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RBI की तरफ से जारी दिशानिर्देशों का मकसद फ्रॉड और गैरकानूनी गतिविधियों पर रोक लगाना है.
RBI Tightens Scrutiny Over Digital Lending Apps: कर्ज मुहैया कराने वाले डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (Digital Lending Apps - DLAs) पर अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पहले से ज्यादा सख्ती से नज़र रखेगा. इन ऐप्स की निगरानी बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक ने बुधवार को नई गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं. इन गाइडलाइन्स में डिजिटल लेंडिंग ऐप्स के साथ ही साथ उनके जरिए कर्ज मुहैया कराने वाले वित्तीय संस्थानों की निगरानी किए जाने का भी इंतजाम किया गया है. रिजर्व बैंक को डिजिटल लेंडिंग ऐप्स द्वारा कई तरह की गड़बड़ियां किए जाने की शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद ही उसने यह कदम उठाया है.
RBI के दिशानिर्देशों में क्या है?
रिजर्व बैंक की तरफ से जारी नई गाइडलाइन्स में कर्ज का भुगतान करने और उनकी वसूली करने का अधिकार सिर्फ बैंकों और उन वित्तीय संस्थानों को ही दिया गया है, जिन्हें मौजूदा व्यवस्था के तहत सही ढंग से रेगुलेट किया जाता है. इसमें लोन के भुगतान और री-पेमेंट की वसूली का काम किसी भी थर्ड पार्टी के जिम्मे छोड़ दिए जाने की इजाजत नहीं दी गई है. इस बारे में रिजर्व बैंक की गाइडलाइन्स में लिखा है, “कर्ज के सभी भुगतान (disbursals) और री-पेमेंट का लेनदेन सिर्फ कर्ज लेने वाले और रेगुलेटेड वित्तीय इकाई के बैंक खातों के बीच ही होना चाहिए. इसे किसी लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर या किसी भी थर्ड पार्टी के पूल एकाउंट के माध्यम से दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए.”
कर्ज लेने वाले पर न पड़े फीस का भार : RBI
रिजर्व बैंक की नई गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि डिजिटल लेंडिंग ऐप्स अगर किसी तरह की फीस लेते हैं, तो उसका भुगतान कर्ज देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान को करना होगा. ऐसी किसी भी फीस का बोझ कर्ज लेने वाले पर नहीं डाला जाना चाहिए. इसके अलावा रिजर्व बैंक ने अपने दिशानिर्देशों में डिजिटल लेंडिंग ऐप्स के जरिए डेटा कलेक्ट किए जाने के मसले पर भी ध्यान दिया है. RBI ने इस मसले का जिक्र करते हुए लिखा है, “डिटिजल लेंडिंग ऐप्स(DLAs) के जरिए सिर्फ वही डेटा कलेक्ट किया जाना चाहिए, जो जरूरी हो और उसका ऑडिट ट्रेल भी स्पष्ट होना चाहिए. इसके अलावा डेटा कलेक्शन के लिए कर्ज लेने वाले की स्वीकृति भी पहले से लेनी होगी.”
अपने आप नहीं बढ़ा सकते क्रेडिट लिमिट
रिजर्व बैंक द्वारा जारी नॉर्म्स में कर्ज लेने वाले की पूर्व-सहमति के बिना उसकी क्रेडिट लिमिट बढ़ाने पर भी रोक लगाई गई है. इसके अलावा कर्ज पर वसूली जाने वाली ब्याज दर और दूसरे चार्जेज की जानकारी भी कर्ज लेने वाले को साफ-साफ शब्दों में देनी होगी.
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल की शुरुआत में डिजिटल लेंडिंग के बारे में नॉर्म्स बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया था. RBI को कर्ज लेने वालों की तरफ से शिकायतें मिली थीं कि DLAs द्वारा गलत तौर-तरीके अपनाए जा रहे हैं. इसी के बाद रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया था. जनवरी 2021 में रिजर्व बैंक द्वारा गठित इस वर्किंग ग्रुप ने नवंबर 2021 कुछ सिफारिशें की थीं, जिनमें डिजिटल लेंडर्स पर ज्यादा सख्त नियम लागू किए जाने का सुझाव दिया गया था. इनमें से कुछ सिफारिशों को मंजूर किया जा चुका है, जबकि कई सुझावों पर विचार हो रहा है.