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Small-Caps: स्‍मॉलकैप फंड ने 3 साल में दिया 40-44% रिटर्न, इन्‍वेस्‍टर्स और फंड मैनेजर्स की पसंद बनीं छोटी कंपनियां

Smallcap Stocks: निवेश के मामले में लगातार 2 महीने से स्‍मालकैप फंड टॉप पर बने हुए हैं. एक कारण यह भी है कि लार्ज-कैप में बेहतरीन नतीजे नहीं मिल पा रहे हैं.

Smallcap Stocks: निवेश के मामले में लगातार 2 महीने से स्‍मालकैप फंड टॉप पर बने हुए हैं. एक कारण यह भी है कि लार्ज-कैप में बेहतरीन नतीजे नहीं मिल पा रहे हैं.

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Sushil Tripathi
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Investment

Smallcap: शेयर बाजार की रिकॉर्ड हाई बनने में स्‍मालकैप स्‍टॉक्‍स का बड़ा योगदान रहा है. (pixabay)

Equity Investment: निवेशक अब बड़ी कंपनियों (लार्ज-कैप) की तुलना में छोटी कंपनियों (स्मॉल-कैप) में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड को तरजीह दे रहे हैं. यह ट्रेंड शेयर बाजार के अलावा म्‍यूचुअल फंड में भी देखने को मिल रहा है. अप्रैल-जून तिमाही में स्‍मालकैप फंड योजनाओं में करीब 11,000 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो आया है. एक्‍सपर्ट का कहना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि फंड मैनेजर बड़ी कंपनियों में पैसे लगाकर बेहतरीन परिणाम नहीं दे सके. और यही रुझान आगे भी कुछ समय तक बने रहने का अनुमान है.

लगातार 2 महीने से स्मॉलकैप फंड टॉप पर

निवेश के मामले में लगातार 2 महीने स्‍मालकैप फंड टॉप पर बने हुए हैं. जून 2023 के दौरान इक्विटी योजनाओं में इनफ्लो 8637 करोड़ रुपये रहा, जिसमें स्मॉलकैप फंडों में नेट फ्लो 5471.75 करोड़ रुपये का रहा. यह मई में 3282 करोड़ इनफ्लो की तुलना में 67 फीसदी ज्यादा है. बता दें कि मई में भी सबसे ज्‍यादा फ्लो इसी कैटेगिरी में हुआ था. वहीं जून में मिडकैप फंडों में इनफ्लो 1748.51 करोड़ रहा जो जून में 1196 करोड़ था. जबकि लार्जकैप फंडों से 2049 करोड़ की निकासी देखने को मिली है.

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लार्ज-कैप से नहीं आ रहे बेहतर परिणाम

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से पता चलता है कि लार्ज-कैप म्यूचुअल फंड से मौजूदा वित्‍त वर्ष की जून तिमाही के दौरान 3,360 करोड़ रुपये की निकासी हुई. जून तिमाही से पहले मार्च तिमाही में स्मॉल-कैप फंड्स में 6,932 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था. क्लाइंट एसोसिएट्स के सह-संस्थापक हिमांशु कोहली के अनुसार पिछले कुछ महीनों में मिड-कैप और स्मॉल-कैप इंडेक्‍स में मजबूत तेजी आई है और इसकी वजह यह है कि लार्ज-कैप क्षेत्र में बेहतरीन नतीजे देना मुश्किल हो रहा है. स्मॉलकैप फंड्स में भारी निवेश की यह एक वजह हो सकती है.

स्मॉलकैप में क्यों आ रहा है पैसा

बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि ग्लोबल स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर पोजिशन पर दिख रही है. वहीं जहां दुनियाभर के बाजारों में उतार चढ़ाव है, भारतीय बाजारों का प्रदर्शन स्टेबल रहा है. निवेशकों को भारत की ग्रोथ स्टोरी सस्टेनेबल और लंबी अवधि तक जारी रहने की उम्मीद है. इसी वजह से विदेशी निवेशक भी भारत की इस ग्रोथ स्टारी में भाग लेने के लिए मिडकैप और स्मालकैप में पैसे डाल रहे हैं.

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स्‍मालकैप फंड: 3 साल में 40-44 फीसदी रिटर्न

आनंद राठी वेल्थ के उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी फिरोज अजीज के अनुसार निवेशक स्मॉल-कैप को इसलिए प्राथमिकता दे रहे हैं, क्योंकि उनमें जोखिम मिड-कैप के समान ही है, लेकिन रिटर्न की क्षमता अधिक है. म्यूचुअल फंड सेक्‍टर में स्मॉल-कैप कैटेगिरी ने एक साल में 30-37 फीसदी, 3 साल में 40-44 फीसदी और 5 साल में 18-21 फीसदी सालाना की दर से बेहतरीन रिटर्न दिया है. हिमांशु कोहली के अनुसार लार्जकैप फंड में भारी निवेश ने फंड मैनेजर्स को अपने शेयरों के सेलेक्‍शन में अधिक अलर्ट कर दिया है, क्योंकि इनका वैल्‍युएशन बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि ऐसा बाजार में हमेशा होता है, क्योंकि फंड मैनेजर हमेशा अच्छी कीमत पर शेयरों की तलाश करते हैं.

मिडकैप और स्मालकैप में क्या करें

एक्‍सपर्ट का कहना है कि आगे बाजार के लिए आउटलुक बेहतर ओ रहे हैं. मैक्रो कंडीशंस और ग्रोथ इंडीकेटर्स में लगातार सुधार के संकेत हैं. ऐसे में आगे भी मिडकैप और स्मालकैप शेयरों में तेजी जारी रहने वाली है. इन सेग्मेंट में अभी बहुत सी ऐसी कंपनियां हैं जो अपनी क्षमता के लिहाज से अंडरवैल्यूड हैं. ऐसे में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो बनाते समय इन दोनों सेग्मेंट पर फोकस करना चाहिए. लंबी अवधि के युवा निवेशक है तो इन सेग्मेंट में प्रॉफिट बुकिंग की जरूरत नहीं है. हालांकि अगर कंजर्वेटिव हैं और रिटायर हो चुके हैं तो रेगुलर इनकम के लिए एसडबल्यू के जरिए थोड़ थोड़ा प्रॉफिट निकाल सकते हैं या पोर्टफोलियो को रीबैलेंस कर सकते हैं.

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