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COVID-19: बाजार में पैसा डूबने का खतरा! एकमुश्त की जगह करें थोड़ा-थोड़ा निवेश, RD और SIP में कौन बेहतर

जब बाजार में पैसा डूबने का हो डर तो बेहतर है कि पूरी रकम को एक मुश्त न लगाकार उसे थोड़ा थोड़ा निवेश किया जाए.

जब बाजार में पैसा डूबने का हो डर तो बेहतर है कि पूरी रकम को एक मुश्त न लगाकार उसे थोड़ा थोड़ा निवेश किया जाए.

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Sushil Tripathi
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जब बाजार में पैसा डूबने का हो डर तो बेहतर है कि पूरी रकम को एक मुश्त न लगाकार उसे थोड़ा थोड़ा निवेश किया जाए.

RD Vs SIP, Safe Investment in Situation Like COVID-19, recurring deposit, mutual fund SIP, regular saving, small savings scheme, coronavirus fear, investors wealth tank as COVID-19 rise जब बाजार में पैसा डूबने का हो डर तो बेहतर है कि पूरी रकम को एक मुश्त न लगाकार उसे थोड़ा थोड़ा निवेश किया जाए.

Safe Investment in Situation Like COVID-19: मौजूदा दौर में कोरोना वायरस के चलते कैपिटल मार्केट की हालत खराब है. ज्यादातर निवेशकों का पैसा इक्विटी मार्केट या इक्विटी ओरिएंटेड फंड में डूब रहा है. ऐसे में एक बार फिर लोगों का भरोसा डाकघर या बैंकों की स्माल सेविंग्स स्कीम की ओर बढ़ा है. इनमें भी सबसे बेहतर तरीका है कि अपनी पूरी रकम को एक मुश्त न लगाकार उसे थोड़ा थोड़ा निवेश किया जाए. इसके लिए डाकघर या बैंकों की रिकरिंक डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP के जरिए निवेश बेहतर विकल्प हो सकता है. RD और SIP दोनों के जरिए आप हर महीने अपनी बचत का कुछ न कुछ हिस्सा निवेश कर सकते हैं. अगर आपके मन में सवाल उठ रहा है कि छोटी बचत के लिए कौन सा विकल्प बेहतर है तो यह रिपोर्ट आपके काम की हो सकती है.

क्या है RD

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रिकरिंग डिपॉजिट (RD) एक तरह का टर्म डिपॉजिट है जो निवेशकों की रेग्युलर सेविंग की आदत को बढ़ावा देता है. इसे डाकघर से लेकर अलग अलग बैंकों में खुलवाया जा सकता है. RD अकाउंट में अलग अलग मेच्योरिटी पीरियड के लिए बैंक या डाकघर तय ब्याज देते हैं. अकाउंट का टेन्योर 6 महीने से 10 साल तक का हो सकता है. मेच्योरिटी के समय निवेशक को ब्याज के साथ रकम जोड़कर मिल जाती है. सेविंग अकाउंट के साथ RD भी खोल सकते हैं.

क्या है SIP

सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान आपको हर महीने एक निश्चित रकम को आपके पसंद की म्यूचुअल फंड्स स्कीम में डालने की सुविधा देता है. आप चाहे तो एसआईपी के जरिए हर हफ्ते भी निवेश कर सकते हैं. निवेश में अनुशासन का बहुत महत्व है. यह नियमित रूप से निवेश जारी रखता है. बाजार में तेजी हो या मंदी आपका पैसा म्यूचुअल फंड्स में जाता रहता है. मसलन, अगर आपने किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में एक निश्चित रकम हर महीने डालने का फैसला किया तो आपको इसके लिए अलग से समय निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

रिटर्न: RD

रिकरिंग डिपॉजिट पर रिटर्न पहले से तय होता है, जो अलग अलग टेन्योर के लिए अलग अलग होता है. मसलन डाकघर की रिकरिंग डिपॉजिट स्कीम पर 5 साल के लिए 7.2 फीसदी सालाना ब्याज जिकी कंपाउंडिंग क्वार्टली है, मिल रहा है. एसबीआई 1 साल से 2 साल तक की अवधि पर सामान्य निवेशकों को 6.8 फीसदी सालाना ब्याज दे रहा है. वहीं 2 से 5 साल तक की अवधि पर पर भी 6.8 फीसदी और 5 साल से 10 साल की अवधि पर 6.85 फीसदी ब्याज है. सीनियर सिटीजंस को समान योजना पर 50 बेसिस प्वॉइंट तक ज्यादा ब्याज मिल रहा है.

रिटर्न: SIP

म्यूचुअल फंड SIP में रिटर्न फिक्स नहीं होता है. ये योजनाएं मार्केट लिंक्ड होती हैं. वैक्से लंबी अवधि की बात करें तो कई इक्विटी म्यूचुअल फंड ने 10 साल में 10 से 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज दिए हैं. हालांकि कई योजनाओं में ब्याज कम भी रहा है. इसी तरह से डेट म्यूचुअल फंड का औसत सालाना रिटर्न 8 से 10 फीसदी तक रहा है.

जोखिम: RD Vs SIP

RD में निवेश करने पर कोई जोखिम नहीं होता है. इसमें ब्याज दरें पहले से तय रहती हैं. इसमें किसी तरह का मार्केट रिस्क नहीं होता है.

म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिम के अधीन होते हैं. इसका रिटर्न बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर रहता है.

टैक्स में देनदारी: RD Vs SIP

RD पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल होता है. अगर आपकी ब्याज आय 10 हजार रुपए से ज्यादा है, तो इस पर TDS भी देना होता है. SIP से म्यूचुअल फंड में निवेश भी टैक्सेबल होता है.