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Silver vs Gold: क्या सिल्वर पर दांव लगाना गोल्ड से है बेहतर, निवेशकों को कहां ज्यादा फायदा?

Gold vs Silver: सोने और चांदी की कीमतों में तेजी की बड़ी वजह दुनिया में बढ़ता तनाव है. खासकर जब अमेरिका की न्यू टैक्स रिजीम यानी ट्रंप टैरिफ से वैश्विक आर्थिक विकास पर खतरा मंडरा रहा है, तो लोग कीमती धातुओं में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

Gold vs Silver: सोने और चांदी की कीमतों में तेजी की बड़ी वजह दुनिया में बढ़ता तनाव है. खासकर जब अमेरिका की न्यू टैक्स रिजीम यानी ट्रंप टैरिफ से वैश्विक आर्थिक विकास पर खतरा मंडरा रहा है, तो लोग कीमती धातुओं में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

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FE Hindi Desk
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ट्रेंड बताते हैं कि जब भी सोने-चांदी जैसी कीमती धातुओं की कीमतें तेजी से बढ़ती हैं, तो ऐसे समय में चांदी अक्सर सोने से कहीं ज्यादा मुनाफा देती है. (AI Generated by Gemini)

ॉIs silver a better bet than gold today? Silver vs Gold, Gold Vs Silver:सोना और चांदी जैसे रेस में हैं, और इस वक्त सोना काफी आगे निकल चुका है. लोग अब इंतजार कर रहे हैं कि चांदी इस दूरी को कब कम करेगी. अब सवाल ये है कि क्या चांदी रफ्तार पकड़ेगी और सोने की बराबरी करेगी? और क्या इसलिए, आज के समय में चांदी सोने से बेहतर निवेश विकल्प बन सकती है?

पिछले 12 महीनों में सोने की कीमत में 40% की तेज़ बढ़त हुई है. इससे निवेशकों को अच्छा फायदा मिला है. वहीं दूसरी ओर, चांदी की कीमत में सिर्फ 15% की ही बढ़त हुई है, जो कि कमजोर प्रदर्शन माना जा रहा है. हालांकि, सिर्फ रिटर्न के आधार पर फैसला लेना समझदारी नहीं होगी. निवेश से जुड़ी कई और बातें भी सोचनी जरूरी हैं. यहां, दो बातें आपको यह तय करने में मदद कर सकती हैं कि क्या चांदी में और अधिक बदलाव की गुंजाइश है और इस सवाल का जवाब देने में भी कि क्या चांदी आज के समय में सोने से बेहतर निवेश विकल्प है या नहीं?

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सबसे पहले, सोने और चांदी में तेजी. सोने ने अपने लंबे इतिहास में कई बार तेजी देखी है. सोने में सबसे हालिया प्रमुख तेजी अक्टूबर 2023 में शुरू हुई. प्रति औंस सोने की कीमत 1,850 डॉलर से बढ़कर लगभग 3,350 डॉलर हो गई है, जो कि तीन साल से भी कम समय में 1,500 डॉलर की उछाल है, जो कि 81% की भारी वृद्धि है.

चांदी की रफ्तार शुरुआत में धीमी रही और फरवरी 2024 तक इसमें कोई खास उछाल नहीं दिखा. लेकिन इसके बाद चांदी की कीमत 23 डॉलर से बढ़कर 34 डॉलर तक पहुंच गई, जिससे करीब 14 महीनों में 48% का रिटर्न मिला.

कीमती धातुओं के प्रदर्शन को लेकर डीएसपी म्यूचुअल फंड की एक स्टडी में सोने और चांदी में आई तेजी का गहराई से विश्लेषण किया गया है. इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि किन-किन वर्षों में चांदी ने सोने से बेहतर रिटर्न दिया और किस समय किस धातु ने निवेशकों को ज्यादा फायदा पहुंचाया. स्टडी के अनुसार, पिछले 26 वर्षों में 10 बार चांदी ने सोने से बेहतर प्रदर्शन किया है. खास बात यह है कि जब भी कीमती धातुओं में तेज़ी आती है, तो चांदी अक्सर सोने की तुलना में कहीं अधिक मुनाफा देती है. यहां बताया गया है कि कब बड़ी तेजी आई और चांदी विजेता बनकर उभरी.

“प्रमुख मूल्य वृद्धि के दौरान - जैसे कि अप्रैल 2003 से मार्च 2008, दिसंबर 2008 से अप्रैल 2011 और दिसंबर 2018 से जनवरी 2021 तक - चांदी का लाभ सोने से काफी अधिक था. उदाहरण के लिए, दिसंबर 2008 से अप्रैल 2011 तक, सोने के 78.6% की तुलना में चांदी में 353.4% ​​की वृद्धि हुई. आंकड़ों से पता चलता है कि दोनों धातुएं कीमती हैं, लेकिन मजबूत बाजार रैली के दौरान चांदी सोने से बेहतर प्रदर्शन करती है.

लेकिन हाल ही में आई तेजी के दौरान चांदी की कीमत सोने के मुकाबले करीब आधी बढ़ गई है. क्या मौजूदा सोने और चांदी की कीमतों को देखते हुए यह बेहतर दांव नहीं लगता?

