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Loan Restructuring: आप भी कराने जा रहे हैं लोन रिस्ट्रक्चर, पहले जान लें ये जरूरी बातें

लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा को उन कर्जदारों को ध्यान में रखकर पेश किया गया है, जो कोविड19 महामारी के दौर में पैसे की समस्या से गुजर रहे हैं और अपना लोन वक्त पर चुका पाने में सक्षम नहीं हैं.

लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा को उन कर्जदारों को ध्यान में रखकर पेश किया गया है, जो कोविड19 महामारी के दौर में पैसे की समस्या से गुजर रहे हैं और अपना लोन वक्त पर चुका पाने में सक्षम नहीं हैं.

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FE Online
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Restructuring of loan, Critical things to keep in mind before opting for a Loan Restructuring Plan

Image: Reuters

Loan Restructuring: हाल ही में SBI ने रिटेल लोन्स की रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा ग्राहकों को देने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है. लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा को उन कर्जदारों को ध्यान में रखकर पेश किया गया है, जो कोविड19 महामारी के दौर में पैसे की समस्या से गुजर रहे हैं और अपना लोन वक्त पर चुका पाने में सक्षम नहीं हैं. होम लोन, एजुकेशन लोन, ऑटोमोबाइल लोन या पर्सनल लोन के रिस्ट्रक्चरिंग विकल्प को लेकर सोच समझ कर फैसला करना बेहद जरूरी है. इसके कुछ ऐसे वित्तीय पहलू हो सकते हैं, जो कर्जदार के फाइनेंस को आगे चलकर बिगाड़ सकते हैं. यहां कुछ ऐसी ही गंभीर बातों का जिक्र किया जा रहा है, जिन्हें लोन रिस्ट्रक्चरिंग विकल्प लेते वक्त दिमाग में रखना जरूरी है.

रिस्ट्रक्चरिंग प्लान में लागू टर्म्स के बारे में हो पूरी स्पष्टता

लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिए आप पात्र हैं या नहीं, यह जानने के साथ-साथ इसका भी पता कर लें कि आप अपने कर्ज के रिपेमेंट को कितने वक्त के लिए टाल सकते हैं, उस पर अतिरिक्त लागत क्या होगी; रिकैलकुलेटेड EMI अमाउंट, लोन चुकाने की अवधि और अनुमानित ब्याज कितना बनेगा. मोरेटोरियम के लिए क्वालिफाई करने के लिए आपको यह दिखाना होगा कि आपकी आय महामारी से प्रभावित हुई है. SBI के मुताबिक सैलरीड इंप्लॉइज को सैलरी स्लिप्स या अकाउंट स्टेटमेंट दिखाना होगा, जिससे लॉकडाउन के दौरान सैलरी में कटौती या सस्पेंशन या जॉब लॉस को साबित किया जा सके. वहीं सेल्फ इंप्लॉयड कर्जदारों को एक डिक्लेरेशन देना होगा, जो लॉकडाउन में कारोबारी गतिविधि बंद होने या कम होने को दर्शाए. SBI में केवल वही लोन खाते रिस्ट्रक्चरिंग के लिए पात्र हैं, जो 1 मार्च 2020 तक बैंक की बुक्स में मौजूद थे.

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SBI का यह भी कहना है कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा केवल हाउसिंग व अन्य संबंधित लोन्स, एजुकेशन लोन, व्हीकल लोन (कमर्शियल इस्तेमाल से अलग) और पर्सनल लोन्स पर उपलब्ध है. लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिए 24 दिसंबर 2020 तक अप्लाई किया जा सकता है. लोन का स्टैंडर्ड लोन होना जरूरी है और डिफॉल्ट 1 मार्च 2020 तक 30 दिन से अधिक का नहीं होना चाहिए. SBI कह चुका है कि पात्र कर्जदारों को 2 साल तक की अवधि के मोरेटोरियम या किस्तों की रिशिड्यूलिंग की पेशकश की जा सकती है. लोन चुकाने की अवधि में विस्तार मोरेटोरियम की अवधि के बराबर यानी 2 साल तक का रहेगा.

लोन रिस्ट्रक्चरिंग की लागत में फैक्टर

यह समझना बेहद जरूरी है कि मोरेटोरियम और रिस्ट्रक्चरिंग प्लान लेने का मतलब यह नहीं है कि आपको कर्ज के रिपेमेंट में छूट मिल गई है. इन दोनों विकल्पों में ब्याज EMI डिफरमेंट यानी टाली गई EMI अवधि के दौरान भी लगेगा. SBI कह चुका है कि अगर कर्जदार लोन मोरेटोरियम चुनते हैं तो उन्हें लोन की बची हुई अवधि के लिए मौजूदा प्राइसिंग के ऊपर 0.35 फीसदी का अतिरिक्त ब्याज देना होगा. यह बैंक द्वारा किए जाने वाले अतिरिक्त प्रोविजन्स की आशिंक कॉस्ट की भरपाई के लिए है. यह अतिरिक्त ब्याज ग्राहक पर कुल अनुमानित ब्याज भुगतान में बढ़ोत्तरी कर देगा. इसलिए कर्जदारों को यह कैलकुलेट करना जरूरी है कि रिस्ट्रक्चरिंग प्लान कैसे उनके लोन के बोझ पर असर डालेगा. अगर लोन रिस्ट्रक्चरिंग को चुन रहे हैं तो ग्राहक के पास अतिरिक्त ब्याज को जल्द से जल्द चुकाने के लिए एक बाउंस बैक प्लान होना चाहिए.

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समझें लोन की अवधि कैसे होगी प्रभावित

रिस्ट्रक्चरिंग से अतिरिक्त ब्याज लागत और EMI अमाउंट के साथ-साथ लोन अवधि के संभावित विस्तार पर भी ध्यान दें. अगर आपने होम लोन जैसे लॉन्ग टर्म लोन की अभी शुरुआत ही की है और इसे रिस्ट्रक्चर कराने की सोच रहे हैं तो जान लें कि ऐसा करने से लोन चुकाने की अवधि कई साल बढ़ सकती है. हालांकि यह लोन अमाउंट, लोन चुकाने ​की वास्तविक अवधि और अभी तक किए गए रिपेमेंट पर निर्भर करेगा. अगर आप नौकरीपेशा हैं और रिटायरमेंट के करीब हैं तो लोन रिस्ट्रक्चरिंग विकल्प से लोन चुकाने की अवधि में संभावित विस्तार बेहद जोखिमभरा हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि रिस्ट्रक्चर्ड लोन की अवधि आपके रिटायरमेंट के बाद के सालों तक जाएगी, जहां आपकी आय के माध्यम कम होंगे. इसलिए फैसला लेने से पहले रिस्ट्रक्चर्ड लोन की बढ़ी हुई अवधि में रिपेमेंट की संभावना का आकलन जरूर कर लें.

कर्जदारों के लिए अच्छा यही है कि वह अपने कर्ज को मोरेटोरियम या लोन चुकाने की अवधि में बढ़ोत्तरी के बिना समय पर चुकाने की हरसंभव कोशिश करें. जब लोन वक्त पर चुकाने का कोई तरीका या रास्ता न मिल पा रहा हो तभी लोन रिस्ट्रक्चरिंग विकल्प का सहारा लें.

(लेखक आदिल शेट्टी BankBazaar.com के CEO हैं.)

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