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कम ब्याज दरों की वजह से अब छोटी बचत योजनाओं के निवेशक अब शेयर मार्केट की ओर रुख कर रहे हैं.
Small Saving Schemes Vs Share Market: कोरोना संकट के इस दौर में बेहतर रिटर्न की आस में ज्यादा से ज्यादा निवेशक शेयर मार्केट (Share Market) की ओर रुख कर रहे हैं. एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी तीन वजहे हैं - फिक्स्ड डिपोजिट, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि और और सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम की कम ब्याज दरें. ग्लोबल लिक्विडिटी में बढ़ोतरी और लॉकडाउन की वजह से घर में रह रहे लोगों का पास ज्यादा समय.
एफडी और छोटी बचत योजना के कम रिटर्न से निराश हैं निवेशक
एसबीआई इकोरैप (SBI Ecowrap) के मुताबिक कम ब्याज दरों की वजह से पारंपरिक स्मॉल सेविंग्स स्कीमों और बैंक के टर्म डिपोजिटों में निवेश करने वाले अब ज्यादा रिटर्न की उम्मीद में शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं. केंद्रीय बैंक की ओर से रेपो रेट चार फीसदी कर दिए जाने के बाद अलग-अलग बैंकों में एफडी पर 2.9 से लेकर 5.4 फीसदी तक ही ब्याज मिल रहा है. जिन स्मॉल सेविंग्स स्कीमों पर ज्याद ब्याज मिलता था वह भी अब घट गया है. सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) स्कीम पर फिलहाल ब्याज दर 7.6 फीसदी है वहीं सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम पर 7.4 फीसदी. पीपीएफ (PPF) पर 7.1 फीसदी ब्याज मिल रहा है वहीं नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) पर 6.8 फीसदी ब्याज मिलता है.
ग्लोबल लिक्विडिटी से बाजार में रौनक, रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि शेयर मार्केट में उछाल की वजह से निवेशकों में जो दिलचस्पी जगी है उसके पीछे ग्लोबल लिक्विडिटी में इजाफा है. एफआआई ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारतीय बाजार में 36.18 अरब डॉलर का निवेश किया है. एक और वजह लोगों का लॉकडाउन की वजह से ज्यादा वक्त घर में रहना है. स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग बढ़ने के पीछे यह भी एक वजह हो सकती है. बाजार में छोटे निवेशकों की संख्या बढ़ती जा रही है. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान नए निवेशकों की संख्या काफी बढ़ी है. CDSL में122.5 लाख नए निवेशक खाते जुड़े हैं. वहीं NSDL में 19.7 लाख नए खाते जुड़े हैं. मौजूदा वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में 44.7 लाख रिटेल निवेशक शेयर बाजार से जुड़े हैं. एसबीआई रिसर्च ने हालांकि यह भी कहा है कि देखना है कि बाजार में रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी कितनी स्थायी साबित होती है.