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Retirement Planning: रिटायरमेंट प्‍लानिंग के लिए म्‍यूचुअल फंड पर बढ़ा भरोसा, वित्तीय प्राथमिकता का बदल रहा है ट्रेंड - सर्वे

Invest for Retirement: सर्वे के अनुसार भारतीय निवेशक अभी भी फिक्‍स्‍ड इनकम विकल्‍पों और बीमा को प्राथमिकता देते हैं. हालांकि सीधे इक्विटी/शेयर और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की तुलना में म्‍यूचुअल फंड का आकर्षण बढ़ रहा है.

Invest for Retirement: सर्वे के अनुसार भारतीय निवेशक अभी भी फिक्‍स्‍ड इनकम विकल्‍पों और बीमा को प्राथमिकता देते हैं. हालांकि सीधे इक्विटी/शेयर और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की तुलना में म्‍यूचुअल फंड का आकर्षण बढ़ रहा है.

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FE Hindi Desk
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Retirement Planning

Financial Planning: रिटायरमेंट भारतीयों के लिए अब तेजी से वित्तीय प्राथमिकता बन रही है और ज्यादा से ज्यादा लोग इसे तरजीह दे रहे हैं. (file image)

Financial Priority for Indians: 'रिटायरमेंट' की बात करें तो कुछ साल पहले यह भारतीयों के फाइनेंशियल प्‍लानिंग में प्राथमिकता नहीं थी. इसकी बजाए बहुत से लोग अपने दूसरे लक्ष्‍य को पूरा करने के लिए प्‍लानिंग करते थे. लेकिन अब ट्रेंड बदल रहा है. रिटायरमेंट भारतीयों के लिए अब तेज गति से वित्तीय प्राथमिकता बन रही है और ज्यादा से ज्यादा लोग अब अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग में इसे तरजीह दे रहे हैं. रिटायरमेंट को फाइनेंशियल प्‍लानिंग में ऊपर रखने के मामले में भारत 2023 के एक सर्वे के अनुसार दुनिया में छठे स्‍थान पर पहुंच गया है, जो 2020 में 8वें स्‍थान पर था. पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड रिटायरमेंट रेडीनेस सर्वे 2023 में ये बातें सामने आई हैं.

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सर्वे के अनुसार पहले रिटायरमेंट मुख्य रूप से परिवार के दायित्वों को पूरा करने को लेकर जुड़ा था. लेकिन पिछले कुछ साल में, इसकी परिभाषा आत्म-सम्मान और खुद की पहचान की तलाश तक पहुंच गई है. यानी अब लोग रिटायरमेंट के बाद भी वर्किंग ईयर की तरह बेहतर लाइफ जीना चाहते हैं. पीजीआईएम इंडिया रिटायरमेंट रेडीनेस सर्वे 2023 से पता चलता है कि आज, भारतीय अपनी जरूरतों या इच्छाओं से समझौता किए बिना अपने फाइनेंस पर नियंत्रण चाहते हैं, जिसके लिए बेहतर रिटायरमेंट प्‍लानिंग बहुत जरूरी है.

रुपये पैसे से संबंधित दो महत्वपूर्ण पहलू जिन पर महामारी का प्रभाव पड़ा है, वे हैं:

पॉजिटिव पहलू

पॉजिटिव पहलू यह है कि धन को अप्रत्याशित/अपेक्षित जरूरतों के प्रति 'सुरक्षा जाल' के रूप में माना जाता है. इसे अपनी फैमिली के प्रति अपने कमिटमेंट को पूरा करने के लिए 'सक्षम बनाने वाला' और सामाजिक सम्मान और गौरव चाहने वालों के लिए 'सक्षम होने का प्रतीक' माना जाता है. महामारी के बाद, यह 'स्वतंत्रता की तलाश' के नए आकार में विकसित हुआ है - यानी अपनी लाइफ स्‍टाइल और जरूरतों से समझौता किए बिना जिम्मेदारियों को पूरा करना.इन जरूरतों और जिम्मेदारियों में बड़ा घर बनाना, बच्चों के लिए क्वालिटी एजुकेशन से लेकर फैशन, तकनीक, साज-सज्जा विकल्पों, छुट्टियों आदि के माध्यम से लाइफ स्‍टाइल को बेहतर बनाना शामिल है.

निगेटिव पहलू

निगेटिव पहलू यह है कि पैसा बनाने और उसे मैनेज करने को लेकर लोगों के कमिटमेंट और जिम्मेदारियों को पूरा करने की क्षमता पर सीधा प्रभाव पड़ता है. निगेटिव पहलू में, अगर कोई विशेषज्ञता की कमी या बढ़ते फाइनेंशियल डिजिटल वर्ल्ड को अपनाने में असमर्थता/देरी होने के कारण अपने पैसे को अच्छी तरह से मैनेज करने में असमर्थ है - तो इससे सामाजिक शर्मिंदगी, कम आत्मसम्मान और/या कमी की भावना पैदा हो सकती है.

