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ऐप के जरिए कर्ज लेने से पहले इन बातों का रखें ख्याल, वरना धोखा खाने पर RBI से नहीं मिलेगी मदद

ऑनलाइन कर्ज मुहैया कराने वाले ऐप की संख्या जिस तेजी से बढ़ी है, उसी हिसाब से इससे जुड़े खतरे भी सामने आ रहे हैं.

ऑनलाइन कर्ज मुहैया कराने वाले ऐप की संख्या जिस तेजी से बढ़ी है, उसी हिसाब से इससे जुड़े खतरे भी सामने आ रहे हैं.

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FE Hindi Desk
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rbi suggests to complain at nearest police station against unregistered digital lending app

आरबीआई ने कहा कि डिजिटली ऐप के जरिए कर्ज लेने के मामले में अगर कोई दिक्कत आती है तो आरबीआई सिर्फ अपने रजिस्टर्ड संस्थाओं के मामले में ही कार्रवाई करेगा.

ऑनलाइन कर्ज मुहैया कराने वाले ऐप की संख्या जिस तेजी से बढ़ी है, उसी हिसाब से इससे जुड़े खतरे भी सामने आ रहे हैं. केंद्रीय बैंक आरबीआई (RBI) के गवर्नर ने आज (8 जून) कहा कि डिजिटल तरीके से कर्ज मुहैया कराने वाले जो ऐप रजिस्टर्ड नहीं है, उनसे किसी भी प्रकार की कोई समस्या आती है तो स्थानीय पुलिस से संपर्क करना चाहिए. केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि वह केवल अपने साथ पंजीकृत संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करेगा.

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ऐप के जरिए कर्ज लेने से पहले ध्यान में रखें ये बातें

केंद्रीय बैंक आरबीआई ने कहा कि डिजिटली ऐप के जरिए कर्ज लेने के मामले में अगर कोई दिक्कत आती है तो आरबीआई सिर्फ अपने रजिस्टर्ड संस्थाओं के मामले में ही कार्रवाई करेगा. अगर ऐप रजिस्टर्ड नहीं हो तो आरबीआई ने नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करने के लिए कहा है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई की वेबसाइट पर उन ऐपों की एक सूची है, जो वेबसाइट पर इसके साथ पंजीकृत हैं.
आरबीआई ने लोगों से अनुरोध किया है कि इन ऐप का उपयोग करने से पहले यह जांच लें कि ऐप आरबीआई के साथ रजिस्टर्ड है या नहीं. अगर ऐप पंजीकृत है तो केंद्रीय बैंक किसी भी गलत काम के मामले में तुरंत कार्रवाई करेगा.

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क्यों आरबीआई ने किया सतर्क

कई बार उधार देने वाले ऐप के एजेंटों या अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न के चलते आत्महत्याओं के कुछ मामले सामने आ चुके हैं. कर्ज लेते समय लोग ऐप के साथ अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे की मोबाइल कांटैक्ट्स साझा करने के लिए सहमति दे देते हैं जिसके चलते एक ऐसी स्थिति आती है जिसमें उधार लेने वाले शख्स को उसके परिचित के सामने बदनाम किया जाता है. इस वजह से कुछ लोग आत्महत्या तक कर डालते हैं.

आरबीआई गवर्नर के मुताबिक अधिकतर डिजिटल कर्ज देने वाले ऐप आरबीआई के साथ पंजीकृत नहीं हैं और वह स्वयं ही संचालित होते हैं. जब भी आरबीआई को किसी ग्राहक से कोई शिकायत मिलती है तो वह ऐसे अपंजीकृत ऐप के ग्राहकों को स्थानीय पुलिस से संपर्क करने का निर्देश देता है, जो इस मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई करेंगे. दास ने कहा कि कई राज्यों में पुलिस ने कानून के प्रावधानों के अनुसार गलत काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है.