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दो सरकारी कंपनियों के ब्लूचिप स्टॉक 52-हफ्तों के निचले स्तर के आसपास चल रहे हैं. (Image : Pixabay)
By Suhel Khan
आज जैसे समय में जब समाचार की सुर्खियां बाज़ार को हिला देती हैं और निवेशक सिर्फ़ शॉर्ट टर्म प्रॉफिट के बारे में सोचते हैं, तो धैर्य रखना मुश्किल है. चार्ली मुंगेर (Charlie Munger) ने एक बार कहा था, "मोटी कमाई खरीदने और बेचने में नहीं, बल्कि इंतज़ार करने में है." होशियार और धैर्यवान होने के इस विचार के कारण ही ट्रम्प टैरिफ़ के कारण पैदा हुई अराजकता के बीच कुछ सरकारी बिजनेस लोगों का ध्यान खींच रहे हैं.
दो मजबूत भारतीय सरकारी कंपनियों के शेयर फिलहाल बड़े डिस्काउंट पर बिक रहे हैं, जो हमें बेंजामिन ग्राहम द्वारा कहे गए "सुरक्षा मार्जिन" की याद दिलाती है. यह आपके द्वारा चुकाई गई कीमत और आपको मिलने वाले मूल्य के बीच का आरामदायक अंतर है जो निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करता है और बड़ी ग्रोथ का मौका देता है. क्या हम वैल्यू में उछाल के लिए तैयार इन छिपे हुए खजानों को देख रहे हैं, या यह किसी कंपनी की मजबूती में भरोसे का सबूत है?
अच्छी बात यह है कि सरकार द्वारा संचालित ये कंपनियां, जो काफी कैश एफीशिएंट हैं, अब उनके शेयर अपने उच्चतम मूल्य से 40% से अधिक छूट पर कारोबार कर रहे हैं. आइए इन शेयरों पर करीब से नज़र डालें ताकि पता चल सके कि वे आपके पोर्टफोलियो या वॉचलिस्ट में जगह पाने के लायक हैं या नहीं
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL)
सबसे पहले, दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी और सबसे बड़े कॉर्पोरेट एंप्लॉयर्स में से एक, कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Ltd) का नाम आता है .
कोल इंडिया को कोयला सेक्टर के राष्ट्रीयकरण के बाद 1973 में कोल माइंस अथॉरिटी लिमिटेड के रूप में शुरू किया गया था. यह भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के तहत एक 'महारत्न' कंपनी है जिसका मुख्यालय पश्चिम बंगाल के कोलकाता में है
2,32,522 करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण के साथ, सीआईएल देश के कोयला उत्पादन में अग्रणी है, जो देश के कुल कोयला उत्पादन में लगभग 80% का योगदान देती है.
कंपनी ने बार-बार साबित किया है कि वह काफी कैश एफीशिएंट है. वर्तमान में कोल इंडिया का रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) लगभग 64% है. इसका सीधा मतलब है कि कंपनी पूंजी के रूप में इस्तेमाल किए गए हर 100 रुपये पर 64 रुपये कमाती है.
वित्त वर्ष 2019 में कंपनी की बिक्री 99,586 करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 142,324 करोड़ रुपये हो गई, जो 5 वर्षों में 7% की कंपाउंडेड ग्रोथ है.
वित्त वर्ष 2025 की अंतिम तिमाही के परिणाम जल्द ही आने की उम्मीद है, लेकिन 9MFY25 यानी अप्रैल से दिसंबर 2024 के लिए कंपनी पहले ही 1,02,918 करोड़ रुपये की बिक्री दर्ज कर चुकी है.
कोल इंडिया के लिए EBITDA (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की आय) वित्त वर्ष 2019 में 25,007 करोड़ रुपये थी और वित्त वर्ष 2024 में इसमें लगभग 14% की कंपाउंडेड ग्रोथ देखी गई और यह 47,971 करोड़ रुपये हो गई. और अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच, यह पहले ही 35,273 करोड़ रुपये पर पहुंच चुकी है.