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सर्वे की प्रमुख बातें

  1. व्यक्तिगत आय में बढ़ोतरी के साथ लोगों की आय में से कर्ज और देनदारियों के लिए अलोकेशन बढ़ रहा है. भारतीय अपने धन का 59 फीसदी घरेलू खर्चों के लिए और 18 फीसदी लोन चुकाने के लिए रख रहे हैं, जो 2020 के मुकाबले ज्‍यादा है.
  2. लोगों द्वारा पूंजी के निर्माण की दिशा में एक प्रयास किया जा रहा है, जहां कुल आय का 5 फीसदी स्किल डेवलपमेंट या एजुकेशन लोन के लिए अलोकेट किया जाता है.
  3. सर्वे में भाग लेने वाले 48 फीसदी ने बताया कि महामारी के कारण सोच, व्यवहार और वित्तीय योजना में बदलाव आया है - भारतीय वित्तीय रूप से अधिक जागरूक, योजना बनाने वाले और अनुशासित हो गए हैं.
  4. कम आय के साथ, अधिक रिटर्न जेनरेट करने और वित्तीय रूप से सुरक्षित रहने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. जैसे-जैसे आय बढ़ रही है, लोगों की प्राथमिकता अपने वर्तमान वर्किंग प्लेस में उच्च पद तक पहुंचना और पैसिव इनकम के सोर्स विकसित करने जैसे अन्य पहलुओं को दी जा रही है.
  5. पहचान' और 'आत्म-सम्‍मान' अब केवल भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को पूरा करने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि खुद की देखभाल करना और जानने तक भी बढ़ रहा है.
  6. महामारी के बाद, भारतीयों ने पारिवारिक सुरक्षा के अलावा, मेडिकल इमरजेंसी और रिटायरमेंट योजना जैसी लंबी अवधि के लक्ष्‍य पर अधिक जोर देना शुरू कर दिया है.
  7. महामारी के बाद फाइनेंस मैनेजमेंट से संबंधित 'आय के वैकल्पिक सोर्स की कमी' के बारे में चिंता करने वालों की संख्या साल 2020 में 8% से बढ़कर 2023 में 38% तक पहुंच गई है.
  8. महामारी के बाद, 'महंगाई' और 'आर्थिक मंदी' रिटायरमेंट के बाद फाइनेंस मैनेजमेंट से संबंधित चिंताओं की टॉप लिस्ट में आ गए - यह 2020 के सर्वे की तुलना में दोगुना हो गया, जो हाल की मैक्रो-इकोनॉमिक चुनौतियों के प्रभाव को दर्शाता है.
  9. करीब 67 फीसदी भारतीयों का कहना है कि वे रिटायरमेंट के लिए तैयार हैं, जिससे उन्हें काम और जीवन के बारे में पॉजिटिव सोच मिलती है. जिन लोगों ने अपनी रिटायरमेंट की योजना बनाई है, वे आमतौर पर इसे 33 साल की उम्र के आसपास शुरू करते हैं और जिन्होंने नहीं किया है, वे 50 की उम्र में शुरू करने का इरादा रखते हैं.
  10. 2020 में 10% की तुलना में 2023 में 23% लोगों को सीधे इक्विटी/शेयर और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की तुलना में म्‍यूचुअल फंड ज्यादा आकर्षक दिख रहा है. सर्वे के अनुसार भारतीय निवेशक अभी भी फिक्‍स्‍ड इनकम विकल्‍पों और बीमा को प्राथमिकता देते हैं.
  11. बदल रही लाइफ स्‍टाइल और मैक्रो-इकोनॉमिक स्थितियों के साथ, भारतीयों को लगता है कि उन्हें अपने रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए अपनी सालाना आय का 10-12 गुना चाहिए, जो 2020 के सर्वेक्षण में 8-9 गुना था.
  12. 2020 के सर्वे में हमने महामारी से पहले के युग में जो देखा. उसके विपरीत, भारतीयों ने अब फाइनेंशियल सिक्‍योरिटी को स्वतंत्रता के साथ जोड़ना शुरू कर दिया है. संयुक्त परिवार में रहने वाले भी अब वित्तीय सुरक्षा को लेकर सजग हैं.
  13. आय का वैकल्पिक सोर्स होने से रिटायरमेंट के लिए तैयारी की भावना काफी बढ़ जाती है. सर्वे में भाग लेने वाले 36 फीसदी में से जिनके पास वैकल्पिक आय के सोर्स हैं, उनमें से 42 फीसदी ऐसे हैं, जिन्हें फाइनेंशियल एसेट्स में निवेश से अतिरिक्त आय होती है.
  14. जिनके पास रिटायरमेंट योजना है, उनमें से सिर्फ 10 फीसदी ही रजिस्‍टर्ड इन्‍वेस्‍टमेंट एडवाइजर से उचित फाइनेंशियल प्लानिंग को लेकर सेवाएं चाहते हैं.
  15. सर्वे में भाग लेने वाले 2 में से 1 ने महसूस किया कि अगर कंपनी या संगठन उनकी रिटायरमेंट/फाइनेंशियल प्लानिंग को आगे बढ़ाता है या सुविधा प्रदान करता है, तो कर्मचारियों की वफादारी भी उनके प्रति बढ़ेगी.

पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ अजीत मेनन ने कहा कि हमने समग्र रूप से एक स्‍पष्‍ट व्यवहार और व्यावहारिक बदलाव देखा है, जहां महामारी ने कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रभावित किया है. किसी के परिवार के प्रति भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को पूरा करने के साथ-साथ 'खुद की पहचान', 'खुद की देखभाल' और 'आत्म-सम्‍मान' पर जोर पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण बनकर उभरा है. पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के एसवीपी, बिहेवियर फाइनेंस एंड कंज्यूमर इनसाइट्स, डॉ. संगीत कौर ने कहा कि भारतीयों के बीच रिटायरमेंट प्‍लानिंग का बढ़ता महत्‍व एक सकारात्मक ट्रेंड है. यह लंबी अवधि में वित्तीय सुरक्षा के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग के महत्व के बारे में बढ़ती जागरूकता को दिखाता है.

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