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Swing Pricing Framework: स्विंग प्राइसिंग मार्च की बजाय अब एक मई से लागू, म्यूचुअल फंड निवेशकों पर होगा बड़ा असर

Swing Pricing Framework: पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने आज स्विंग प्राइसिंग मैकेनिज्म को 1 मार्च की बजाय 1 मई से लागू करने का ऐलान किया है.

Swing Pricing Framework: पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने आज स्विंग प्राइसिंग मैकेनिज्म को 1 मार्च की बजाय 1 मई से लागू करने का ऐलान किया है.

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Sebi extends deadline to implement swing pricing mechanism for MFs know about swing pricing mechanism and how swing mechanism effetcs investors

स्विंग प्राइजिंग को लागू करने पर फंड में निवेश और निकासी के दौरान निवेशकों को वह एनएवी मिलेगी जो स्विंग फैक्टर के तहत एडजस्ट की गई है.

Swing Pricing Framework: पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने आज शुक्रवार (25 फरवरी) स्विंग प्राइसिंग मैकेनिज्म को 1 मार्च की बजाय 1 मई से लागू करने का ऐलान किया है. म्चूयुअल फंड योजनाओं के लिए लागू होने वाला यह मैकेनिज्म इसलिए तैयार किया गया है ताकि वोलेटाइल मार्केट में बड़े निवेशकों एकाएक अपना पूरा पैसा न निकाल लें. सेबी ने इसे एक मार्च से लागू करने का फैसला एएमएफआई के अनुरोध पर टाला है. पिछले साल सितंबर 2021 में सेबी ने ओपन-एंडेड डेट म्यूचुअल फंड स्कीमों के लिए स्विंग प्राइसिंग मैकेनिज्म को लाया था जिसे इस साल एक मार्च से लागू किया जाना था और अब एक मई से लागू होगा.

निवेशकों पर इस फ्रेमवर्क पर ऐसे होगा असर

सेबी के सर्कुलर के मुताबिक स्विंग प्राइजिंग को लागू करने पर फंड में निवेश और निकासी के दौरान निवेशकों को वह एनएवी मिलेगी जो स्विंग फैक्टर के तहत एडजस्ट की गई है. मार्केट में जब घबराहट मची हो तो उस दौर में अगर बड़ी निकासी होती है तो एग्जिट करने पर कम एनएवी मिलेगी यानी कि एग्जिट चार्ज बढ़ जाएगा. इससे फंड में बने रहने वाले निवेशकों को फायदा होगा.

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जब दबाव के बीच बड़ी निकासी होती है तो फंड मैनेजर को हाई क्वालिटी के और लिक्विड पेपर्स की बिक्री करनी होती है जिसके चलते फंड में बने रहे निवेशकों को कम क्वालिटी व इल्लिक्विड पेपर्स से संतोष करना पड़ता है. इससे फंड में बने रहने निवेशकों के सामने फंड के डिफॉल्ट होने का खतरा बना रहता है. यानी कि एक तरह से यह फ्रेमवर्क वोलेटाइल मार्केट में उतार-चढ़ाव के दौरान भारी निकासी को हतोत्साहित करने के लिए लाया गया है.

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सामान्य दिनों में भी रहेगा लागू

स्विंग प्राइजिंग का नियम सिर्फ वोलेटाइल मार्केट में ही नहीं बल्कि सामान्य दिनों में भी लागू होगा लेकिन दोनों ही परिस्थितियों में स्विंग फैक्टर अलग तरीके से तय होंगे. स्विंग फैक्टर 1-2 फीसदी तक होगा. जब मार्केट बहुत अधिक वोलेटाइल होगा तो फुल स्विंग लागू होगा लेकिन आम दिनों में पार्शियल स्विंग लागू होगा. जो निवेशक वोलेटाइल मार्केट हाई रिस्क वाले ओपन एंडेड डेट स्कीम्स से बड़ी निकासी करते हैं, उन्हें 2 फीसदी कम एनएवी मिलेगी.

स्विंग प्राइसिंग से जुड़े नियम एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) बनाएगी कि इसे किन परिस्थितियों में लागू करना है और इसके पैरामीटर्स क्या होंगे. इसके अलावा यह रेंज भी तय करेगी. एएमएफआई जो तय करेगी उसे एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) को मानना होगा लेकिन उन्हें फंड स्कीम की प्रकृति के मुताबिक खुद से कुछ पैरामीटर्स तय करने की भी मंजूरी होगी.

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इन पर होगा नए फ्रेमवर्क का असर

यह फ्रेमवर्क ओपन-एंडेड डेट फंड्स (Open Ended Debt Funds) पर लागू होगा जबकि ओवरनाइट फंड्स, गिल्ट फंड्स व 10 साल की मेच्योरिटी वाले गिल्ट को फ्रेमवर्क से बाहर रख गया है. इसके अलावा 2 लाख रुपये तक की निकासी पर स्विंग प्राइजिंग का असर नहीं होगा यानी छोटे निवेशक जब चाहे पैसे निकाल सकेंगे और उनके रिटर्न पर स्विंग प्राइजिंग का असर नहीं होगा.

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