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Subrata Roy passes away: सुब्रत रॉय के निधन के बाद बड़ा सवाल, सहारा निवेशकों के पैसों का क्या होगा? SEBI के पास जमा है 25 हजार करोड़ से ज्यादा रकम

Sahara Group Chief passed away: सहारा ग्रुप के संस्थापक सुब्रत रॉय का मंगलवार की देर रात 75 साल की उम्र में मुंबई में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

Sahara Group Chief passed away: सहारा ग्रुप के संस्थापक सुब्रत रॉय का मंगलवार की देर रात 75 साल की उम्र में मुंबई में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

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FE Hindi Desk
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Subrata Roy passes away: सहारा ग्रुप के संस्थापक सुब्रत रॉय का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार की रात मुंबई में निधन हो गया. (File Photo : Reuters)

After Subrata Roy's demise undistributed Sahara funds deposited with Sebi in focus: सहारा ग्रुप की कंपनियों और स्कीमों में निवेश करने वालों के 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के उस फंड का अब क्या होगा, जो मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के पास बरसों से जमा हैं? सहारा ग्रुप के संस्थापक सुब्रत रॉय के निधन के बाद बहुत से निवेशकों के मन में यह सवाल फिर से जोर मारने लगे हैं. 75 साल के सुब्रत रॉय का मंगलवार की रात मुंबई में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वे पिछले कई बरसों से सहारा ग्रुप की कंपनियों से जुड़ी तरह-तरह की कानूनी लड़ाइयों में उलझे हुए थे. उनकी कंपनियों पर पॉन्जी स्कीम्स (Ponzi schemes) के जरिये पैसे जुटाने और इस दौरान तमाम नियमों-कायदों की अनदेखी करने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं. इन आरोपों की वजह से सुब्रत रॉय को लंबे समय तक जेल में भी रहना पड़ा. हालांकि सहारा ग्रुप ने इन तमाम आरोपों से इनकार करते हुए सेबी के साथ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन इन मामलों में उसे कानूनी सफलता नहीं मिली.

सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सेबी के आदेश को सही करार दिया

साल 2011 में सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों - सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIREL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) को निर्देश दिया कि वो उस रकम को निवेशकों को वापस कर दे, जो उसने ऑप्शनली फुली कनवर्टिबल डिबेंचर्स (OFCDs) के जरिए करीब 3 करोड़ निवेशकों से जुटाई है. यह आदेश सेबी के उस फैसले के बाद आया था, जिसमें कहा गया था कि दोनों कंपनियों ने यह फंड उसके नियम-कायदों को ताक पर रखकर जुटाया है. सहारा ग्रुप ने इस आदेश के खिलाफ अपील करते हुए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. लेकिन आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2012 को सेबी के आदेश को सही करार दिया, जिसमें सहारा ग्रुप की दोनों कंपनियों को निवेशकों से जुटाई गई रकम 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने को कहा गया था.

सहारा ने जमा कराए थे करीब 24,000 करोड़ रुपये

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सहारा को आखिरकार सेबी के पास करीब 24,000 करोड़ रुपये की रकम जमा कराने को कहा गया ताकि निवेशकों को उनके पैसे लौटाए जा सकें. हालांकि सहारा समूह लगातार यही दावा करता रहा कि उसने 95 फीसदी से ज्यादा निवेशकों को उनके पैसे पहले ही लौटा दिए हैं. हालांकि इस दावे के बावजूद अदालती आदेशों की वजह से सहारा ग्रुप को यह रकम सेबी के पास जमा करानी पड़ी. कैपिटल मार्केट रेगुलेटर की ताजा सालाना रिपोर्ट के अनुसार सेबी ने सहारा समूह की दोनों कंपनियों के निवेशकों को पिछले 11 साल में महज 138.07 करोड़ रुपये का रिफंड ही जारी किया है. जबकि इस बीच रीपमेंट के लिए विशेष रूप से खोले गए बैंक खातों में सहारा ग्रुप की तरफ से जमा रकम बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुकी है. सहारा समूह की दोनों कंपनियों के अधिकतर बांडधारकों की तरफ से पर्याप्त दावे और जरूरी दस्तावेजी सबूत नहीं मिलने की वजह से सेबी द्वारा लौटाई गई कुल रकम में पिछले वित्त वर्ष यानी 2022-23 के दौरान महज 7 लाख रुपये की वृद्धि हुई है, जबकि इसी कारोबारी साल में सेबी-सहारा रिफंड खातों में जमा रकम में 1,087 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है.

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1 मार्च 2023 तक 138.07 करोड़ रुपये रिफंड हुए

इसी सालाना रिपोर्ट के अनुसार सेबी को 31 मार्च, 2023 तक रिफंड के लिए 53,687 खातों से जुड़े 19,650 आवेदन प्राप्त हुए. इनमें से 48,326 खातों से जुड़े 17,526 एप्लिकेशन्स के एवज में कुल 138.07 करोड़ रुपये की राशि का रिफंड किया गया. इसमें 67.98 करोड़ रुपये की ब्याज की रकम भी शामिल है. बाकी एप्लिकेशन इसलिए खारिज कर दिए गए, क्योंकि सहारा समूह की दो कंपनियों से मिले आंकड़ों में उनके रिकॉर्ड नहीं मिल पाए.

31 मार्च 2022 तक रिफंड हुए थे 138 करोड़ रुपये

सेबी ने अपने पिछले अपडेट में 17,526 आवेदनों के आधार पर 31 मार्च, 2022 तक कुल 138 करोड़ रुपये का रिफंड किए जाने की जानकारी दी थी. सेबी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न आदेशों और रेगुलेटर द्वारा पारित कुर्की आदेशों के तहत 31 मार्च 2023 तक कुल 15,646.68 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है. सुप्रीम कोर्ट के 31 अगस्त 2012 के फैसले के अनुसार यह रकम बॉन्डधारकों को देय रिफंड के बाद अर्जित ब्याज के साथ सरकारी बैंकों में जमा की गई है. 31 मार्च 2023 तक सरकारी बैंकों में जमा कुल रकम करीब 25,163 करोड़ रुपये हो चुकी थी. यह रकम 31 मार्च, 2022 को 24,076 करोड़ रुपये, 31 मार्च 2021 को 23,191 करोड़ रुपये और 31 मार्च 2020 को 21,770.70 करोड़ रुपये थी.

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अगस्त में शुरू हुई 5,000 करोड़ रुपये लौटाने की प्रक्रिया

इस बीच केंद्र सरकार ने इसी साल अगस्त में उन जमाकर्ताओं के 5,000 करोड़ रुपये लौटाने की प्रक्रिया शुरू की है, जिनके पैसे सहारा समूह की चार सहकारी समितियों में फंए हुए हैं. इससे पहले सहकारिता मंत्री अमित शाह ने निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए जुलाई में 'सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल' (CRCS-Sahara Refund Portal) लॉन्च किया था. इस पोर्टल पर लगभग 18 लाख जमाकर्ताओं का रजिस्ट्रेशन किया गया है. उससे पहले मार्च में केंद्र सरकार ने एलान किया था कि चार कोऑपरेटिव समितियों से जुड़े 10 करोड़ निवेशकों के पैसे 9 महीने के भीतर वापस कर दिए जाएंगे. यह एलान सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद किया गया, जिसमें सहारा-सेबी रिफंड एकाउंट से 5,000 करोड़ रुपये सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज (CRCS) को ट्रांसफर करने का निर्देश दिया गया था.

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