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शेयर मार्केट में IPO लाने वाली कंपनियों को अब 'की परफॉरमेंस इंडीकेटर्स' (KPIs) और अपनी फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स के बारे में जानकारी देनी होगी.
भारतीय शेयर मार्केट को रेग्युलेट करने वाली एजेंसी SEBI ने निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए IPO और म्यूचुअल फंड से जुड़े नियमों में कुछ बदलाव किये है. शुक्रवार को SEBI की बोर्ड मीटिंग में इससे जुड़े कई अहम फैसले लिये गए. शेयर मार्केट में IPO लाने वाली कंपनियों को अब 'की परफॉरमेंस इंडीकेटर्स' (KPIs) के बारे में बताना होगा. साथ ही कंपनियों के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स यानी अपने पिछले लेन-देन और निवेश के आधार पर IPO की कीमत के बारे में भी बताना होगा.
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निवशकों को जल्द मिलेगी भुगतान की रकम
SEBI की निदेशक बोर्ड मीटिंग में इस तरह के कई अहम फैसले लिए गए. असेट मैनेजमेंट कंपनियों की ओर से रिडंम्शन के बाद कीमत का भुगतान में लगने वाले समय को घटाकर तीन दिन कर दिया गया है. इसके साथ ही डिविडेंड भुगतान में लगने वाले समय को आधे से भी कम कर दिया गया है यानी पहले भुगतान में लगने वाले 15 दिन का समय अब घटकर सात दिन हो गया है. SEBI के मुताबिक अब निवेशकों को अपने पैसे के लिए ज्यादा समय तक इंतजार नहीं करना होगा. SEBI के अनुसार पहले के समय में जब नियम बनाए गए थे, उस समय भुगतान के लिए चेक का इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन आज भुगतान के तरीकों में बड़ा बदलाव आ चुका है. लोग चेक की जगह पर डिजिटल माध्यमों से पेमेंट करना ज्यादा बेहतर समझते हैं. ऐसे में निवेशकों को अपनी रकम के लिए लंबे इंतजार की कोई आवश्यकता नहीं है.
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म्यूचुअल फंड भी इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े नियमों के दायरे में शामिल
नए नियमों के मुताबिक अब म्यूचुअल फंड भी इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े नियमों के दायरे में आएंगे. क्योंकि SEBI ने म्यूचुअल फंड यूनिट की खरीद व बिक्री के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन प्रोसेस को लागू करने का निर्णय लिया है. SEBI का यह नया ड्राफ्ट अगले साल एक अप्रैल 2023 से लागू हो जाएगा. इसके साथ ही SEBI ने ऑफर फॉर सेल (OFS) के नियमों में बदलाव को अपनी मंजूरी दे दी है. मौजूदा समय में OFS में गैर प्रवर्तक शेयर धारकों को कम से कम 10% की हिस्सेदारी या 25 करोड़ रुपये के शेयरों को बेचना जरूरी था. लेकिन SEBI ने नए नियम में इसकी अनिवार्यता को ही समाप्त कर दिया है.