शुद्ध लाभ की बात करें तो कोल इंडिया ने वित्त वर्ष 2019 में 17,464 करोड़ रुपये का लाभ कमाया है, जो वित्त वर्ष 2024 में 16% की चक्रवृद्धि दर से बढ़कर 37,369 करोड़ रुपये हो गया. और वित्त वर्ष 2025 के पहले 9 महीनों (9MFY25) में लाभ पहले ही 25,710 करोड़ रुपये हो चुका है.
कोल इंडिया की शेयर प्राइस अप्रैल 2020 में लगभग 140 रुपये से बढ़कर 7 अप्रैल 2025 को 378 रुपये पर बंद हुआ. यह केवल 5 वर्षों में लगभग 170% की छलांग है.
378 रुपये की वर्तमान कीमत वास्तव में गिरावट से प्रेरित है और इसलिए यह 545 रुपये के अपने ऑल टाइम हाई लेवल से 30% से अधिक के डिस्काउंट पर मिल रहा है.
कंपनी का शेयर वर्तमान में 7x के पीई पर कारोबार कर रहा है, जबकि उद्योग का औसत 15x है. सीआईएल के लिए 10 साल का औसत पीई भी 8x के करीब है, जबकि इसी अवधि के लिए उद्योग का औसत 16x है.
कोल इंडिया के बारे में खास बात यह है कि इसका डिविडेंड यील्ड (dividend yield) अभी 6.75% है. जैसा कि बफेट कहते हैं, यह "बर्ड इन हैंड" जैसी स्थिति है - यानी बाजार के सेंटिमेंट से प्रभावित हुए बिना शेयरधारकों को असल में कैश रिटर्न मिल रहा है.
सीआईएल ने 18 फरवरी 2011 से अब तक 29 बार डिविडेंड घोषित किए हैं. पिछले 12 महीनों में कंपनी ने 26.35 रुपये प्रति शेयर की दर से इक्विटी डिविडेंड घोषित किया है.
सीआईएल वर्तमान में अर्जेंटीना की YPF (Formerly Yacimientos Petrolíferos Fiscales) के साथ लिथियम माइनिंग ज्वाइंट वेंचर पर भी नजर गड़ाए हुए है, जिसके लिए ऑस्ट्रेलिया में ड्यू डिलिजेंस (due diligence) चल रहा है.
इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (IRCTC)
1999 में इनकॉरपोरेटेड और 2019 में लिस्टेड IRCTC के पास वह है जिसे चार्ली मुंगेर "पावर ऑफ मोनोपोली" यानी "एकाधिकार की ताकत" कहेंगे - यह भारतीय रेलवे के लिए खानपान सेवाओं और ऑनलाइन टिकट बुकिंग का प्रबंधन करने के लिए अधिकृत एकमात्र कंपनी है, जो हर दिन 2.3 करोड़ से अधिक यात्रियों को सेवा प्रदान करती है.
55,804 करोड़ रुपये के मार्केट कैप के साथ, IRCTC चार सेगमेंट में काम करता है: इंटरनेट टिकटिंग, कैटरिंग, पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर और ट्रैवल एंड टूरिज्म. प्रत्येक सेगमेंट को भारतीय रेलवे के साथ कंपनी के संबंधों से लाभ मिलता है, जिससे "टोल ब्रिज" की तरह माना जा सकता है - एक ऐसा बिजनेस जिसका इस्तेमाल करना ग्राहकों की मजबूरी है. इससे नियमित रूप से ऐसा कैश फ्लो मिलता है, जिसका पहले से अनुमान लगाया जा सकता है.
वित्तीय स्थिति की बात करें तो कंपनी की बिक्री वित्त वर्ष 2019 में 1,870 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 4,270 करोड़ रुपये हो गई, जो 18% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर है. अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच की अवधि में कंपनी ने 3,407 करोड़ रुपये की बिक्री दर्ज की.
वित्त वर्ष 2019 में EBITDA 383 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 1,466 करोड़ रुपये हो गया, जो 31% की कंपाउंडेड ग्रोथ है. वित्त वर्ष 2025 की पहली तीन तिमाहियों में इसने EBITDA में 1,165 करोड़ रुपये दर्ज किए हैं.
आईआरसीटीसी का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2019 में 309 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 1,111 करोड़ रुपये हो गया, जो 32% की कंपाउंडेड ग्रोथ दर्शाता है.
