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G-Sec: गवर्नमेंट सिक्योरिटीज यानी ऐसे इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट होते हैं, जो केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी किए जाते हैं. (Pixabay)
Mobile App for Retail Direct Scheme : अब गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (Government Securities) में निवेश करना बेहद आसान होने वाला है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) गवर्नमेंट सिक्योरिटीज मार्केट में रिटेल निवेशकों की भागीदारी को आसान बनाने के लिए जल्द ही एक मोबाइल ऐप (Mobile App) पेश करेगा. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने फाइनेंशियल ईयर 2025 की पहली मॉनेटरी पॉलिसी पेश करते हुए यह जानकारी दी है. ऐप लॉन्च होने के बाद इन सिक्योरिटीज को खरीदना और बेचना आसान हो जाएगा.
G-Sec में निवेश करना होगा आसान
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की है कि सेंट्रल बैंक रिटेल डायरेक्ट स्कीम के लिए एक डेडिकेटेड मोबाइल ऐप लॉन्च करेगा, जिससे निवेशक बिना किसी पेरशानी या रुकावट पेमेंट कर सकें. रिटेल डायरेक्ट स्कीम गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में इनडिविजुअल निवेशकों द्वारा निवेश की सुविधा के लिए वन-स्टॉप सॉल्यूशन है. इसमें किसी मीडिएटर या एजेंट की जरूरत नहीं होती है. रिटेल डायरेक्ट स्कीम को 2021 में लॉन्च किया गया था. यह योजना निवेशकों की G-Sec निवेश तक पहुंच को आसान बनाने के लिए डिजाइन की गई है.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि गवर्नमेंट सिक्योरिटीज तक निवेशकों की पहुंच को और आसान व बेहतर बनाने के लिए रिटेल ‘डायरेक्ट पोर्टल’ की एक मोबाइल ऐप बनाई जा रही है. यह ऐप निवेशकों को अपनी सुविधानुसार, चलते-फिरते गवर्नमेंट बॉन्ड या सिक्योरिटीज खरीदने और बेचने में सक्षम बनाएगा. ऐप जल्द ही इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगा.
सुरक्षा के साथ स्टेबल रिटर्न
नए फाइनेंशियल ईयर में ब्याज दरों में कटौती को लेकर माहौल बन रहा है. ऐसे में डेट योजनाओं को लेकर भी लोगों में आकर्षण बढ़ रहा है. बहुत से निवेशक ऐसे हैं जो कन्जर्वेटिव हैं या मॉडरेट रिस्क लेने वाले. ऐसे निवेशक अब ट्रेडिशनल फिक्स्ड इनकम योजनाओं के अलावा डेट म्यूचुअल फंड में भी पैसे लगा रहे हैं. अगर आपका भी फोकस ऐसे विकल्पों को खोजने पर बढ़ रहा है, जहां पैसा सुरक्षित रहे और रिटर्न भी बेहतर हो तो इन विकल्पों में गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (G-Sec) भी शामिल हैं.
क्या होता है गवर्नमेंट बॉन्ड? (What is Government Securities)
गवर्नमेंट सिक्योरिटीज को गवर्नमेंट बॉन्ड भी कहते हैं. गवर्नमेंट सिक्योरिटीज यानी G-Sec ऐसे इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट होते हैं, जो केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी किए जाते हैं. सरकारें आम जनता से पूंजी जुटाने के लिए ये सिक्योरिटीज जारी करती हैं. ये बॉन्ड सरकार को जरूरत पड़ने पर फंडिंग सुनिश्चित करते हैं. छोटी अवधि की सिक्योरिटी ट्रेजरी बिल कहलाती है जो 1 साल से कम अवधि के लिए जारी की जाती हैं. वहीं 1 साल से अधिक के लिए जारी की जाने वाली सिक्योरिटीज को गवर्नमेंट बांड कहते हैं. केंद्र सरकार ट्रेजरी बिल और डेट सिक्योरिटीज, दोनों जारी करती है. राज्य सरकारें सिर्फ डेट सिक्योरिटीज ही जारी कर सकती हैं
कितना मिलता है ब्याज
ब्याज का पेमेंट गवर्नमेंट बॉन्ड कांट्रैक्ट में तय किए गए कूपन रेट के आधार पर किया जाता है. गवर्नमेंट बॉन्ड केंद्र या राज्य सरकारें जारी करती हैं, इसलिए इनमें रिस्क बहुत कम होता है. इसकी एक खासियत यह हे कि जब बॉन्ड मैच्योर हो जाते हें तो निवेशक को निवेश की गई राशि वापस मिल जाती है. ब्याज का फायदा अलग से होता है. अब सरकारें सहकारी बैंकों और रिटेल निवेशकों जैसे छोटे निवेशकों को भी G-Sec की पेशकश करती हैं.