गोल्ड सिल्वर रेशियो

गोल्ड-सिल्वर रेशियो को समझना चांदी और सोने के मूल्य के बीच के संबंध को जानने का एक अहम तरीका है. यह रेशियो बताता है कि एक औंस सोना खरीदने के लिए कितनी चांदी की जरूरत होगी. मौजूदा समय में जब सोने की कीमत करीब 3,333 अमेरिकी डॉलर और चांदी की कीमत 32.60 डॉलर प्रति औंस है, तब यह रेशियो 102 पहुंच गया है - जो कि 70 के दीर्घकालिक औसत से काफी ऊपर है. 

अगर यह रेशियो अपने ऐतिहासिक औसत 70 पर लौटता है, तो या तो चांदी की कीमत 48 डॉलर तक बढ़नी होगी जबकि सोने की कीमत स्थिर रहे, या फिर सोने की कीमत में गिरावट आनी चाहिए. ऐसे में मौजूदा कीमतों को देखते हुए चांदी सोने की तुलना में काफी सस्ती लग रही है. क्या ऐसे में चांदी, निवेश के लिहाज़ से सोने से बेहतर विकल्प नहीं बनती?

चांदी क्यों आ सकती है तेजी?

सोना और चांदी, दोनों कीमती धातुओं में आई तेजी के पीछे की वजहें काफी हद तक एक जैसी हैं. सबसे पहले भूराजनीतिक तनावों की बात करें, तो दुनिया भर में सुरक्षित निवेश विकल्पों की मांग बढ़ी है, खासतौर पर ट्रंप की टैरिफ नीतियों के चलते जो वैश्विक आर्थिक विकास के लिए खतरा बन गई हैं.

लेकिन चांदी के मामले में एक एक्स्ट्रा और अहम फैक्टर है सप्लाई. जब किसी चीजज की मांग उसकी उपलब्धता से ज्यादा हो जाती है, तो कीमत में उछाल आना तय है. खास बात यह है कि चांदी का बाजार सालाना सिर्फ 30 अरब डॉलर का है, जो कि छोटा और संवेदनशील है. इस वजह से इसमें थोड़ी सी मांग भी कीमत को बड़े स्तर पर प्रभावित कर सकती है.

2025 लगातार पांचवां साल होगा जब चांदी की मांग उसकी सप्लाई से ज्यादा रहने की संभावना है. अनुमान है कि ग्लोबल सप्लाई 1.05 बिलियन औंस होगी, जबकि डिमांड 1.20 बिलियन औंस तक जा सकती है. यह कहना तो मुश्किल है कि इसका असर कीमतों पर कितना और कब होगा, लेकिन यह असंतुलन कीमतों को ऊपर की ओर ले जाने की पूरी क्षमता रखता है.

कीमतों को क्या रोक रहा है?

चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड लगातार बढ़ रही है, लेकिन निवेशकों की दिलचस्पी इसमें उतनी नहीं दिख रही. कुछ ऐसा ही हाल करीब दो साल पहले सोने के साथ भी देखा गया था. तब भी निवेश की डिमांड कमजोर थी और डिमांड सप्लाई का बैलेंस कड़ा हो चला था, हालांकि उतना नहीं जितना आज चांदी के मामले में है.

लेकिन हालात अचानक पलटे. निवेश की मांग में जबरदस्त उछाल आया और वो भी एक ऐसे मोर्चे से जिसकी उम्मीद कम थी: दुनिया के सेंट्रल बैंक. इन बैंकों ने बीते 40 महीनों में 3,000 टन से ज्यादा सोना खरीदा, जिससे सोने की कीमतें उछल पड़ीं. ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने, जो एक तरह से वैश्विक व्यापार युद्ध की ओर इशारा करती हैं, इस आग में घी डालने का काम किया.

चांदी के मामले में फिलहाल निवेश मांग की कमी उसकी कीमतों को एक बड़ी छलांग लगाने से रोक रही है. सवाल यह है कि क्या चांदी को भी ऐसा कोई अप्रत्याशित समर्थन मिलेगा? अभी इसका जवाब साफ नहीं है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिलहाल सोना 3,333 डॉलर प्रति औंस और चांदी 33.60 डॉलर प्रति औंस पर ट्रेड कर रही है. वहीं, भारतीय बाजार में आज 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का भाव 96,330 रुपये है, जबकि 10 किलोग्राम चांदी का भाव 96,520 रुपये है.

इन आंकड़ों को देखकर चांदी फिलहाल काफी सस्ती और आकर्षक विकल्प लगती है. हालांकि, कीमतों में तेज़ उछाल तुरंत नहीं आ सकता. बाजार सिर्फ इतिहास और उम्मीदों पर नहीं चलता - अगर ऐसा होता तो हर कोई सफल निवेशक बन चुका होता. ऐसे में, निवेशकों के लिए यह समझदारी भरा कदम होगा कि वे सोना और चांदी - दोनों में बैलेंस बनाए रखें. जब तक सेंट्रल बैंक्स की खरीद जारी है और ग्लोबल ट्रेड को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, तब तक इन दोनों कीमती धातुओं की चमक फीकी पड़ने की संभावना कम है.

(Article : Sunil Dhawan)

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