प्रॉफिट मार्जिन एक मजबूत पहलू है जो कम पूंजी, कैश प्रोड्यूसिंग बिजनेस की तलाश करने वाले वैल्यू इनवेस्टर्स को आकर्षित करेगा.
आईआरसीटीसी ने पूंजी निवेश पर 54% का हैरान करने वाला रिटर्न (ROCE) देने का दावा किया है - यह वह आंकड़ा है जिसकी निवेशक हमेशा तलाश में रहते हैं.
अप्रैल 2020 में IRCTC के शेयर की कीमत करीब 250 रुपये थी, जो बढ़कर 697 रुपये हो गई है ( 7 अप्रैल 2025 को बंद होने तक ). यह 179% की उछाल दर्शाता है.
697 रुपये के मौजूदा मूल्य पर, कंपनी का शेयर अपने ऑल टाइम हाई लेवल 1,279 रुपये से लगभग 45% के डिस्काउंट पर कारोबार कर रहा है.
वर्तमान में यह स्टॉक 45x के पीई पर कारोबार कर रहा है और इसकी मोनोपोली वाली स्थिति को देखते हुए इसकी तुलना करने लायक कोई कंपनी नहीं है.
IRCTC का सबसे दिलचस्प पहलू इसकी लगभग डेट-फ्री बैलेंस शीट और अच्छा-खासा कैश रिजर्व है. जैसा कि मुंगेर अक्सर जोर देकर कहते हैं, "कंपाउंडिंग का पहला नियम यह है कि इसमें कभी भी बेवजह रुकावट न डालें" - और IRCTC की मजबूत बैलेंस शीट यह सुनिश्चित करती है कि यह शेयरधारकों की संपत्ति को बढ़ाते हुए आर्थिक मुश्किलों का सामना कर सके.
IRCTC की डिविडेंड यील्ड 1% है और यह 44% का बढ़िया डिविडेंड भुगतान अनुपात (dividend payout ratio) बनाए हुए है. IRCTC ने 24 फरवरी 2020 से अब तक 11 बार डिविडेंड घोषित किए हैं. पिछले 12 महीनों में IRCTC ने 11 रुपये प्रति शेयर के बराबर इक्विटी डिविडेंड घोषित किया है.
मार्च 2025 में आईआरसीटीसी को नवरत्न का दर्जा दिया गया, जो इसे पहले मिले हुए मिनी रत्न के दर्जे से ऊपर ले जाएगा.
वैल्यू ट्रैप्स या बफेट-स्टाइल बारगेन?
कोल इंडिया और IRCTC का वर्तमान मूल्य काफी हद तक बताता है कि बेंजामिन ग्राहम के मुताबिक "प्राइस बनाम वैल्यू" का क्या मतलब था. दोनों ही अपने ऑल टाइम हाई लेवल से बहुत कम कीमत पर बिक रहे हैं और बिजनेस ऑपरेशन के मामले में भी वे मजबूत बने हुए हैं.
जब आप उनके फाइनेंशियल डिटेल्स को देखते हैं, तो उसमें काफी कुछ अच्छा नजर आता है. कोल इंडिया न सिर्फ लगातार कैश जेनरेट कर रही है, बल्कि बड़े डिविडेंड के माध्यम से वेल्थ शेयर करने में भी पीछे नहीं है. दूसरी तरफ IRCTC में बहुत अधिक निवेश किए बिना पैसा बनाने का मौका है. निवेश करने में दिलचस्पी रखने वाले निवेशकों के लिए बड़ी पहेली यह पता लगाना है कि क्या ये सरकारी बिजनेस नई तकनीक के दौर में भी अपनी बढ़त बनाए रख सकते हैं. बहरहाल, दोनों की मजबूत वित्तीय स्थिति को देखते हुए, इन शेयरों को अपनी वॉचलिस्ट में शामिल करना अच्छा रहेगा.
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सुहेल खान एक दशक से ज़्यादा समय से मार्केट के पैशनेट फॉलोअर हैं. इस दौरान, वे सेल्स और मार्केटिंग प्रमुख के रूप में मुंबई स्थित एक प्रमुख इक्विटी रिसर्च संगठन का हिस्सा थे. वर्तमान में वे अपना ज़्यादातर समय भारत के सुपर इनवेस्टर्स के निवेश और रणनीतियों का विश्लेषण करने में बिता रहे हैं.
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