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Real Estate vs Mutual Fund: रियल एस्टेट या म्यूचुअल फंड, निवेश के लिए क्या है बेहतर विकल्प?

Real Estate vs Mutual Funds: लांग टर्म के लिए कुछ निवेशक रीयल एस्टेट में पैसे लगाते हैं तो कुछ म्यूचुअल फंड में पैसे लगाना पसंद करते हैं.

Real Estate vs Mutual Funds: लांग टर्म के लिए कुछ निवेशक रीयल एस्टेट में पैसे लगाते हैं तो कुछ म्यूचुअल फंड में पैसे लगाना पसंद करते हैं.

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FE Hindi Desk
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Real Estate vs Mutual Funds know here about which is the Better Investment Option

म्यूचुअल फंड में निवेश पर शानदार रिटर्न हासिल कर सकते हैं क्योंकि इसमें पैसे कंपाउंडिंग होकर बढ़ते हैं जबकि रीयल एस्टेट में ऐसा नहीं है. (Image- Pixabay)

Real Estate vs Mutual Funds: निवेश से पहले कई बातों पर विचार करना पड़ता है और फिर उसके बाद निवेशक अपने हिसाब से लिस्ट बनाते हैं कि पैसे कहां लगाए जाएं. लांग टर्म की बात करें तो कुछ निवेशक रीयल एस्टेट में पैसे लगाते हैं तो कुछ म्यूचुअल फंड में पैसे लगाना पसंद करते हैं. निवेश की शुरुआत करने से पहले निवेशकों के मन में इस बात को लेकर उलझन रहती है कि रीयल एस्टेट में पैसे लगाना बेहतर है या म्यूचुअल फंड्स. दोनों में से आपके लिए बेहतर कौन है, इसका फैसला इनकी तुलना करके लिया जा सकता है.

कानूनी पेच

रीयल एस्टेट के साथ एक दिक्कत कानूनी पेच का आता है. अगर किसी प्रॉपर्टी के साथ कोई कानूनी दिक्कत आ गई तो यह मामला लंबे समय तक खिंच सकता है. इससे प्रॉपर्टी की वैल्यू भी कम होती है और हो सकता है कि आपका पैसा लंबे समय तक फंसा रहे. वहीं दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड को सेबी रेगुलेट करती है जिसके चलते इसमें कानूनी दिक्कतें आने की आशंका बहुत ही कम होती है.

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निगरानी

अगर आपने साझेदारी में कोई प्रॉपर्टी खरीदा है या किसी दूर-दराज के इलाके में प्रॉपर्टी खरीदा है तो इसकी निगरानी काफी मुश्किल भरा होता है और अगर ऐसा नहीं कर पा रहे तो कानूनी दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं. वहीं दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड में निवेश को ऑनलाइन जब चाहे ट्रैक कर सकते हैं कि आपका पैसा आपके लक्ष्य के हिसाब से बढ़ रहा है या नहीं.

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पूंजी

रीयल एस्टेट में निवेश के लिए ढेर सारे पैसे की जरूरत होती है जबकि म्यूचुअल फंड में छोटी सी राशि से भी शुरुआत की जा सकती है. म्यूचुअल फंड में महज 500 रुपये में भी एसआईपी शुरू कर सकते हैं जो हर महीने आपके बैंक खाते से अपने आप कटता जाएगा और कुछ समय बाद आपके पास अच्छी-खासी पूंजी तैयार हो जाएगी.

टैक्स देनदारी

रीयल एस्टेट और म्यूचुअल फंड, दोनों में निवेश पर टैक्स बेनेफिट्स हासिल कर सकते हैं. कुछ म्यूचुअल फंड्स में सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की जमा पर टैक्स बेनेफिट्स हासिल कर सकते हैं. रीयल एस्टेट में इंडेक्सेशन के जरिए निवेशक टैक्स बचा सकते हैं.

लिक्विडिटी

पैसे लगाने से पहले निवेशक लिक्विडिटी पर भी गौर करते हैं यानी कि जरूरत के समय कितनी जल्द उनके हाथ में नगदी आ सकती है. इस कसौटी पर म्यूचुअल फंड अधिक बेहतर है क्योंकि रीयल एस्टेट के निवेश से बाहर निकलना समय खाने वाला प्रोसेस है. इसके विपरीत म्यूचुअल फंड से आप जब चाहें घर बैठे ऑनलाइन अपने पैसे निकाल सकते हैं.

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निवेश की प्रक्रिया

रीयल एस्टेट में निवेश के लिए कई प्रक्रियाओं और पेपरवर्क से गुजरना होता है. इसके अलावा निवेशकों को CERSAI चार्जेज, स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन चार्ज इत्यादि चुकाना होता है. ऐसे में यह काफी समय खाने वाला प्रोसेस साबित होता है. इसके विपरीत म्यूचुअल फंड में निवेश में मिनटों का ही समय लगता है. इसमें एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं तो नियमित अंतराल पर आपके बैंक खाते से अपने आप पैसे कट जाएंगे और कोई अतिरिक्त खर्च भी नहीं है.

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रिटर्न

रीयल एस्टेट को लेकर निवेशकों का आकर्षण बना हुआ है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों से यह रिस्की इंवेस्टमेंट बना हुआ है और इसमें अधिक रिटर्न नहीं मिल पा रहा है. वहीं दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड मॉडेरेट रिस्क के साथ हाई रिटर्न दे रहा है. रीयल एस्टेट में 7-11 फीसदी सालाना का रिटर्न मिल रहा है जबकि म्यूचुअल फंड में 14-19 फीसदी रिटर्न पा सकते हैं जो चुने गए फंड पर निर्भर करता है. लंबे समय तक म्यूचुअल फंड में निवेश पर शानदार रिटर्न हासिल कर सकते हैं क्योंकि इसमें पैसे कंपाउंडिंग होकर बढ़ते हैं जबकि रीयल एस्टेट में ऐसा नहीं है.

(Input: cleartax)

(डिस्क्लेमर: यह लेख महज जानकारी के लिए है. निवेश से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने सलाहकार से जरूर संपर्क कर लें.)

Real Estate 2 Mutual Fund