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There are 24 life insurance companies and 34 general insurance firms operating in the country
भारत में इंश्योरेंस सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है लेकिन अभी भी अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में इसकी पहुंच अधिक नहीं हैं. ऐसे में एसबीआई की रिसर्च टीम का मानना है कि केंद्र सरकार की मनरेगा (MHNREGA) और आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई (Ayushman Bharat-PMJAY) जैसी फ्लैगशिप स्कीम इसमें बड़ी भूमिका निभा सकती है. एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट में ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ सौम्य कांति घोष के मुताबिक अनऑर्गेनाज्ड सेक्टर में सोशल सिक्योरिटी को मनरेगा और आयुष्मान भारतृ पीएमजेएवाई के जरिए बढ़ाया जा सकता है.
देश भर में सभी इंश्योरेंस और पेंशन स्कीम के तहत 68.98 करोड़ एनरोलमेंट हुए हैं जिसमें से 10.34 करोड़ एनरोलमेंट पीएमजेजेबीवाई (प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना) और 23.40 करोड़ लोग पीएमएसबीवाई (प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना) के तहत एनरोल्ड हैं. पीएमजेजेबीवाई के तहत क्लेम सर्विसिंग रेशियो 93.7 फीसदी और पीएमएसबीवाई के तहत 77.3 फीसदी है. इसके अलावा एपीवाई के तहत जून 2021 तक 3.13 करोड़ लोगों ने एनरोलमेंट करवाया जिसमें से 44 फीसदी महिलाएं रहीं.
मनरेगा के जरिए सामाजिक सुरक्षा
मनरेगा ने अब तक आजीविका की सुरक्षा उपलब्ध करायी है. एसबीआई रिसर्च का प्रस्ताव है कि इसके जरिए सामाजिक सुरक्षा भी उपलब्ध कराई जा सकती है. डॉ घोष के मुताबिक 100 दिनों तक काम करने पर सरकार सोशल सिक्योरिटी के लिए निश्चित दिनों (जैसे कि 10 दिनों) का कंट्रीब्यूशन कर सकती है. इसके अलावा मनरेगा कामगारों को पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई के तहत एनरोलमेंट कराना अनिवार्य किया जा सकता है, जिसका प्रीमियम सरकार भरेगी. पीएमजेजेबीवाई के तहत सालाना 330 रुपये और पीएमएसबीवाई के तहत सालाना 12 रुपये का प्रीमियम जमा करना होता है. डॉ घोष के मुताबिक महज 10 फीसदी लोग ही 100 दिनों का काम पूरा कर पाते हैं तो सरकार के ऊपर इस एनरोलमेंट को लेकर महज 400-500 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा लेकिन इससे तुरंत करीब 1 करोड़ अतिरिक्त लोगों को फायदा मिलेगा.
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आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई के जरिए
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत अब तक 16.14 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं. डॉ घोष के मुताबिक सरकार को जन सुरक्षा योजनाओं के साथ हेल्थ इंश्योरेंस के लिए एक ऑप्ट-इन स्कीम ला सकती है. इसके तहत सरकार बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज को मेडिक्लेम पॉलिसी के पेमेंट के लिए ऑटो डेबिट कर सकती है. मौजूदा दौर में हेल्थ इंश्योरेंस 58572 करोड़ रुपये का है जबकि सेविंग्स बैंक इंटेरेस्ट करीब 1.35 लाख करोड़ रुपये है. इस समय करीब 40 करोड़ जन धन खाते हैं और अगर इसमें हेल्थ इंश्योरेंस को शामिल कर लिया जाए तो मौजूदा दौर में आयुष्मान कवरेज का दायरा दोगुना हो सकता है.