एक 2 या इससे ज्यादा बार. एक्सपर्ट का तो मामना है कि मार्च 2023 के अंत तक भारत में रेपो रेट 5.75-6% तक पहुंच सकता है. यूएस फेड भी कई बार दरें बढ़ा सकता है. ऐसे में इक्विटी के बाद अब बॉन्ड मार्केट के निवेशक भी कनफ्यूजन में हैं कि उन्हें कहां पैसे लगाने चाहिए.
बता दें कि जियोपॉलिटिकल टेंशन, महंगाई, हाई वेल्युएशन, कोविड 19 के चलते इक्विटी बाजारों में लगातार बिकवाली है. अब आगे रेट हाइक साइकिल के चलते बॉन्ड मार्केट में भी अनिश्चितता दिख रही है. जिनमें अबतक अच्छी खासी तेजी आई थी.
शॉर्ट ड्यूरेशन वाले फंड ही बेहतर
पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के हेड-फिक्स्ड इनकम, पुनीत पाल का कहना है कि वन ईयर ओवरनाईट इंडेक्स स्वैप (OIS) 100 बीपीएस बढ़ा है और 5 साल का OIS 45 बीपीएस बढ़ा है. बेंचमार्क 10-साल का बॉन्ड यील्ड 30 बीपीएस बढ़कर 7.40 फीसदी हो गया है. हमारा अनुमान है कि 10 साल की यील्ड अगले कुछ हफ्तों में 7.25%-7.50% की रेंज में रह सकती है. क्यों कि यील्ड 3 साल के हाई लेवल पर है और इससे कुछ डिमांड आ सकती है. उनका मानना है कि RBI ब्याज दरों में आगे बढ़ोतरी जारी रख सकता है और मार्च 2023 तक रेपो रेट 5.75-6% तक पहुंच सकता है.
पुनीत पाल का कहना है कि हम उम्मीद करते हैं कि अगले 3/6 महीनों में सॉवरेन बॉन्ड की तुलना में कॉरपोरेट बॉन्ड का अधिक विस्तार होगा. क्योंकि सप्लाई की कमी और सरप्लस लिक्विडिटी के चलते ये कई साल के लो पर हैं. वहीं अब RBI लिक्विडिटी मैनेजमेंट में एक्टिव हो रहा है. उनका कहना है कि निवेशकों को लंबी अवधि वाले बॉन्ड की तुलना में एक्टिवली मैनेज्ड शॉर्ट ड्यूरेशन के फंड निवेश करना चाहिए. यील्ड बढ़ने पर वे अपना निवेश बढ़ा सकते हैं.
आर्बिट्रॉज फंड में नुकसान की आशंका कम
BPN फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि यूएस फेड हो या आरबीआई अभी ब्याज दरों में आगे भी बढ़ोतरी किए जाने की उम्मीद है. एक तरह से सस्ते ब्याज का दौर अब खत्म हो रहा है. आगे ब्याज दरें बढ़ती हैं तो बॉन्ड मार्केट में गिरावट आ सकती है. बॉन्ड मार्केट को लेकर भी अनिश्चितता बनी है. इसका असर दिखने भी लगा है और लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म फंडों के रिटर्न घटने लगे हैं या निगेटिव हो रहे हैं. ऐसे में सबसे बेहतर तरीका है कि निवेशक अपना पैसा आर्बिट्रॉज फंड में लगाएं. या नुकसान की आशंका बहुत कम होती है. निगम ने फिलहाल डेट मार्केट से दूर रहने की सलाह दी है. उनका कहना है कि यह दौर सिर्फ एसआईपी (SIP) या एसटीपी (STP) के जरिए इक्विटी में पैसा लगाने का है. उनका कहना है कि 5 से 6 महीने के लिए पैसा पार्क करना है तो अभी आर्बिट्रॉज फंड चुनें.
क्या होता है आर्बिट्रॉज फंड?
ये कैश मार्केट और डेरिवेटिव मार्केट में शेयरों के भाव में अंतर का फायदा उठाने के लिए अपने फंड का इस्तेमाल करता है. म्यूचुअल फंडों की ये स्कीमें कैश सेग्मेंट में शेयरों को खरीदती हैं और साथ-साथ उसी कंपनी के डेरिवेटिव सेग्मेंट में फ्यूचर बेचती हैं. यह तभी किया जाता है जब फ्यूचर उचित प्रीमियम पर कारोबार करते हैं. यह वजह है कि शेयर बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव के दौर में इस फंड का प्रदर्शन बेहतर रहता है. फंड मैनेजर इक्विटी में निवेश करने के बाद डेरिवेटिव मार्केट में उस सौदे को हेज करता है. इससे कैश मार्केट में खरीदे गए शेयर पर जोखिम काफी हद तक घट जाता है.
(Disclaimer: यहां निवेश की सलाह एक्सपर्ट के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)