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SBI होम लोन: 8 फीसदी से कम हुई ब्याज दर, जानें आपकी EMI पर क्या होगा असर

एसबीआई के होम लोन पर ब्याज दर 15 सालों में पहली बार सालाना 8 फीसदी से नीचे आ गई है.

एसबीआई के होम लोन पर ब्याज दर 15 सालों में पहली बार सालाना 8 फीसदी से नीचे आ गई है.

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SBI home loan interest rate falls below eight percent know what effect it will have on your EMI

एसबीआई के होम लोन पर ब्याज दर 15 सालों में पहली बार सालाना 8 फीसदी से नीचे आ गई है.

SBI home loan interest rate falls below eight percent know what effect it will have on your EMI एसबीआई के होम लोन पर ब्याज दर 15 सालों में पहली बार सालाना 8 फीसदी से नीचे आ गई है.

SBI के होम लोन धारक जो अपने लोन पर ईएमआई का भुगतान कर रहे हैं, उनके लिए राहत की खबर है. एसबीआई के होम लोन पर ब्याज दर 15 सालों में पहली बार सालाना 8 फीसदी से नीचे आ गई है. यह उन कर्जधारकों के लिए है, जिनके होम लोन MCLR से लिंक हैं और लोन रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेंट (RLLR) पर आधारित है. 1 अक्टूबर 2019 से लोन आरबीआई के रेपो रेट से लिंक हैं.

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कैपिटल मार्केट रिसर्च, JLL के डायरेक्टर जितेश कार्लेकर ने कहा कि एसबीआई ने सभी रिटेल लोन पर ब्याज दरों को रेपो रेट से लिंक किया था जिसमें होम लोन भी शामिल है और आरबीआई ने सभी कमर्शियल बैंकों को इन्हें एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करना का निर्देश दिया था. रेपो रेट में कटौती के बाद से सैलरी पाने वाले व्यक्ति के लिए एसबीआई का होम लोन 7.20 फीसदी से 7.55 फीसदी के बीच में उसके लोन की राशि के आधार पर 1 अप्रैल 2020 से लागू है. रेपो रेट लिंक्ड बेंचमार्क रेट के आधार पर अगर होम लोन धारक सैलरी पाने वाला व्यक्ति है, तो रेट 8 फीसदी से नीचे हैं.

एसबीआई के होम लोन की ब्याज दर में हाल ही में हुई गिरावट आरबीआई के रेपो रट में 0.75 फीसदी की बड़ी कटौती के कारण आई है. रेपो रेट में इतनी बड़ी गिरावट के बाद बैंकों के लिए फंड की कीमत में भी गिरावट हुई है. इसके कारण बैंक खासकर एसबीआई ज्यादा लिक्विडिटी कम कीमत के साथ होने पर MCLR में कटौती कर सके हैं. यह मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट है और फंड्स का इंटरनल बेंचमार्क है जो बैंकों के लिए फंड्स की कीमत को दिखाता है.

कार्लेकर ने बताया कि 8 फीसदी का आंकड़ा 2008 के वित्तीय संकट के बाद सबसे कम होम लोन रेट है जिससे घर खरीदार आकर्षित हो सकते हैं. हालांकि, आज के समय में नौकरी और आर्तिक विकास को लेकर चीजें साफ नहीं होने का घर खरीदने पर असर हो सकता है.

कोरोना वायरस का रियल एस्टेट सेक्टर पर बड़ा असर हो सकता है. हाउस ऑफ हीरंदानी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेटक्टर सुरेंद्र हीरंदानी ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से निर्माण कार्य रूक गया है. अगले कुछ महीनों में सेक्टर की रफ्तार में कुछ कमी आ सकती है. इस महामारी कितने समय तक रहेगी, इसके साफ नहीं होने से इस साल सेक्टर में नुकसान होना निश्चित है.

MCLR से जुड़े कर्जधारकों को कैसे फायदा होगा ?

सभी रिटेल लोन जिसमें होम लोन भी शामिल हैं, जिन्हें 1 अप्रैल 2016 से 30 सितंबर 2019 के बीच बैंकों से मंजूरी मिली है, वे MCLR से लिंक हैं. ज्यादातर MCLR पर आधारित होम लोन बैंक के 1 साल के MCLR से लिंक हैं. एसबीआई का 1 साल का MCLR अप्रैल 2019 में 8.5 फीसदी था, जबकि अप्रैल 2020 में यह गिरकर 7.4 फीसदी पर आ गया है. मार्क अप जोड़ने के बाद भी, उपयुक्त रेट 8 फीसदी से नीचे रहेगा.

यह सभी कर्जधारकों के लिए सही नहीं है क्योंकि बहुत से बैंकों के लिए MCLR अभी भी 8 फीसदी से ज्यादा है. लेकिन फंड्स की कम कीमत की वजह से दूसरे बैंकों का MCLR घटेगा, तो उनके लिए होम लोन की ब्याज दर भी गिरकर 8 फीसदी से नीचे आ सकती है.

एसबीआई होम लोन की स्थिति में, मार्क अप पेशे, लिंग, लोन की राशि आदि पर आधारित होता है. यह मार्क अप सामान्य तौर पर सैलरी पाने वाले व्यक्ति के लिए लगभग 25 बेसिस प्वॉइंट्स और गैर-सैलरी वालों के लिए 30 लाख रुपये तक के लोन पर 40 बेसिस प्वॉइंट्स होता है. 30 लाख और 75 लाख के बीच के लोन पर यह 50 बेसिस प्वॉइंट्स सैलरी और 65 बेसिस प्वॉइंट्स गैर-सैलरी वालों के लिए उनके जोखिम के आधार पर है.

RLLR से जुड़े कर्जधारकों को कैसे फायदा होगा ?

1 अक्टूबर 2019 के बाद से ज्यादातर बैंक अधिकतर RLLR को मंजूरी दे रहे हैं. सैलरी पाने वाले व्यक्ति के लिए एसबीआई की होम लोन ब्याज दर 7.2 फीसदी और 7.55 फीसदी के बीच लोन की राशि पर निर्भर है. हर बार, जब आरबीआई रेपो रेट में बदलाव करता है, तो ब्याज दर में बदलाव MCLR से लिंक लोन के मुकाबले ज्यादा तेज होता है.

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बचत कितनी होगी ?

बैंकों के MCLR घटाने से कर्जधारकों को लंबी अवधि में फायदा होगा. असल बचत केवल कम ईएमआई या कम अवधि के मामले में नहीं है, बल्कि कर्जधारक के लिए कुल ब्याज भुगतान में है.

उदाहरण के लिए अगर लोन पर होम लोन की ब्याज दर 15 साल की अवधि के लिए 35 लाख की बकाया राशि के साथ 1 फीसदी घट जाती है, तो ईएमआई लगभग 2,045 रुपये (सालाना 24540 रुपये) हो जाती है और व्यक्ति को अंत में 3.7 लाख रुपये की बचत होती है.

(Story: Sunil Dhawan)

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