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भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने पांच हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के साथ एक को लेंडिंग एग्रीमेंट (Co-Lending Agreements) किया है.
SBI ties-up with 5 Housing Finance Companies: अपना घर खरीदना हर किसी का सपना होता है, लेकिन कई बार आम लोगों को इसके लिए होम लोन प्राप्त करने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस लिहाज से आम लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने पांच हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के साथ एक को लेंडिंग एग्रीमेंट (Co-Lending Agreements) किया है. एसबीआई ने आज, गुरुवार को इसकी घोषणा की. एसबीआई के मुताबिक, इस एग्रीमेंट का फायदा उन बॉरोअर्स को मिलेगा जिनके पास अब तक यह सुविधा या तो नहीं पहुंची है या फिर बहुत कम पहुंची (underserved & unserved) है.
ये पांच HFC हैं शामिल
इन पांच हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFC) में पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस, आईआईएफएल होम फाइनेंस, श्रीराम हाउसिंग फाइनेंस, एडलवाइस हाउसिंग फाइनेंस और कैपरी ग्लोबल हाउसिंग फाइनेंस शामिल हैं. एसबीआई ने कहा कि इस पार्टनरशिप का मकसद यह है कि आरबीआई के गाइडलाइन्स के अनुरूप unserved और underserved सेक्टर के लोगों का होम लोन मंजूर हो.
अफोर्डेबल हाउसिंग की कमी चिंता का विषय: एसबीआई
एसबीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा कि अफोर्डेबल हाउसिंग की कमी भारत के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है. खासकर, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और समाज के इन-फॉर्मल सेक्शन को इसमें ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस सेगमेंट में बेहतर काम करने के लिए, एसबीआई सक्रिय रूप से कई एचएफसी के साथ को-लेंडिंग के अवसरों की तलाश कर रहा है.
इन्हें होगा फायदा
एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा, “यह सहयोग हमारे डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को बढ़ाएगा क्योंकि हमारा मकसद unserved और underserved सेगमेंट्स के होम लोन बॉरोअर्स तक अपनी सेवाओं का विस्तार करना है. इस तरह की पार्टनरशिप से भारत में स्मॉल होम बायर्स को इफेक्टिव और अफोर्डेबल होम लोन तेजी के साथ मिल सकेगा.”
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आरबीआई ने जारी किए थे गाइडलाइन्स
आरबीआई ने बैंकों और HFC/NBFC के लिए प्रायोरिटी सेक्टर को उधार देने के लिए को-लेंडिंग स्कीम पर गाइडलाइन्स जारी किए थे. ताकि अर्थव्यवस्था के unserved और underserved सेक्टर्स में लोगों को आसानी से लोन मिल सके और बॉरोअर्स को सस्ती कीमत पर फंड उपलब्ध कराया जा सके. इसमें कहा गया है कि को-लेंडिंग मॉडल का मकसद बॉरोअर्स को बेस्ट इंटरेस्ट रेट और बेहतर पहुंच प्रदान करना है.
(इनपुट-पीटीआई)